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लोगों में बंदरों का खौफ, जा चुकी है कई लोगों की जान

महज चार महीने पहले शाहजहांपुर में बंदरों के आतंक से एक ही परिवार के पांच लोग जान गंवा चुके हैैं। इसके बाद मंडल भर में प्रशासन बंदरों को पकडऩे के लिए कुछ संजीदा हुआ था। लेकिन चंद दिनों के प्रयास नाकाफी साबित हुए।

By Sant ShuklaEdited By: Published: Thu, 26 Nov 2020 12:16 PM (IST)Updated: Thu, 26 Nov 2020 01:28 PM (IST)
बंदर आम मुहल्ले ही नहीं अधिकारियों के दर पर भी धमा-चौकड़ी कर कोशिशों के दावे को मुंह चिढ़ा रहे हैैं।

बरेली, जेएनएन । महज चार महीने पहले शाहजहांपुर में बंदरों के आतंक से एक ही परिवार के पांच लोग जान गंवा चुके हैैं। इसके बाद मंडल भर में प्रशासन बंदरों को पकडऩे के लिए कुछ संजीदा हुआ था। लेकिन चंद दिनों के प्रयास नाकाफी साबित हुए। अब बंदर आम मुहल्ले ही नहीं अधिकारियों के दर पर भी धमा-चौकड़ी कर कोशिशों के दावे को मुंह चिढ़ा रहे हैैं। 

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बरेली विकास प्राधिकरण में आवासीय योजना की जानकारी, भवन या प्लाट संबंधी कामकाज के लिए लोगों का आना-जाना लगा रहता है। लेकिन लोग प्राधिकरण का जीना चढऩे में भी डरते हैैं। वजह, अधिकांश समय यहां बंदर सीढिय़ों पर ही घुड़की देते नजर आते हैैं। अधिकारी के आने या जाने से चंद मिनट पहले मातहत सक्रिय होते हैैं और गुलेल, लाठी-डंडे लेकर किसी तरह बंदर भगाते हैैं। 

परिवहन विभाग में भी कम नहीं आतंक 

शहर के बाहरी हिस्से में बने परिवहन विभाग के दफ्तर में भी बंदरों का खौफ कम नहीं है। मुख्य द्वार पर ही नहीं बल्कि ऑफिस के अंदर तक बंदर आकर फाइलों को छीनने की कोशिश कर चुके हैैं। कुछ यही हाल शहर के कई दफ्तरों का है। उधर, नगर निगम के पास न बंदर पकडऩे की अनुमति है और न ही इसके लिए टेंडर हुआ है।

जंक्शन व बस अड्डों पर भी बंदरों का आतंक

उधर, बरेली जंक्शन और दोनों बस अड्डों पर भी बंदर परेशानी की वजह बन जाते हैं। रेलवे व रोडवेज के अधिकारी कई बार वन विभाग व नगर निगम को पत्र लिख चुके हैं, लेकिन कार्रवाई का इंतजार बाकी है। जंक्शन पर कुछ महीने पहले एक बंदर के ओएचई लाइन पर फंसने से ट्रेन संचालन आधा घंटा प्रभावित रहा था। 

पत्र लिखा लेकिन कार्रवाई नहीं हुई

वन विभाग व नगर निगम को चार बार पत्र लिखे गए हैैं। लेकिन अभी तक कार्रवाई नहीं हुई है। 

 सत्यवीर सिंह, स्टेशन अधीक्षक, बरेली जंक्शन

 पुराना बस अड्डा, सेटेलाइट पर बंदर मुसाफिरों के लिए मुसीबत बनते हैैं। वहीं, वर्कशॉप पर बंदर खड़ी बसों की सीटें, शीशे आदि क्षतिग्रस्त कर देते हैं।

 चीनी प्रसाद, एआरएम, बरेली डिपो

वन विभाग से अनुमति लेकर बंदर पकड़े जाते हैैं। लेकिन पिछले कुछ समय से बंदर पकडऩे की अनुमति नहीं मिली है। एक मामले में बंदर पकडऩे पर पीएफए संस्था ने मुकदमा दर्ज कराया था। इसके बाद से अभियान नहीं चला है। 

 डॉ. अशोक कुमार, नगर स्वास्थ्य अधिकारी, नगर निगम 


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