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बरेली में शिक्षा का हाल जानकर रह जाएंगे हैरान, यहां चपरासी के हवाले है विद्यालय, जानिए कैसे होता है पठन-पाठन

Basic Education in Bareilly शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारने के लिए भले ही कागजों में कितने प्रयास क्यों न किए जा रहे हों। धरातल पर जब तक योजनाओं को नहीं उतारा जाएगा स्थिति में सुधार होना नामुमकिन है।

By Ravi MishraEdited By: Published: Thu, 02 Dec 2021 01:56 PM (IST)Updated: Thu, 02 Dec 2021 05:48 PM (IST)
बरेली में शिक्षा का हाल जानकर रह जाएंगे हैरान, यहां चपरासी के हवाले है विद्यालय, जानिए कैसे होता है पठन-पाठन
बरेली में शिक्षा का हाल जानकर रह जाएंगे हैरान, यहां चपरासी के हवाले है विद्यालय

बरेली, जेएनएन। Basic Education in Bareilly : शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारने के लिए भले ही कागजों में कितने प्रयास क्यों न किए जा रहे हों। धरातल पर जब तक योजनाओं को नहीं उतारा जाएगा स्थिति में सुधार होना नामुमकिन है। नगर क्षेत्र ही नहीं बल्कि ग्रामीण स्कूलों में कई स्कूल ऐसे हैं जहां शिक्षकों की कमी है। कहीं-कहीं आलम यह है कि शिक्षक न होने की वजह से बच्चों को शिक्षित करने से लेकर उनकी देखभाल का जिम्मा चपरासी को सौंपा हुआ है।

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केस- एक

चपरासी के हवाले शिक्षा व्यवस्था

ब्लाक रामनगर के गांव आराजी स्थित कन्या जूनियर हाईस्कूल में शिक्षा व्यवस्था एक चपरासी के हवाले है। यहां बच्चे हर रोज इस उम्मीद से आते हैं कि शायद आज कोई पढ़ाने आ जाए। लेकिन, बाद में इंटरवल में निराश होकर उन्हें वापस ही लौटना पड़ता है। विद्यालय में 56 बच्चे पंजीकृत हैं। इस वर्ष फरवरी में यहां तैनात शिक्षिका सुनीला कश्यप का तबादला हो गया था, उसके बाद से पिछले नौ माह से किसी शिक्षक को प्रभार नहीं मिला। चतुर्थ श्रेणी कर्मी नरेशपाल विद्यालय खोलने व बंद करने की ड्यूटी कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि ब्योधन बुजुर्ग में तैनात एक शिक्षक को यहां का अतिरिक्त कार्यभार सौंप दिया गया है जो कभी-कभी आकर चले जाते हैं। बीईओ विकास कुमार ने बताया कि विद्यालय की स्थिति को बीएसए के संज्ञान में है। शीघ्र ही अध्यापक की तैनाती कर दी जाएगी।

केस- दो

शिक्षकों के अभाव में कैसे हो पठन-पाठन

नगर क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालय में 49 छात्र-छात्राएं पंजीकृत हैं। यहां प्रभारी प्रधानाध्यापिका सौकिया आदीन के ही भरोसे ही स्कूल संचालित किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि कई बार विभागीय अधिकारियों से एक अन्य शिक्षक की तैनाती करने की बात कही लेकिन, अब तक कोई समाधान नहीं हो पाया है। वर्ष 2016 में एक शिक्षक के रिटायर हो जाने के बाद से उन पर ही सारी जिम्मेदारी है। बताया कि बीमार रहने की वजह से ज्यादा चलना-फिरना नहीं हो पाता। यही कारण है कि अब तक पूरी किताबें स्कूल में नहीं पहुंची हैं जबकि यह वर्ष पूरा होने को आ गया है।

नगर क्षेत्र में सीधे भर्ती नहीं हो रही है। ग्रामीण स्कूलों से शिक्षकों को प्रभार सौंपकर समस्या का निदान करने का प्रयास किया जा रहा है। विनय कुमार, बीएसए


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