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लाडो ने कॉल कर रुकवाया अपना बाल विवाह, बोली- अभी शादी नहीं, बनूंगी सैनिक

पढऩे-लिखने की उम्र में ही पिता ने नाबालिग बेटी को जिम्मेदारी मानकर डोली में विदा करने का फैसला किया तो किशोरी ने चाइल्डलाइन में शिकायत कर बाल विवाह जैसी सामाजिक कुरीति का शिकार होने से खुद को बचाया।

By Abhishek PandeyEdited By: Published: Wed, 06 Mar 2019 11:24 AM (IST)Updated: Thu, 07 Mar 2019 12:11 PM (IST)
लाडो ने कॉल कर रुकवाया अपना बाल विवाह, बोली- अभी शादी नहीं, बनूंगी सैनिक
लाडो ने कॉल कर रुकवाया अपना बाल विवाह, बोली- अभी शादी नहीं, बनूंगी सैनिक

जेएनएन, बरेली : उसकी उम्र पढऩे-लिखने की है। अपने भविष्य का पथ चुनने की है। इस उम्र में ही पिता ने उसे जिम्मेदारी मानकर डोली में विदा करने का फैसला किया। पता चलने पर नाबालिग बेटी ने पिता के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। चाइल्डलाइन में शिकायत कर बाल विवाह जैसी सामाजिक कुरीति की शिकार होने से खुद को बचाया, बल्कि ऐसी ही तमाम कमजोर आवाजों के लिए मिसाल कायम की। मंगलवार को पिता के साथ ही बाल कल्याण समिति के सामने पेश हुई किशोरी ने साफ कहा अभी शादी नहीं करूंगी। सेना में भर्ती होकर देशसेवा करनी है।

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25 फरवरी को होनी थी शादी, 24 को पहुंची टीम

यह दास्तां है बेटी को जिम्मेदारी मानने वाली सोच की शिकार हुई फरीदपुर की किशोरी की। किशोरी ने बताया कि पिता ने उससे बिना चर्चा के ही उसकी शादी गोटिया के एक युवक से तय कर दी। शादी 25 फरवरी को तय थी। आठवीं के बाद उसकी पढ़ाई छूट चुकी थी, लेकिन इतना भलीभांति पता था कि बाल विवाह गैरकानूनी है। इसी बीच पता चला कि युवक मानसिक रूप से विक्षिप्त है। वह खामोश नहीं बैठी। 18 फरवरी को चाइल्ड हेल्पलाइन (1098) पर शिकायत की। स्थानीय टीम ने तस्दीक की। बात सही निकली। तब ठीक एक दिन पहले 24 फरवरी को टीम घर पहुंची और शादी रुकवाई। दोनों पक्षों को सख्त हिदायद भी दी।

लड़के के बारे में खुद जुटाई जानकारी

घरवालों ने न लड़के के बारे में बताया था न शादी के लिए उससे चर्चा की थी। किशोरी ने खुद ही रिश्तेदारों से फोन कर लड़के के बारे में जानकारी की। तब मानसिक रूप से अस्वस्थ होने का पता चलने पर यह कदम उठाया।

काम आए रेडियो पर सुने प्रचार

कहां से मिली थी जानकारी। इस सवाल पर किशोरी मासूमियत से बोली रेडियो पर गीत व समाचार सुनती है। प्रचार के दौरान ही इसकी जानकारी भी सुनी थी। नहीं पता था खुद पर ही यह बीतेगी। समिति ने सुनवाई के बाद किशोरी को पिता के साथ ही वापस भेज दिया।

सुनवाई के बाद परिजन के साथ वापस भेजा घर

बालिका ने शिकायत की थी। इसके बाद उसे समिति के सामने प्रस्तुत किया गया था। सुनवाई के बाद उसे परिजन के साथ ही वापस घर भेज दिया गया।-डॉ. डीएन शर्मा, मजिस्ट्रेट बाल कल्याण समिति


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