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स्वास्थ्य विभाग का सर्विलांस फेल, जिंदगी पर स्वाइन फ्लू का झपट्टा

खतरनाक मलेरिया और रहस्मयी बुखार के प्रकोप से तमाम लोगों की मौत के बाद भी स्वास्थ्य महकमा नहीं चेता।

By JagranEdited By: Published: Sat, 19 Jan 2019 12:55 PM (IST)Updated: Sat, 19 Jan 2019 12:55 PM (IST)
स्वास्थ्य विभाग का सर्विलांस फेल, जिंदगी पर स्वाइन फ्लू का झपट्टा
स्वास्थ्य विभाग का सर्विलांस फेल, जिंदगी पर स्वाइन फ्लू का झपट्टा

जेएनएन, बरेली : खतरनाक

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मलेरिया और रहस्मयी बुखार के प्रकोप से तमाम लोगों की मौत के बाद भी स्वास्थ्य महकमा नहीं चेता। दबे पांव स्वाइन फ्लू ने मौत के साथ दस्तक दे दी। वो भी तब, जबकि शासन ने पांच महीने पहले ही अलर्ट कर दिया था। महकमे के अफसर केवल अस्पतालों को पत्र भेजकर इंटी्रग्रेटिड डिसीज सर्विलांस प्रोग्राम (एकीकृत समेकित निगरानी कार्यक्रम) के नाम पर खामोश बैठे रहे। जबकि यही सर्विलांस दगा दे गया। अब इस कातिल बुखार से पहली मौत होने के बाद हड़कंप मचा है।

अपना तंत्र नहीं, अस्पतालों की सूचना पर निर्भर

दैनिक जागरण ने भी करीब पांच महीने पहले स्वाइन फ्लू को लेकर अलर्ट की खबर प्रकाशित की थी। स्वास्थ्य विभाग ने सभी सरकारी और निजी अस्पताल, नर्सिग होम को इस रोग के मरीज की तत्काल सूचना देने का पत्र भेजा था। हैरत की बात विभाग ने संदिग्ध मरीजों की निगरानी का कोई तंत्र ही नहीं विकसित किया। अस्पतालों की सूचना पर निर्भर है। विभाग ने रैपिड रेस्पांस टीम गठित की थी जो कागजों पर अधिक सक्रिय रही।

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संभलकर रहें, जाड़े में भी तेजी से फैलता वायरस

चिकित्सकों के मुताबिक, स्वाइन फ्लू का एच1एन1 वायरस अमूमन जुलाई और अगस्त में सक्रिय होता है लेकिन, ऐसा नहीं है। यह वायरस दिसंबर व जनवरी में भी तेजी से फैलता है। वर्ष 2015 की सर्दियों में इस 'कातिल बुखार' से छह लोगों की मौत हुई थी, जबकि 57 मरीजों में इस बीमारी की पुष्टि हुई। 2017 में भी 54 मरीजों को स्वाइन फ्लू की पुष्टि हुई थी, जिनमें से तीन की तो जान ही चली गई थी।

तीन वर्गो पर होती मरीज की स्क्रीनिंग

ए कैटेगरी : सर्दी, जुकाम, तेज बुखार, सीने में दर्द, गले में कड़वापन, जी मचलाना

बी कैटेगरी : ए वर्ग के लक्षणों के साथ ही सांस फूलना, खांसी व जुकाम के साथ खून आना

सी कैटेगरी : दोनों वर्ग के लक्षणों के साथ ही खून में ऑक्सीजन की कमी होना, ब्लड प्रेशर कम होना इन लोगों के लिए खतरा अधिक

- रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने पर

- हाई रिस्क गर्भवती को

- बुजुर्ग और छोटे बच्चे को

- मधुमेह, किडनी के मरीजों को

- कैंसर, टीबी, अस्थमा रोगियों को बोले जिम्मेदार

विभाग ने रैपिड रेस्पांस टीम बनाई है। टीम स्वाइन फ्लू के लक्षण वाले मरीज की सूचना पर लार का नमूना लेकर जांच कराते हैं। टीम मरीज को इलाज उपलब्ध करवाती है।

-डॉ. मीसम अब्बास, प्रभारी, इंटीग्रेटेड डिसीज सर्विलांस प्रोग्राम (आइडीएसपी) जगह होने पर प्रयोग कर सकते हैं

टेमीफ्लू दवा से होता है इलाज

चिकित्सकों के अनुसार ए कैटेगरी वालों का टेमीफ्लू (आसेल्टामेविर) दवा से ही उपचार किया जाता है। संदिग्ध मरीज की भी तुरंत दवा शुरू होती है। उन्हें दिन में एक बार टेमीफ्लू की गोली दस दिनों के लिए दी जाती है। बी और सी कैटेगरी के मरीजों को भर्ती करने की जरूरत पड़ती है। जिले में स्वाइन फ्लू का दस साल का आंकड़ा

वर्ष - पॉजिटिव - मौत

2009 - छह - शून्य

2010 - पांच - एक

2011 - शून्य - शून्य

2012 - शून्य - शून्य

2013 - शून्य - शून्य

2014 - शून्य - शून्य

2015 - 57 - छह

2016 - 10 - तीन

2017 - 54 - तीन

2018 - एक - एक प्रदेश में साल का आंकड़ा

जिला - केस - मौत

मेरठ - 41 - शून्य

गाजियाबाद - 11 - शून्य

लखनऊ - पांच - शून्य

आगरा - चार - शून्य

जीबी नगर - तीन - शून्य

रायबरेली - दो - एक

सहारनपुर - दो - एक

मुजफ्फर नगर - एक - शून्य

साल भर के लिए तैयार होती वैक्सीन

एनफ्लूएंजा का एच1एन1 वायरस हर साल अपना स्ट्रेन बदल लेता है। इस कारण इसकी रोकथाम को लगाया जाना वाला टीका भी एक साल तक असरदार रहता है। वैक्सीन को मापकर उसके हिसाब से हर साल जून में इसका नया टीका तैयार किया जाता है। यह वैक्सीन 90 फीसद असरदार है और स्वास्थ्य सेवा में लगे लोगों को लगाई जाती है।

स्वाइन फ्लू के लक्षण

- थकावट

- भूख में कमी

- बुखार

- नाक का बहना

- गले में खराश

- खांसी आना

- जी मिचलाना

- उल्टी-पलटी

- पेट खराब होना

बचाव

- खांसते एवं छींकते वक्त अपनी नाक व मुंह ढककर रखें

- अपने हाथों को नियमित साबुन व पानी से धोएं

- फ्लू जैसे लक्षणों का पता लगने पर तुरंत डॉक्टर को दिखाएं

- अन्य व्यक्तियों से कम से कम एक मीटर की दूरी बनाकर रखें

- भीड़-भाड़ वाली जगह पर जाने से बचें

यह स्वाइन फ्लू नहीं सीजनल फ्लू : डॉ. अतुल

वैक्सीन विज्ञान के पूर्व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. अतुल अग्रवाल ने बताया कि इस समय स्वाइन फ्लू नहीं फैला है, यह इनफ्लूएंजा ए (एच1एन1) वायरस का मिशीगन स्ट्रेन है। उन्होंने बताया कि वर्ष 1918 में पहली बार इनफ्लूएंजा वायरस की पहचान हुई थी। यह मिशिगन, सिंगापुर, क्लोरेडो व फुकेट का वायरस है। यह वायरस इंसान से इंसान में फैलता है। इसके लक्षण भी स्वाइन फ्लू जैसे होते हैं और यह भी उतना ही घातक है। वर्ष 2015 में कैलीफोर्निया स्ट्रेन फैला था जो स्वाइन फ्लू था। इस बार सीजनल फ्लू फैला है।


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