शहर की बेटी कनाड़ा में जोनेटिक बीमारियों के कारण व रोकथाम पर कर रही काम
जानवर जनित रोग यानी जूनोटिक डिसीज चुनौती बने हुए हैं।
जेएनएन, बरेली : जानवर जनित रोग यानी जूनोटिक डिसीज चुनौती बने हुए हैं। फिलहाल स्वाइन फ्लू (सुअर से फैलने वाला रोग) मुश्किल खडे़ किए हुए है। बरेली में एक पीसीएस अधिकारी इसका शिकार बन चुकी हैं। प्रदेश भर में करीब सत्तर पॉजिटिव केस सामने आ चुके हैं। अगले सीजन में बर्ड फ्लू का खतरा मंडरा रहा है। हालांकि, हालात से निपटने की कोशिशें भी वैज्ञानिक कर रहे हैं। इस कड़ी में शहर की एक बेटी का भी नाम शामिल हुआ है, जो कनाडा में वैज्ञानिकों के साथ मिलकर जोनेटिक डिसीज के कारण खोजने के साथ ही इस पर रोकथाम के लिए काम कर रही हैं। उम्मीद है, जल्द नतीजे सामने आएंगे।
आइवीआरआइ के परिवेश से मिला मकसद
एशिया के सबसे बड़े भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आइवीआरआइ) कैंपस में ही रहने की वजह से सुगंधा राज का लगाव बचपन से ही पशु और पक्षियों से रहा। यहीं से उन्होंने अपना क्षेत्र चुना। शहर के हार्टमैन कॉलेज से पढ़ाई की। फिर मास्टर्स ऑफ वेटरनरी डिग्री ली। अब वे मुर्गे-मुर्गियों से एवियन इन्फ्लुएंजा वायरस इंसान में दाखिल होने और इसे रोकने के तरीके खोज रही हैं।
फेलोशिप के लिए दुनिया के चार लोगों में शुमार
सुगंधा जूनोटिक डिसीज का तोड़ खोजने का बीड़ा उठाया है। इसके लिए उन्होंने कनाडा के एरेल फूड इंस्टीट्यूट की फेलोशिप के लिए एप्लाई किया। एरेल इंस्टीट्यूट दुनिया के उन संस्थानों में है, जो जानवरों से इंसान में होने वाली बीमारी को खोजकर उनका निदान ढूंढती है। इंस्टीट्यूट हर साल दुनिया भर से चुनिंदा लोगों को ही स्कॉलरशिप के लिए चुनता है। सुगंधा राज का कॉन्सेप्ट इंस्टीट्यूट को अच्छा लगा। अब वे कनाडा वैज्ञानिकों के साथ एवियन इन्फ्लुएंजा वैक्सीन पर काम कर रहीं, जिससे बर्ड फ्लू को रोका जा सके। इसके लिए सालाना 50 हजार डॉलर (35.62 लाख रुपये) की स्कॉलरशिप भी मिल रही है।