समाजसेवा का पाठ पढेंगे छात्र, उच्च शिक्षण संस्थानों में लागू किया गया नियम
समाजसेवा अब उच्च शिक्षण संस्थानों में पढ़ाई का हिस्सा होगा। इसमें अच्छा प्रदर्शन करने वाले छात्रों को अंक मिलेंगे तो शिक्षकों को प्रमोशन में यह फायदेमंद साबित होगा।
जेएनएन, बरेली : समाजसेवा अब उच्च शिक्षण संस्थानों में पढ़ाई का हिस्सा होगा। इसमें अच्छा प्रदर्शन करने वाले छात्रों को अंक मिलेंगे तो शिक्षकों को प्रमोशन में यह फायदेमंद साबित होगा। अगले सत्र से इसे लागू करने की तैयारी है। नौ दिसंबर तक देशभर के सभी विश्वविद्यालयों के दो-दो शिक्षकों के नाम मांगे गए हैं जो इस प्रोग्राम को अपने यहां को-आर्डिनेट करेंगे।
यूजीसी ने इसके लिए एजुकेशनल इंस्टीट्यूशंस सोशल रिस्पांसबिलिटी पर पाठ्यक्रम तैयार किया है। इसके तहत छात्रों और शिक्षकों को समय-समय गांव में जाना होगा। वहां के लोगों के स्वास्थ्य, शिक्षा आदि के लिए काम करना होगा। उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने के लिए प्रयास करने होंगे। छात्रों और शिक्षकों दोनों को ही इस काम के लिए अच्छा प्रोजेक्ट तैयार करने और उसपर अमल करने के लिए क्रेडिट दिया जाएगा। छात्रों के रिजल्ट में इसे जोड़ा जाएगा। वहीं शिक्षकों को प्रमोशन में इसका फायदा मिलेगा। गांवों और आस-पास के स्थानीय शिक्षण संस्थानों की तरक्की के लिए भी उच्च शिक्षण संस्थानों को काम करना होगा।
नौ दिसंबर तक मांगे गई सूची
रुहेलखंड विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अनिल शुक्ला को यह पाठ्यक्रम प्राप्त हो गया। साथ ही पत्र में कुलपति से नौ दिसंबर तक विश्वविद्यालय के दो शिक्षकों के नाम मांगे हैं। इन्हीं दोनों शिक्षकों को पाठ्यक्रम लागू करने का तरीका बताया जाएगा। इसके लिए दिसंबर से 31 जनवरी के बीच विभिन्न कार्यशालाएं भी आयोजित की जाएंगी।