Lockdown को लेकर एसआरएमएस चेयरमैन बोले- महामारी को रोकने के लिए घरों के दरवाजें क्या बंद हुए, पुराने दिन लौट आए Bareilly News
ऐसा पहले कभी नहीं हुआ जो अब हो रहा है। मुझे तो लगता है कि बीते दिन जो कहीं जीवन की भाग-दौड़ में पीछे छूट गए थे अब वापस आ गए हैं।
बरेली, जेएनएन । ऐसा पहले कभी नहीं हुआ, जो अब हो रहा है। मुझे तो लगता है कि बीते दिन जो कहीं जीवन की भाग-दौड़ में पीछे छूट गए थे, अब वापस आ गए हैं। टीवी पर रामायण का प्रसारण होने जा रहा है। परिवार में सब साथ मिलकर खाना खाते हैं, एक-दूसरे के साथ वक्त बिताते हैं। इसलिए लॉकडाउन को कर्फ्यू से नहीं जोडऩा चाहिए। यह तो बीमारी को रोकने के लिए अपने घरों, जिले और प्रदेश के दरवाजे बंद किए गए हैं। वह भी आपकी अपनी सुरक्षा के लिए। यह कहना है श्रीराम मूर्ति स्मारक ट्रस्ट के चेयरमैन देवमूर्ति का।
उन्होंने कहा कि लोगों को फिक्र करने की जरूरत नहीं है। अब तो प्रशासन घरों तक सामान मुहैया करा रहा है। घर तक ताजी सब्जियां-फल पहुंच रहे हैं। गलियों में परचून की दुकानें खुली हैं जहां से जरूरत का सामान खरीदा जा सकता है। ऐसे में घर में पौष्टिक खाना बनाएं और परिवार के साथ खूब मस्ती करें। हां, एहतियात के तौर पर सतर्कता बनाए रखें। लोगों से दूरी बनाए रखें, बार-बार हाथ साफ करते रहें और खान-पान का विशेष ध्यान रखें। लॉकडाउन घर में बंद होने की सजा नहीं बल्कि सेल्फ कर्फ्यू है। जिस तरह सामान्य दिनों में भी सेना में तैयारियां की जाती रहती हैं, वैसे ही इंसान को भी हर मुश्किल का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए।
बांटे जा रहे भोजन के 600 पैकेट
देवमूर्ति कहते हैं कि लॉकडाउन की शुरूआत होते ही सबसे पहले वंचित लोगों को भोजन पहुंचाने का निर्णय लिया। रोज दो बार भोजन बंटवा रहा हूं। जिला प्रशासन के सहयोग से सुबह 100 पैकेट और शाम को 150 पैकेट भोजन बंटवाया गया। अब इसे बढ़ाकर 300-300 पैकेट कर दिया गया है। लॉकडाउन होने तक यह व्यवस्था सुचारु रूप से चलती रहेगी।
1000 घरों में 21 दिन का राशन पहुंचाने का निर्णय
गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले एक हजार परिवारों को चिह्नित किया। उन्हें 21 दिन का राशन पहुंचाने का निर्णय लिया। गृहस्थी की छोटी से छोटी वस्तुएं या खाद्य सामग्री पहुंचाई जा रही है। उन्होंने कहा कि व्यक्ति से परिवार, परिवार से घर, घरों से समाज और समाज से शहर बनता है। व्यक्ति की पहचान ही शहर होता है। मेरा मनाना है कि जिंदगी में अगर कुछ कमाया है तो उसे लोगों में बांटा जा सकता है।