Loksabha Election 2019: निर्धारित दूरी से मुसलमानों के वोट मांग रही सपा
पिछले लोकसभा चुनाव और फिर विधानसभा में खराब प्रदर्शन के बाद समाजवादी पार्टी ने रणनीति बदली है। राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव पार्टी पर लगे उस ठप्पे को हटाने में लगे हैं।
वसीम अख्तर, बरेली : पिछले लोकसभा चुनाव और फिर विधानसभा में खराब प्रदर्शन के बाद समाजवादी पार्टी ने रणनीति बदली है। राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव पार्टी पर लगे उस ठप्पे को हटाने में लगे हैं, जो उनके पिता नेताजी (मुलायम सिंह यादव) को दिए गए तमगे से लगा था। पहले टिकट वितरण में सावधानी बरतते हुए मंडल की पांच में से एक भी सीट पर किसी मुस्लिम उम्मीदवार को नहीं उतारा। अब संबोधन को संयमित किया है। बरेली के इस्लामिया मैदान में गुरुवार को हुई मंडल की अपनी पहली जनसभा में अखिलेश कह गए कि हमारे यहां अली और बजरंग बली दोनों का सम्मान है।
‘जागरण’ ने टिकटों की घोषणा के बाद ही यह साफ कर दिया था कि समाजवादी पार्टी बदले अंदाज में चुनाव लड़ने जा रही है। सपा मुखिया के आने से एक दिन पहले दरगाह आला हजरत पर जब लोगों से बात की तो वे खुद को सेकुलर कहने वाले दलों के रुख से खफा भी दिखाई दिए। बावजूद इसके अखिलेश यादव तय रणनीति के अनुरूप हो बोले। जहां सपा अध्यक्ष की जनसभा हो रही थी, वह स्थान आला हजरत के उर्स के आयोजन को लेकर पहचाना जाता है। यहां से दरगाह की दूरी एक किमी. ही होगी।
अखिलेश ने आला हजरत का आदर के साथ नाम तो लिया लेकिन साथ में बरेली के मंदिरों का भी जिक्र किया। पंडित राधेश्याम कथावाचक का नाम भी लिया। दरअसल, समाजवादी पार्टी नहीं चाहती कि भाजपा को ध्रुवीकरण का मौका मिले। जैसा कि लोकसभा और फिर विधानसभा चुनाव में हुआ था। सपा बदायूं को छोड़कर मंडल में चार सीटों पर मात खा गई थी। मतदाताओं में ध्रुवीकरण की वजह से हार का अंतर भी बहुत ज्यादा था। यही वजह है कि लोकसभा के इस चुनाव में फूंक-फूंककर कदम रखा जा रहा है। टिकट की दौड़ में शामिल होने के बावजूद पांचों सीट पर किसी भी स्थानीय मुस्लिम नेता को उम्मीदवार नहीं बनाया। अब सीधे तौर पर मुस्लिम मतदाताओं से वोट मांगने से भी बचा जा रहा है। सपा की यह रणनीति कितनी कारगर रहती है, नतीजे आने के बाद साफ होगा। फिलहाल सपा प्रमुख के बयानों पर गौर किया जा रहा।