Negligence : बरेली में संक्रमित पिता का शव लिए रात भर श्मशान के बाहर खड़ा रहा बेटा, सोता रहा प्रशासन
बरेली में कोरोना संक्रमित वृद्ध की मौत के बाद उसका पुत्र शव के साथ जहां रात भर शमशान के बाहर खड़ा रहा। वहीं इस घटना ने प्रशासनिक दावों की हकीकत काे भी बनकाब कर दिया।
बरेली, जेएनएन।Coronavirus News Update : कोरोना, इस छोटे से शब्द ने पूरी दुनिया में तबाही मचा रखी है। जहां तमाम संस्थाएं व समाजसेवी इसमें मदद को आगे आ रहे हैं, वहीं सिस्टम ने लापरवाही की चादर ओढ़ रखी है। संक्रमित वृद्ध की मौत ने इस हकीकत को बेनकाब कर दिया। घंटों तक उसका पुत्र शव लिए इधर-उधर भटकता रहा। कहीं से कोई मदद या जानकारी नहीं मिलने पर वह रात में ही शव लेकर श्मशान पहुंच गया। वहां गेट नहीं खुला तो शव लेकर वहीं खड़ा रहा।
स्वास्थ्य विभाग की अनुपस्थिति में हुआ दाह संस्कार
सुबह होने पर पिता का दाह-संस्कार किया, लेकिन कोई भी प्रशासनिक अधिकारी या स्वास्थ्य विभाग की टीम वहां नहीं पहुंची। पीलीभीत बाईपास रोड संजय नगर निवासी 75 वर्षीय वृद्ध 19 जून को ट्रू नेट मशीन से पॉजिटिव आया था। सर्विलांस टीम ने उसे भोजीपुरा स्थित कोविड एल-2 अस्पताल में भर्ती कराया था। अगले ही दिन उसकी मौत हो गई। मेडिकल कॉलेज की टीम ने उसे संक्रमित मानते हुए कोरोना किट बैग में शव को सील कर परिजनों को सौंप दिया। मृतक के बेटे ने बताया कि उसने अंतिम संस्कार के बारे में पूछा लेकिन किसी ने कोई जानकारी नहीं दी। वह शव लेकर जिला अस्पताल पहुंचा।
मदद मांगने पर दूर भागते रहे चिकित्सक व स्टाफ
चिकित्सकों से मदद मांगी तो दूर भागते हुए उन्होंने शव को मोर्चरी की जगह पोस्टमार्टम हाउस में रखवाने की सलाह दी। पोस्टमार्टम हाउस पहुंचने पर वहां भी लोगों ने पल्ला झाड़ लिया तो वह पत्नी और भांजे के साथ पिता का शव लेकर रात में ही श्मशान पहुंच गया। गेट नहीं खुलने पर वह रातभर वहीं खड़ा रहा। सुबह अंतिम संस्कार कर घर लौट आया। अगले दिन जब आइवीआरआइ से मृत पिता के पॉजिटिव होने की रिपोर्ट आई तो लोगों ने दूरी बनानी शुरू कर दी। दूधिये ने भी आने से मना कर दिया। परिवार छोटी-छोटी चीजों के लिए परेशान है। 75 वर्ष के मृतक को 45 वर्ष का बना दिया बेटे ने बताया कि पिता की उम्र 75 वर्ष थी, लेकिन रिपोर्ट में उसे तीस साल कम कर मात्र 45 वर्ष दर्ज किया गया है।
रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद भी दो घंटें करना पड़ा इंतजार
यह भी कहा कि ट्रू नेट मशीन से पॉजिटिव आने के बाद एंबुलेंस के लिए भी दो घंटे तक इंतजार करना पड़ा था। बाद में वह खुद ही एंबुलेंस से पिता को अस्पताल ले गए। शुक्रवार को परिजनों के हुए सैंपल वृद्ध की मौत हुए पांच दिन बीत गए। इसके बाद स्वास्थ्य विभाग को शुक्रवार को परिजनों की सैंप¨लग कराने की सुध आई। जबकि नियमानुसार वृद्ध की सैंप¨लग होने की तिथि के पाचवें दिन परिजनों की सैंप¨लग होनी चाहिए थी। समझादारी दिखाकर बचाया संक्रमण का फैलाव वृद्ध के पुत्र ने समझदारी दिखाते हुए पत्नी और भांजे के साथ मिलकर ही पिता का अंतिम संस्कार कर दिया। उसने और लोगों को बुलाकर उन्हें खतरे में नहीं डाला। उसने बताया कि स्वास्थ्य विभाग ने जिस तरह मदद से हाथ खड़े किए, वह बहुत कष्टदायी था।
रिपोर्ट आने से पहले वृद्ध की मौत पहले हो चुकी थी। उनकी मौत के बाद जानकारी मिलने में कहां चूक हुई, इसकी जांच कराई जा रही है। - डॉ. रंजन गौतम, जिला सर्विलांस अधिकारी