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बरेली में Remedicivir injection की बेहद कमी, अस्पतालों में सिर्फ 35 इंजेक्शन ही बचे, जानिये कौन तय करता है कि किस मरीज को देना है इंजेक्शन

एंटी वायरल इंजेक्शन रेमडेसिविर की अचानक मांग बढ़ने के बाद किल्लत शुरू हो चुकी है। शासन से 300 इंजेक्शनों की खेप आने की रजामंदी के बाद एक किस्त में 50 जबकि दूसरी किस्त में 70 इंजेक्शन बरेली पहुंचे। वर्तमान में कोविड अस्पतालों में सिर्फ 35 इंजेक्शन बताए जा रहे हैंं।

By Samanvay PandeyEdited By: Published: Tue, 20 Apr 2021 06:05 AM (IST)Updated: Tue, 20 Apr 2021 06:05 AM (IST)
बरेली में Remedicivir injection की बेहद कमी, अस्पतालों में सिर्फ 35 इंजेक्शन ही बचे, जानिये कौन तय करता है कि किस मरीज को देना है इंजेक्शन
फेबिफ्लू टेबिलेट शासन से मांग के सापेक्ष सिर्फ दस फीसद ही मिल पा रहा।

बरेली, जेएनएन। एंटी वायरल इंजेक्शन रेमडेसिविर की अचानक मांग बढ़ने के बाद किल्लत शुरू हो चुकी है। शासन से 300 इंजेक्शनों की खेप आने की रजामंदी के बाद एक किस्त में 50, जबकि दूसरी किस्त में 70 इंजेक्शन बरेली पहुंचे। मौजूदा समय में कोविड अस्पतालों में सिर्फ 35 इंजेक्शन बताए जा रहे हैंं। प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग ने एक बार फिर मांग भेजी है। बहुत जरूरत होने पर ही रेमडेसिविर के इंजेक्शन दिए जा रहे हैं। वहीं फेबिफ्लू टेबलेट भी मांग के सापेक्ष सिर्फ 10 फीसद ही मिल पा रही हैंं। बाजार में लोग इस टेबलेट के लिए भटक रहे हैं।

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स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक एसआरएमएस में 17 रेमडेसिविर हैं। रोहिलखंड मेडिकल कालेज में छह, राजश्री में छह, गंगाशील हॉस्पिटल में दो, 300 बेड अस्पताल में चार रेमडेसिविर हैं। रेमडेसिविर लेने के लिए एक गाड़ी आज लखनऊ रवाना भी हुई है। नई खेप आने के बाद थोड़ी राहत होगी। बता दें कि रेमडेसिविर की किल्लत के बाद बाजार में कालाबाजारी शुरू न हो जाए, इसलिए शासन खुले बाजार में इसकी बिक्री पर रोक पहले ही लगा चुका है। यानी, रेमडेसिविर इंजेक्शन फार्मास्यूटिकल कंपनी से शासन के पास होते हुए सीधे प्रशासन की निगरानी में ड्रग विभाग और स्वास्थ्य महकमे के पास पहुंचेगा। यहां से इसे जरूरत के हिसाब से कोविड अस्पतालों को बांटा जाएगा।

यहां किस मरीज को रेमडेसिविर लगनी है और किसको नहीं, इसका फैसला डॉक्टर लेंगे। केमिस्ट एसोसिएशन के पदाधिकारी और किशोर मेडिकल स्टोर संचालक दुर्गेश खटवानी बताते हैं कि हाल में एक नोटिफिकेशन भी जारी हुआ है, जिसमें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की ओर से आदेश हैं कि अगर किसी मेडिकल स्टोर पर रेमडेसिविर इंजेक्शन मिले तो इसे आपाताकाल में शासनादेश का उल्लंघन और कालाबाजारी को बढ़ावा मानते हुए सीधे रासुका लगाई जाएगी। वहीं, बाजार में मांग के अनुरूप फेविफ्लू दवा (एंटी वायरल) दस फीसद ही मुहैया हो रही है। यह दवा कोरोना वायरस के शुरुआती लक्षण पर ही रोकथाम में सहायक है।

जानिए क्या है रेमडेसिविर इंजेक्शन

रेमडेसिविर इंजेक्शन को कोविड संक्रमण बढ़ने के बाद एक जीवन रक्षक दवा के रूप में देखा जा रहा है। इसलिए लोग महंगी कीमतों पर ही इंजेक्शन को खरीदने को तैयार है। इस इंजेक्शन का उपयोग कोविड के गंभीर मरीजों के इलाज में किया जाता है। हालांकि, कोरोना के इलाज में इसके प्रभावी ढंग से काम करने को किसी ने मान्यता नहीं दी है। यहां उल्लेख कर दें कि अमेरिका की दवा कंपनी गिलियड साइंसेज ने इस इंजेक्शन को करीब एक दशक पहले सांस सबंधी वायरस और हेपेटाइटिस सी के इलाज के लिए बनाया था। लेकिन बाजार में उतारने की मंजूरी नहीं मिली थी।


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