बड़ा खतरा हैं कम किराये वाले ये जर्जर स्कूल
शिक्षा विभाग ने किराया देकर बच्चों और शिक्षकों के लिए हादसे का इंतजाम किया है।
प्रशांत गौड़, बरेली : बारिश ने जहां अच्छे-अच्छे मकानों की नींव हिला दी हैं वहीं शिक्षा विभाग ने किराया देकर बच्चों और शिक्षकों के लिए हादसे का इंतजाम किया है। लगातार बारिश से पूरे प्रदेश में जर्जर भवन गिर रहे हैं। लोगों की मौत भी हो रही हैं। बरेली के परिषदीय स्कूलों में भी ऐसी ही स्थिति बन रही है। शहर में किराए के भवन में चल रहे 42 स्कूल ऐसे हैं जो बिल्कुल जर्जर हैं। आला अफसर इस ओर गंभीर नहीं है।
किराए की खींचतान में हुए जर्जर
नगर क्षेत्र में 136 प्राथमिक व जूनियर हाईस्कूल हैं। विभागीय रिकार्ड में 42 किराए के भवन में चल रहे हैं, जिनका किराया बेहद कम है। भवन स्वामी किराया बढ़ाना चाहते हैं, लेकिन शासनादेश का पेच आडे़ आ जाता है। ऐसे में वे मरम्मत नहीं कराते और न ही विभाग। ऐसे में ये स्कूल जर्जर हो गए।
शासनादेश मिले तो करें स्थानांतरित
जिस क्षेत्र में संचालित हैं उसी में इन्हें संचालित करना है। लेकिन वर्तमान में किराया दर अधिक है। ऐसे में पुराने दरों में कोई गृहस्वामी किराए पर अपना भवन देने को तैयार नहीं है। वर्तमान किराए दर पर बजट जारी करने का कोई शासनादेश नहीं मिलने से अफसर भी खानापूर्ति में लगे हैं।
इन स्कूलों का बुरा हाल
नगर क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालय, जटपुरा, माधोबाड़ी, गंगापुर- प्रथम व द्वितीय, मलूकपुर, कुंवरपुर- प्रथम व द्वितीय, किशोर बाजार-द्वितीय, ऐजाज नगर, सहसवानी टोला, सूफी टोला-प्रथम व द्वितीय, बांके की छावनी-द्वितीय, मौला नगर, गढैया, वमनपुरी, सीताराम-प्रथम, घेर जाफर खां, कन्हैया टोला, कन्हैया टोला- प्रथम, जखीरा-प्रथम, बिहारीपुर-द्वितीय, रोहली टोला-द्वितीय, मुरावपुरा, चौधरी मौहल्ला-द्वितीय, जाटवपुरा, फाल्तूनगंज, मेमरान, प्रेमनगर, लोधी राजपूत, गांधी बेसिक, उच्च प्राथमिक जखीरा व नगरिया सतन आदि विद्यालय जर्जर हैं। वर्जन---
कई बार इन स्कूलों के हालातों से उच्चाधिकारियों को अवगत कराया जा चुका है। जिलाधिकारी के माध्यम से शासन को पत्र तक भेजे जा चुके हैं लेकिन शासन स्तर से कोई निर्देश नहीं होने के कारण स्थानांतरण को लेकर मामला फंसा है।
-देवेश राय, नगर शिक्षाधिकारी।