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यहां किस्त व अनुमति के बीच फंसा स्वच्छता अभियान Bareilly News

भले ही देश को खुले से शौच मुक्त करने के दावे किए जा रहे हो। सरकारी कागज भी आंकड़ों की जुबानी इस बात को सही साबित करने में लगे हो लेकिन जमीनी हकीकत इससे इतर ही नजर आती है।

By Abhishek PandeyEdited By: Published: Fri, 04 Oct 2019 11:55 AM (IST)Updated: Fri, 04 Oct 2019 05:46 PM (IST)
यहां किस्त व अनुमति के बीच फंसा स्वच्छता अभियान Bareilly News
यहां किस्त व अनुमति के बीच फंसा स्वच्छता अभियान Bareilly News

जेएनएन, बरेली : भले ही देश को खुले से शौच मुक्त करने के दावे किए जा रहे हो। सरकारी कागज भी आंकड़ों की जुबानी इस बात को सही साबित करने में लगे हो, लेकिन जमीनी हकीकत इससे इतर ही नजर आती है। अगर जनपद में स्वच्छता अभियान के तहत बनवाएं जाने वाले शौचालयों की बात करें तो स्थिति कुछ और ही दिखाई देती है। अभियान के तहत बनवाएं जाने वाले शौचालयों पर नजर डालें तो ग्रामीण अंचल में अभी भी शौचालय किस्त और अनुमति के इंतजार में फंसे दिखाई देते है। विभागीय अधिकारियों के अनुसार दो हजार से अधिक ग्रामीणों के घरों में अब तक शौचालय नहीं बन सके है।

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डीपीआरओ के सामने आई हकीकत 

ब्लाक मझगवां के ग्राम हाफिजगंज जोगराज में चार दर्जन से ज्यादा ग्रामीणों के शौचालय अभी नहीं बन सके है। कई बार शिकायत करने के बाद गुरुवार को डीपीआरओ चंद्रिका प्रसाद गांव पहुंचे। तो पता लगा कि ग्रामीणों को अनुदान की रकम का इंतजार हैं मगर कोई सही जवाब नहीं दे रहा। कब तक किस्त आएगी। अब तक एक ही किस्त मिली है। जिससे काम शुरू हो तो गया मगर शौचालय बन नहीं सका। ग्राम प्रधान से कहो तो वह कहते हैं कि रकम नहीं आई है। नरेश, लक्ष्मी देवी, सुनीता रेखा, सुरेश विश्राम सिंह व रोशनलाल आदि का कहना था कि योजना का लाभ अब तक नहीं मिल सका। गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए ग्रामीणों ने प्रधान व सचिव के दो वर्ष के कार्यकाल की जांच कराने की मांग की, जिस पर डीपीआरओ ने आश्वासन दिया कि जांच कराएंगे। सवाल उठे तो सचिव अजय भारती ने बताया कि 130 लाभार्थियों की दूसरी किस्त रिलीज हो चुकी है केवल 26 की शेष है। किस्त देने में गड़बड़ी की बात सामने आने पर डीपीआरओ ने उन्हें समस्त रिकार्ड सहित कार्यालय तलब किया।

शौचालय के इंतजार में 2347 लाभार्थी 

बीते दिनों 2347 ऐसे परिवारों में शौचालय बनवाने के लिए आवेदन किया था। इनके आवेदन तो मंजूर हो गए मगर बजट नहीं मिल सका। इतने परिवारों के खुले में शौच जा रहे, इसके बावजूद अधिकारियों ने कागजों पर जिला ओडीएफ घोषित कर दिया।

ऐसे कर दिया जिले को ओडीएफ घोषित 

जिले को ओडीएफ घोषित करने के लिए आर्थिक गणना 2011 के आधार पर बेसलाइन सूची तैयार की गई थी। इस सूची के तहत दो लाख 56 हजार 621 शौचालयों को बजट जारी किया गया। इसके आधार पर एक साल पहले ही जिले को ओडीएफ घोषित करने का दावा किया गया, लेकिन तमाम ऐसे परिवारों की शिकायतें आईं जो आर्थिक तौर से कमजोर थे और शौचालय नहीं बनवा सकते थे। ऐसे में एलओबी सूची तैयार की गई। उन परिवारों की आर्थिक स्थिति देखते हुए पात्रता सूची के दायरे में लाया गया। एलओबी सूची में 54 हजार 619 परिवारों को शौचालय निर्माण का लाभ दिया गया। एलओबी के बाद भी जो परिवार रह गए उनके लिए यूनीवर्सल सेनिटेशन कवरेेज ने अपनी रिपोर्ट दी तो बताया गया कि 2347 परिवार अभी भी ऐसे हैं जो शौचालय नहीं बनवा सकते हैं।


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