आह भरकर रह गए अपने, नूर-ए-नजर रहे फिरोज
सूबे की सत्ता से बेदखली के बाद पहली बार शहर आए पूर्व मुख्यमंत्री एवं समाजवादी पार्टी के मुखिया सियासी गुफ्तगू के लिए नई चर्चाएं छोड़ गए।
जेएनएन, बरेली : सूबे की सत्ता से बेदखली के बाद पहली बार शहर आए पूर्व मुख्यमंत्री एवं समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव सियासी गुफ्तगू के लिए नई चर्चाएं छोड़ गए। नूर-ए-नजर बनने के तलबगार स्थानीय नेता थे लेकिन बाजी सम्भल के जिलाध्यक्ष फिरोज खां मार ले गए। वह हवा से सड़क तक साथ रहे। बरेली वाले उन्हें राष्ट्रीय अध्यक्ष के बगलगीर देख आह भरकर रह गए।
दोपहर जब अखिलेश यादव चार्टर प्लेन से त्रिशूल हवाई अड्डा पहुंचे तो उनके साथ मौजूद एक शख्स पर सभी की नजरें टिक गईं। कुछ सपा नेता उनसे वाकिफ थे, जो नावाकिफ थे, वे एकदूसरे से सवाल करने लगे। साफ हुआ कि वह सम्भल के सपा जिलाध्यक्ष फिरोज हैं। उन्हें राष्ट्रीय अध्यक्ष कैसे साथ ले आए, मन में इन तमाम सवालों के साथ सपाई स्वागत में मशगूल हो गए। सम्भल के जिलाध्यक्ष जिस तरह प्लेन में साथ आए थे, वैसे ही कार में भी पूर्व मुख्यमंत्री के साथ बैठे। धर्मेद्र यादव चूंकि मुख्यमंत्री के परिवार के ही हैं, वह भी बदायूं साथ गए। बदायूं के जिलाध्यक्ष आशीष यादव के बेटे की शादी में अखिलेश के आने का कार्यक्रम भी सांसद धर्मेद्र यादव ने ही लगवाया था। स्थानीय नेता इस जुस्तुजु में थे कि उनमें से किसी को पूर्व मुख्यमंत्री के साथ जगह मिलेगी। उनकी इस ख्वाहिश के पूरा होने की राह में सम्भल के जिलाध्यक्ष आ गए। बाद में जब बदायूं में शादी कार्यक्रम से अखिलेश यादव लौटे तो त्रिशूल हवाई अड्डे पर अताउर्रहमान से पूछ बैठे कि कल लखनऊ में मिलने आने के बाद कहां चले गए थे। शायद यह कहना चाह रहे थे कि लखनऊ में मिलते तो शनिवार को साथ में बरेली आ जाते। खैर साथ लाने का शर्फ (इज्जत) तो फिरोज खां को मिलना था। इतना ही नहीं जब पूर्व मंत्री शहजिल इस्लाम ने अलग बात करना चाही तो कह गए लखनऊ में बात करेंगे। हां, इतना भरम जरूर रख गए, कह गए कि जल्द बरेली आऊंगा।
ये रहे मौजूद
स्वागत करने वालों में पूर्व मंत्री भगवत सरन, अताउर्रहमान, शहजिल इस्लाम, इस्लाम साबिर, कुंवर सर्वराज सिंह, सुल्तान बेग, शुभलेश यादव, कदीर अहमद, जफर बेग, अरविंद गंगवार, सतेंद्र यादव, अरविंद यादव, शमीम सुल्तानी, हैदर अली, संजीव यादव, योगेश यादव, शमीम अहमद सूरज यादव इत्यादि मौजूद रहे।