Jagran Column : वीडियो वायरल होने पर भड़के हैं साहब Bareilly News
पुलिस लाइन में बैठने वाले लोग तो कुछ ज्यादा ही खौफ में हैं। कह रहे हैं कि बस पूछो मत साहब आजकल बहुत भड़के हैं।
अंकित गुप्ता, बरेली : सुभाषनगर में सर्राफ की हत्या हुई। पुलिस को हत्याकांड का सीसीटीवी फुटेज मिला। यह शामिल तो जांच में था मगर वायरल हो गया। गोलियां दागते बदमाश और सामने सर्राफ कमल किशोर जमीन पर गिरते दिख रहे थे। सोशल मीडिया का जमाना है, वीडियो वायरल होकर लखनऊ तक पहुंच गया। महाराज जी के पास वाले बड़े साहब के पास तक। उन्होंने देखा तो पारा गरम हो गया। फोन उठाया और जिले के पुलिस महकमे के अफसरों की क्लास लगा दी। उनके तेवर देख आनन-फानन जिले वाले साहब ने सभी को तलब कर लिया। यक्ष प्रश्न उठा, वीडियो लीक कैसे हुआ। सब एक दूसरे का मुंह ताकने लगे। सब कसे गए, मगर प्रश्न यक्ष वाला ही बरकरार रहा। उस दिन की मीटिंग तो खत्म हो गई मगर पुलिस लाइन में बैठने वाले लोग तो कुछ ज्यादा ही खौफ में हैं। कह रहे हैं कि बस पूछो मत, साहब आजकल बहुत भड़के हैं।
गुमनाम है कोई
बदमाशों ने पुलिस के सर्विलांस वाला तीर बेकार कर दिया। मुखबिर तंत्र पहले ही ध्वस्त हो चुका इसलिए पुलिस सूचनाओं के लिए भटकती दिख रही। परेशान वर्दी वालों के लिए इन दिनों एक अजनबी बड़ी सूचनाएं दे रहा। पहले कमलेश तिवारी हत्याकांड और अब सर्राफ कमल किशोर हत्याकांड में एक शख्स ने गुमनाम पत्र पुलिस को भेजा। कुछ नाम बताकर लिखा कि कमल को उन्हीं दो लोगों ने मारा है। उसकी जानकारी पर पुलिस ने काम शुरू कर दिया मगर दिमाग में सवाल बार-बार कौंध रहा। यह गुमनाम पुलिस का मददगार है या अपनी रंजिश निभाने के लिए हर बार कुछ नाम बता देता है। वर्दी वालों के सामने अजब मुश्किल है। भरोसा करें तो यह मुश्किल कि निर्दोष न लपेटे में आ जाएं। न भरोसा करें तो यह डर कि गुमनाम पत्र में यदि सही जानकारी हुई और पीछा न किया तो बड़े अफसरों को जवाब देते नहीं बनेगा।
बोलो नहीं, मौन साधो
सर्राफ की हत्या ने पुलिस की फजीहत करा दी। हत्यारों तक पहुंचना तो दूर, अब तक हत्या की वजह नहीं तलाशी जा सकी। खाली हाथ टीम को बड़े साहब भी कब तक निहारते। खुद टेंशन में थे इसलिए महकमे के कई लोगों की भी रात खराब करने की ठान ली। शुक्रवार को सभी को तलब कर लिया। हालांकि वहां का माहौल अलग था। खुलासे वाले रास्ते से जुड़े नहीं बल्कि सवाल दूसरे हुए-सब बताओ, अंदर की बातें बाहर कैसे जा रहीं। यानी, हत्यारे पकडऩे से ज्यादा नसीहत मुंह बंद रखने की दी गई। वह भी इस कदर कि बंगले से बाहर निकले पुलिसकर्मी अब चुप्पी साधे गए। कोई कुछ पूछ न बैठे इसलिए फोन नहीं उठा रहे। कुछ तो ऐसे हैं जोकि मीडिया वालों को देखते रास्ता बदलकर निकल ले रहे। बड़े साहब भी खूब हैं। हत्यारे पकडऩे से ज्यादा जोर इस बात पर है कि कोई कुछ बोले ना।
साहब से उम्मीद
अधिकारियों के जनता दरबार में फरियादियों की भीड़ है। खाकी वाले तीन तीन साहब जनता दरबार लगाते हैं और भीड़ तीनों जगह रहती है। सुनने को बैठे रहें तो सुबह से शाम हो जाए, लेकिन फरियादी कम होने का नाम नहीं लेते। इसके पीछे की वजह जानी तो अनचाहा नजारा सामने आया। दरअसल, थानों में सुनवाई नहीं हो रही। फरियादियों के साथ ठीक से व्यवहार नहीं किया जा रहा। मारपीट जैसे सामान्य प्रकरणों का निस्तारण तक नहीं हो रहा। यही कारण है कि फरियादी हर छोटी-बड़ी बात लेकर अधिकारियों के यहां पहुंच रहे हैं। उन्हें आस रहती है कि साहब का आदेश होगा तो मुकदमा दर्ज हो जाएगा। इन दिनों अमूमन ऐसा ही हो रहा है। पूरे महीने के आंकड़ों पर नजर डालें तो थाना स्तर पर जितने मुकदमे दर्ज हुए, उतने ही मुकदमे अधिकारियों के आदेश पर भी लिखे मिलेंगे। जनाब आपसे उम्मीद है, इसलिए भीड़ ज्यादा होती है।