Chinmayanand Case : पांच घंटे इंतजार के बाद बगैर परीक्षा दिए लौटी छात्रा, विश्वविद्यालय ने नहीं दी अनुमति
शाहजहांपुर जेल में बंद छात्रा का सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर एमजेपी रुहेलखंड विवि में एलएलएम तृतीय सेमेस्टर में प्रवेश हुआ था। हालांकि इस प्रकरण के चलते वह एक भी दिन पढ़ने नहीं गई।
बरेली, जेएनएन। पूर्व केंद्रीय मंत्री चिन्मयानंद पर दुष्कर्म का आरोप लगाने वाली और खुद ब्लैकमेलिंग के केस में फंसी छात्रा मंगलवार को परीक्षा में बैठने की अनुमति न होने के बावजूद तृतीय सेमेस्टर की परीक्षा देने जेल से एमजेपी रुहेलखंड विश्वविद्यालय पहुंच गई। विवि ने लिखकर दिया कि उसकी परीक्षा नहीं कराई जा सकती। तब सुबह साढ़े सात बजे आई छात्रा दोपहर करीब साढ़े बारह बजे वापस हुई।
शाहजहांपुर जेल में बंद छात्रा का सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर एमजेपी रुहेलखंड विवि में एलएलएम तृतीय सेमेस्टर में प्रवेश हुआ था। हालांकि इस प्रकरण के चलते वह एक भी दिन पढ़ने नहीं गई। जिस पर विश्वविद्यालय ने उपस्थिति मानक पूरा नहीं होने के कारण उसकी परीक्षा कराने से इन्कार कर दिया था। सोमवार को जब वह बैक पेपर देने आई थी तब भी विश्वविद्यालय प्रशासन ने बता दिया था कि वह तृतीय सेमेस्टर की परीक्षा नहीं दे सकेगी। इसके बावजूद मंगलवार सुबह साढ़े सात बजे छात्रा परीक्षा देने के लिए जेल से विश्वविद्यालय परिसर पहुंच गई।
रुविवि के रजिस्ट्रार के डॉ. सुनीता पांडेय ने कहा कि फिलहाल कोर्ट ने छात्र को 75 फीसद उपस्थिति में छूट नहीं दी है। ऐसे में नियमानुसार उसे रेगुलर परीक्षाओं में शामिल होने की अनुमति नहीं दी जा रही है। अगर छात्र हाईकोर्ट या न्यायालय का कोई फैसला लेकर आती है तो उस पर अमल किया जाएगा। छात्रा के वकील कलविंदर सिंह का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर छात्र का प्रवेश रुहेलखंड विश्वविद्यालय में हुआ था। वह जेल में बंद है ऐसे में भला वह कक्षा में कैसे जा सकती थी। इसलिए उसे परीक्षा देने की अनुमति प्रदान करने में किसी तरह की अड़चन नहीं आनी चाहिए। हाईकोर्ट में याचिका दायर करने की बात संज्ञान में नहीं है।
लिखित इन्कारनामा लेने के लिए अड़ी रही
विधि विभाग के अध्यक्ष डॉ. अमित सिंह ने परीक्षा कराए जाने से इन्कार किया तो छात्रा ने उनसे लिखित में यही बात मांगी। इसपर उन्होंने रजिस्ट्रार या फिर परीक्षा नियंत्रक के पास जाने को कहा। करीब 11 बजे परीक्षा नियंत्रक डॉ. संजीव कुमार आए, तब लिखकर दिया कि उपस्थिति पूरी नहीं होने के कारण न तो उसका परीक्षा फार्म पास किया गया और न ही प्रवेश पत्र जारी हुआ। ऐसे में उसकी परीक्षा नहीं कराई जा सकती। यह पत्र एसएसपी शाहजहांपुर को संबोधित करते हुए छात्रा के साथ आए पुलिसकर्मियों को सौंप दिया गया। दूसरी प्रति डाक के माध्यम से भेजी गई। दोपहर करीब साढ़े बारह बजे छात्रा वहां से जेल वापस गई।
छात्रा बोली, शिक्षा मेरा अधिकार
छात्रा ने मीडिया से बातचीत में अपने केस से जुड़े किसी भी बिंदु पर कुछ बोलने से इन्कार कर दिया। हालांकि उसने कहा कि शिक्षा हासिल करना उसका अधिकार है। कोर्ट की अनुमति पर ही विशेष परिस्थिति में उसका यहां दाखिला हुआ था। अब अगर विश्वविद्यालय प्रशासन उसे परीक्षा में बैठने से मना कर रहा है तो यह कोर्ट की अवमानना है। वह हाईकोर्ट में याचिका दायर करेगी।
सीजेएम कोर्ट ने खारिज कर दी थी अर्जी
सीजेएम ने छात्र की उस अर्जी को खारिज कर दिया था जिसमें तृतीय सेमेस्टर में 75 फीसद की अनिवार्य उपस्थिति में छूट दिलाने की मांग की गई थी। सीजेएम ने इसे अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर का मामला बताया था।छात्रा ने लॉ विभाग के अध्यक्ष डॉ. अमित सिंह को बताया कि उसने 75 फीसद की अनिवार्य उपस्थिति में छूट के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर कर रखी है। इस पर डॉ. अमित ने उसे आश्वासन दिया कि अगर कोर्ट छूट की अनुमति दे देता है तो विश्वविद्यालय उसका पालन करेगा।
पेपर दे कर बोली थी होगी सत्य की जीत
बैक पेपर देकर निकली छात्र ने कहा था कि उसका पेपर काफी अच्छा हुआ है। ज्यादा सवालों से छात्र बचती रही। चिन्मयानंद प्रकरण पर जब उससे पूछा गया तो उसने कहा कि सत्य की ही जीत होगी। छात्र को 12 बजे परीक्षा खत्म होने के बाद वापस शाहजहांपुर ले जाया गया। करीब तीन बजे उसे जेल में वापस दाखिल कर दिया गया था।
शिष्या से दुष्कर्म मामले में 13 दिसंबर को सुनवाई
वर्ष 2012 में शिष्या से दुष्कर्म से आरोप में फंसे चिन्मयानंद के मुकदमे की सुनवाई अब 13 दिसंबर को होगी। यह प्रकरण स्थानीय स्तर पर एडीजे तृतीय एमपी-एमएलए कोर्ट में सुना जाएगा। इससे पहले यह प्रयागराज में गठित विशेष कोर्ट में इस प्रकरण की सुनवाई चल रही थी। चिन्मयानंद पर 2012 में उनकी शिष्या ने दुष्कर्म का आरोप लगाया था। इस मामले में उन पर चौक कोतवाली में मुकदमा दर्ज हुआ था। मामले में पुलिस ने जांच कर शाहजहांपुर में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) कोर्ट में दुष्कर्म व जान से मारने की धमकी की धाराओं में चार्जशीट 23 अक्टूबर 2012 को दाखिल की थी।
प्रदेश में भाजपा सरकार बनने पर 24 मई 2018 को सरकार की ओर से चिन्मयानंद पर दर्ज मुकदमे को वापस लेने के लिए प्रार्थना पत्र सीजेएम कोर्ट में दिया गया, जिस पर पीडि़ता ने अपनी आपत्ति दर्ज कराई थी। जिससे सहमत होते हुए तत्कालीन सीजेएम शिखा प्रधान ने केस वापसी के प्रार्थना पत्र को खारिज कर दिया था। इसके खिलाफ चिन्मयानंद फिर से हाईकोर्ट गए थे, जहां से 25 जुलाई 2018 को स्टे हो गया था। तब से यह मुकदमा प्रयागराज की स्पेशल एमपी-एमएलए कोर्ट में विचाराधीन था। अब इससे संबंधित फाइल को स्थानीय स्तर पर स्थानांतरित कर दिया गया है। जहां आगे की सुनवाई के लिए के लिए एडीजे तृतीय कोर्ट में 13 दिसंबर की तिथि तय की है।