जागरण विमर्श : चिकित्सकों की नियुक्ति से ही सुधरेंगे हालात : डॉ एसपी गोयल Bareilly News
आज आबादी बढ़ी है लेकिन सुविधा नहीं। बड़े-बड़े भवन बनाकर अस्पताल खड़े कर दिए जाते हैं। लेकिन इनमें इलाज करने के लिए चिकित्सक नहीं भेजे जाते।
बरेली, जेएनएन : स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली ज्वलंत मुद्दा है। बेहतर इलाज के लिए मरीज सरकारी की बजाय निजी अस्पतालों की ओर रुख कर रहे हैं।सरकारी अस्पताल चिकित्सक व पैरामेडिकल स्टाफ की कमी से जूझ रहे हैं। शासन-प्रशासन आंखें मूंदे बैठा है। सामान खरीद की बजाय चिकित्सक व पैरामेडिकल स्टाफ बढ़ाने पर जोर दिया जाए तो तहसील से लेकर ब्लॉक तक स्वास्य सेवाओं का हाल सुधर जाए। सोमवार को जागरण विमर्श में पहुंचे सेवानिवृत्त अपर निदेशक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य डॉ. एसपी गोयल ने उक्त विचार व्यक्त किए।
कहा, आज आबादी बढ़ी है लेकिन सुविधा नहीं। बड़े-बड़े भवन बनाकर अस्पताल खड़े कर दिए जाते हैं। लेकिन इनमें इलाज करने के लिए चिकित्सक नहीं भेजे जाते। सहयोगी स्टाफ का भी अभाव रहता है। जो तैनात होते हैं, उनमें से अधिकांश विभागीय योजनाओं का ग्राफ बढ़ाने में लगे रहते हैं। ऐसे में दिन में ड्यूटी करने वाले चिकित्सक पर रात्रि का भी भार आ जाता है।
इसके अलावा स्थानांतरण भी स्वास्थ्य सेवाओं की बेहतरी में रोड़ा बनता है। साल भर की तैनाती में जब तक चिकित्सक माहौल समझ पाता है, तब तक उसकी रवानगी हो जाती है। इसलिए स्वास्थ्य सेवा बेहतर बनाने के लिए प्लानिंग में बदलाव करना होगा।
चिकित्सकों में भी नहीं दिखती सीखने की ललक
उन्होंने बदहाली के लिए चिकित्सकों को भी जिम्मेदार बताया। कहा, आज कुर्सी से चिपके रहने की चिकित्सकों की भी आदत बन गई हैं। सीखने की ललक उन्होंने त्याग दी है। कुछ ऐसे भी उदाहरण मिल जाएंगे, जिन्हें इंजेक्शन तक लगाना नहीं आता। जबकि विदेशों में चिकित्सकों की योग्यता व दक्षता परखने के हर दस साल बाद परीक्षा होती है।
सरकारी को छोड़ निजी में कराते अपना इलाज
बाेले, नेता व अफसरों को भी सरकारी चिकित्सकीय सेवाओं का हाल पता है। अपना इलाज कराने के लिए निजी अस्पतालों में पहुंचते हैं। यदि फिजीशियन, सर्जन, महिला व बच्चों के चिकित्सक व सहयोग के लिए पैरामेडिकल स्टाफ मिल जाए तो अस्पताल बेहतर बन जाएगा।
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