प्रो. जैदी-जेटली की रिपोर्ट बनेगी प्रबंधन की फांस
जागरण संवाददाता, बरेली : प्रबंध समिति नहीं, बल्कि बोर्ड ऑफ कंट्रोल बरेली कॉलेज की सर्वोच्च
जागरण संवाददाता, बरेली : प्रबंध समिति नहीं, बल्कि बोर्ड ऑफ कंट्रोल बरेली कॉलेज की सर्वोच्च बॉडी है। हर निर्णय के लिए सिर्फ बोर्ड ही जिम्मेदार है। जबकि वर्तमान में प्रबंध समिति बोर्ड ऑफ कंट्रोल पर हावी हो गई है। नियमों को दरकिनार कर बायलॉज बदला गया, जो अवैध है। वर्ष 2004 में एमजेपी रुहेलखंड विश्वविद्यालय के तत्कालीन कुलपति प्रोफेसर जाहिद हुसैन जैदी ने अपनी रिपोर्ट में यह साफ लिखा था, जो वर्तमान में कॉलेज में मचे घमासान पर प्रबंधन की मुश्किलें बढ़ा सकता है।
विवि प्रशासन प्रो. जैदी और मौजूदा पर्यवेक्षक प्रो. एके जेटली की रिपोर्ट पर कॉलेज में पर्यवेक्षक बैठाने की पैरवी करने की तैयारी में है। जल्द ही कॉलेज में प्रबंधन के बजाय कंट्रोलर के हाथ कमान आने की संभावना पैदा हो गई हैं। शिक्षकों के मुताबिक, प्रो. जेटली पर्यवेक्षक बनने के दो-तीन बाद से बायलॉज का अध्ययन करने में जुट गए थे।
न्यास मंडल जो बना बोर्ड ऑफ कंट्रोल
वर्ष 1985 में बरेली कॉलेज की पहली प्रबंधन बॉडी न्यास मंडल बनी थी। तत्कालीन कमिश्नर जेसी रॉबर्टसन इसके अध्यक्ष थे। 1889 में न्यास मंडल को बोर्ड ऑफ कंट्रोल में संशोधित कर दिया गया। तब तक न्यास मंडल ही प्रबंध समिति था। वर्ष 1915 में न्यास मंडल को बरेली कॉलेज बोर्ड ऑफ कंट्रोल बन गया।
चुनाव में पर्यवेक्षक जरूरी
राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम 1973 में स्पष्ट है कि प्रबंध समिति के चुनाव के लिए पर्यवेक्षक की विधिक अनिवार्यता जरूरी है।
सदस्यता, संशोधन पर फंसेगा प्रबंधन
कॉलेज के 1988 के बायलॉज में स्पष्ट लिखा कि है कि बायलॉज में बदलाव के लिए शासन की अनुमति लेनी होगी। सभी सदस्यों की सदस्यता का अनुमोदन राज्यपाल से लेना होगा।
2015 का प्रबंध समिति का चुनाव खारिज
रुविवि ने असंवैधानिक रूप से बायलॉज बदलने और सदस्यों की सदस्यता अनुमोदित न कराने पर कॉलेज का 2015 का प्रबंध समिति का चुनाव भी रद करने की सिफारिश की है। इस दौरान जितने भी वित्तीय निर्णय, खर्च हुए, वे भी अवैध कर दिए गए हैं।
खारिज हो सकती है सदस्यता
बोर्ड ने 2015 में जो 14 नए सदस्य बनाए थे। उनकी सदस्यता भी खारिज करने की सिफारिश की तैयारी है। प्रशासनिक अधिकारी इन सदस्यों की सदस्यता को प्रो. जैदी की लिखित टिप्पणी-पब्लिक संपत्ति को प्राइवेट संपत्ति बनाने की कोशिश के संदर्भ के तौर पर देख रहे हैं, जिसका उन्होंने 14 साल पहले इशारा किया था।
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बायलॉज को बदलना और बिना अनुमति सदस्यों का चयन करना, ये तथ्य छिपाकर 2015 में प्रबंध समिति का चुनाव कराया गया था। इससे यह चुनाव स्वत: ही रद हो गया है।
- प्रोफेसर एके जेटली, चुनाव पर्यवेक्षक बरेली कॉलेज