Rajeev Trivedi Suicide Case : गेहूं खरीद सिस्टम ने ली सचिव की जान, लाखों का गेहूं सड़ने पर कर्ज में डूबे राजीव ने की आत्महत्या
Rajeev Trivedi Suicide Case शाहजहांपुर में साधन सहकारी समिति सचिव राजीव त्रिवेदी की गेहूं खरीद सिस्टम ने जान ले ली। दरअसल पिटारमऊ साधन सहकारी समिति पिटारमऊ सचिव राजीव के पास गुरुगांव और मनोरथपुर का चार्ज था। बारिश में खरीद केंद्रों का करीब एक ट्रक गेहूं सड़क गया।
बरेली, जेएनएन। Rajeev Trivedi Suicide Case : शाहजहांपुर में साधन सहकारी समिति सचिव राजीव त्रिवेदी की गेहूं खरीद सिस्टम ने जान ले ली। दरअसल पिटारमऊ साधन सहकारी समिति पिटारमऊ सचिव राजीव के पास गुरुगांव और मनोरथपुर का चार्ज था। इससे संबंधित क्रय केंद्रों पर हुई गेहूं खरीद के साथ परिवहन व भंडारण की भी जिम्मेदारी थी। बारिश में खरीद केंद्रों का करीब एक ट्रक गेहूं सड़क गया। करीब तीन ट्रक गेहूं रिजेक्ट कर दिया गया। इससे राजीव त्रिवेदी को शर्मसार होना पड़ा। विभागीय कार्रवाई व देनदानी से बचने के लिए वह घर से बरेली जाने के लिए कहकर निकले। गाजियाबाद में एक होटल में कारेाबारी बनकर कमरा लिया। रात में जीने की ग्रिल से लटकर जान दे दी।
सुसाइड नोट में लिख लिया था बेटे का नंबर
पुलिस को डेडबाॅडी उतारने के दौरान सुसाइड नोट भी मिला है। जिसमें राजीव त्रिवेदी ने गाजियाबाद में ही बीटेक की पढाई कर रहे बेटे वैभव का नंबर लिख लिया था। पुलिस ने इसी नंबर पर बात करके शनिवार को सुबह सूचना दी।
बंडा ब्लाक के गांव में हुई अंत्येष्टि
राजीव त्रिवेदी का अंतिम संस्कार बंडा ब्लाक के पैतृक गांव मुड़िया छावन में किया गया। इस गांव से राजीव त्रिवेदी की मां कृष्णा देवी प्रधान रही है। बेटे वैभव ने चिता को मुखाग्नि देकर अंतिम संस्कार किया।
बदायूं से स्थानांतरित होकर आए थे राजीव
वर्ष 2000 राजीव त्रिवेदी बदायूं में कार्यरत पिता धीरेंद्र कुमार त्रिवेदी मौत के बाद मृतक आश्रित के तहत भर्ती हुए थे। स्थानांतरण के तहत 2003 से जलालाबाद स्थित पिटारमऊ साधन सहकारी समिति पर कार्यरत थे। वर्तमान में आवास विकास कालोनी बरेली मोड़ में सेक्टर पांच वह किराए पर रह रहे थे।
पीसीएफ पर लाखों का बकाया है समिति का
धान तथा गेहूं खरीद करने पर पीसीएफ समितियों को कमीशन, परिवहन, पल्लेदार आदि मदों के तहत भुगतान करती है। लेकिन चार सीजन से पीसीएफ ने परिवहन को छोड़ अन्य किसी मद का भुगतान नहीं किया है राजीव त्रिवेदी के स्वजनों का कहना है कि यदि पीसीएफ से ही भुगतान मिल जाता तो शायद राजीव त्रिवेदी को जान न देनी पड़ती।