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हमेशा के लिए बंद होंगे सात रेल फाटक

जागरण संवाददाता, बरेली : आपका गांव, मुहल्ला रेलवे फाटकों या ट्रैक के किनारे है तो अब दूर-द

By JagranEdited By: Published: Mon, 26 Mar 2018 02:38 AM (IST)Updated: Mon, 26 Mar 2018 02:38 AM (IST)
हमेशा के लिए बंद होंगे सात रेल फाटक

जागरण संवाददाता, बरेली : आपका गांव, मुहल्ला रेलवे फाटकों या ट्रैक के किनारे है तो अब दूर-दराज के रास्तों से आने-जाने की आदत डाल लीजिए। शहर में स्थित सात रेल फाटकों को रेलवे हमेशा के लिए बंद करने की तैयारी में है। यह फाटक बरेली सिटी से भोजीपुरा ट्रैक पर स्थित हैं। इज्जत नगर रेल मंडल के डीआरएम ने इन सप्त द्वारों को सब-वे बनाकर बंद करने के लिए डीएम से प्रशासनिक मंजूरी मांगी है। डीएम ने इन पर विचार करने के लिए प्रकरण एडीएम सिटी को भेजा है।

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बंद होंगे यह फाटक

243 स्पेशल, कुदेशिया फाटक

शहर की सबसे व्यस्त रेलवे क्रॉसिंग है। गांधी नगर, रेलवे कॉलोनी, अशरफ खां छावनी, इज्जत नगर क्षेत्र की बड़ी आबादी इसी फाटक से जुड़ी है। रोजाना करीब तीन से चार लाख आबादी और वाहन निकलते हैं। अक्सर जाम से जूझने वाले इस फाटक पर रेलवे ने 2014 में ओवरब्रिज बनाया था। तब से ही फाटक बंद करने की कसरत हो रही है, लेकिन जनता के विरोध के चलते बंद नहीं किया जा सका है।

बोले लोग

फतेहगंज पश्चिमी ब्लॉक स्थित विद्यालय में रोजाना जाता हूं। पुल से निकल जाता हूं। कभी अशरफ खां छावनी या अन्य स्थिति में ट्रैक के दूसरी तरफ जाने के लिए भी या तो फाटक खुलने का इंतजार करो या पुल का चक्कर काट के निकलना पड़ता है।

-शैलेंद्र सिंह, गांधी नगर

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डीआरएम कार्यालय क्रॉसिंग

यह रेल फाटक इज्जत नगर रेल मंडल कार्यालय पर है। एक तरफ डीआरएम का प्रशासनिक दफ्तर, रेलवे कारखाना और पीछे के अन्य दफ्तर हैं तो दूसरी तरफ नैनीताल रोड की तरफ रेलवे कॉलोनी है। हालांकि, इस फाटक से ज्यादातर रेलवेकर्मी ही निकलते हैं। फिर भी दिन भर व्यस्त रहता है। कत्था फैक्ट्री फाटक

यह फाटक भी नैनीताल रोड किनारे स्थित है। कत्था फैक्ट्री में ढाई हजार से ज्यादा कर्मचारी हैं। फैक्ट्री से लगातार वाहन और कर्मचारियों के आने-जाने पर व्यस्तता के चलते फाटक बना था। ट्रैक किनारे ही बड़ा गुरुद्वारा है। अन्य मुहल्लों के लोगों के आने-जाने का यही मुख्य रास्ता है। रेलवे ने इस फाटक को करीब चार साल से स्थाई तौर पर बंद कर दिया। तब से लोगों को शहीद अनिल द्वार या अन्य रास्तों से होकर निकलना पड़ता है। इमरजेंसी में रेलवे अधिकारियों की अनुमति पर फाटक खोला जाता है।

बोले लोग

मैं कत्था फैक्ट्री के स्टोर विभाग में कार्यरत हूं। रोजाना ड्यूटी के लिए मोटरसाइकिल से आता हूं। फाटक तो कभी खुले नहीं देखा। अंडरपास ही बन जाए तो भी दिक्कत दूर हो सकेगी।

-अवधेश मिश्रा, सीबीगंज नगरिया कला फाटक

यह फाटक शहर से करीब सात किमी दूर भोजीपुरा ट्रैक पर ही है। आसपास नगरिया परीक्षित, भूरा गांव, पट्टी, भगवंतापुर आदि गांव तो सामने करमपुर चौधरी के लोगों के आवागमन का मुख्य रास्ता है। करीब 12 से 15 हजार की आबादी इन गांवों की इस फाटक पर सीधे तौर पर निर्भर है।

बोले लोग

फाटक के आसपास तो काफी बड़ी आबादी और गांव रहते हैं। लोग इसी फाटक से निकले हैं। बंद होने पर पैदल तो निकल जाते हैं। हमेशा के लिए बंद करेंगे तो बहुत परेशानी झेलनी पड़ेगी।

-आबिद अली, नगरिया कला भूड़ा गांव फाटक

नगरिया से करीब सवा किलोमीटर आगे ही यह क्रॉसिंग स्थित है। फाटक से गांव की तरफ भगवतपुर, सैदपुर, गौटिया, अटा, लटूरी, कसमापुर, गिरधारीपुर, बिबियापुर आदि क्षेत्र की बड़ी आबादी निकलती है।

बोले लोग

बिलवा से भूड़ा या आसपास के गांव आने-जाने के लिए यही रास्ता है। अक्सर फाटक बंद होने पर ट्रेन का लंबा इंतजार करना पड़ता है। अगर ट्रैक के बजाय अंडरपास बनाएंगे तो सुविधा तो मिलेगी।

-राजेश कुमार, बिलवा सिद्धिविनायक कॉलेज फाटक

यह फाटक बहुत अधिक पुराना नहीं है। करीब पांच-छह साल पहले तक कॉलेज से करीब 600 मीटर भोजीपुरा की ओर दोहना में फाटक था। लेकिन, कॉलेज स्थापना और यातायात अधिक होने पर दोहना का फाटक बंद कर कॉलेज के सामने नई क्रॉसिंग बनाई गई। ताजिये, शवयात्रा के लिए घूमकर ले जाने पर स्थानीय लोगों ने कई बार विरोध भी किया।

बोले लोग

हमारे लिए दिक्कतें बहुत बढ़ गई हैं। इस फाटक के चक्कर में हमें ही नैनीताल रोड के दोहना टोल को पार करके आना पड़ता है। टोल पर किसानों को भी राहत नहीं है। अंडरपास से राहत मिलेगी।

-फैयाज खान, दोहना रम्पुरा माफी फाटक

यह काफी बड़ा गांव है। करीब 10 हजार से ज्यादा आबादी इस फाटक को पारकर भोजीपुरा औद्योगिक क्षेत्र और बरेली शहर आती-जाती है।

बोले लोग

हमारे लिए फाटक बंद होने से काफी दिक्कतें बढ़ जाएंगी। ज्यादातर खेती-बाड़ी वाले लोग हैं। ट्रैक्टर और अन्य साधनों से फसल ले जाते हैं। अंडरपास से तो यह सब निकल भी नहीं पाएगा।

-फकरुद्दीन, किसान दोहना डेढ़ से दो करोड़ तक एक सब-वे की लागत

रेलवे के इंजीनिय¨रग विभाग के एक अधिकारी के मुताबिक सब-वे का निर्माण ऐसे स्थानों पर होता है जहां यातायात व्यस्तता कम और रेलवे ओवरब्रिज निर्माण के लिए उपयुक्त जगह न उपलब्ध हो। ऊंचाई पर स्थित ट्रैक पर सबसे बनाने का खर्च लगभग एक करोड़ तक आता है। वहीं, रोड लेवल के ट्रैक पर पक्का सब-वे बनाने की लागत करीब डेढ़ करोड़ तक आती है। इसमें जमीन की खुदाई अधिक करनी पड़ती है। रोजाना पास होती हैं 26 से 28 ट्रेनें

इज्जत नगर डिवीजन ने जिन फाटकों को स्थाई रूप से बंद करने के लिए चिह्नित किया है, उस ट्रैक से पीलीभीत और लालकुआं रूट पर ट्रेनों का संचालन होता है। रेलवे के मुताबिक रोजाना पैसेंजर से लेकर वीकली एक्सप्रेस और मालगाड़ी मिलाकर औसतन 26 से 28 ट्रेनें इन फाटकों से होकर गुजरती हैं। हर फाटक से बचेगा सालाना 10 लाख

एक क्रॉसिंग पर तीन गेटमैन की तैनाती की जाती है। औसतन एक गेटमैन का कुल वेतन लगभग 26 हजार रुपये है। इस आधार पर 78 हजार रुपये प्रतिमाह केवल वेतन खर्च। यह सालाना नौ लाख 36 हजार रुपये बनता है। मेंटीनेंस और केबिन के विद्युत खर्च आदि को मिलाकर लगभग 10 लाख रुपये वार्षिक केवल फाटक पर गेट उठाने-गिराने में ही खर्च होता है। रेलवे का मानना है कि फैसले से 10 लाख रुपये बचेंगे। इनका कहना है..

र लवे की तरफ से अनुमति के लिए पत्र मिला है। लोगों को यदि आवागमन का वैकल्पिक रास्ता रेलवे ही उपलब्ध कराता है, तब इस पर विचार किया जाएगा।

-ओपी वर्मा, एडीएम सिटी, कुछ क्रॉसिंग पर कम यातायात होने पर भी फाटक बंद करने से पहले लोगों की सुविधा के लिए सब-वे बनाए जाते हैं। इसी के तहत प्रशासन से अनुमति मांगी गई है।

-राजेंद्र सिंह, जनसंपर्क अधिकारी, पूर्वोत्तर रेलवे


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