ट्रेनें ही नहीं, रेलवे के आदेश भी चल रहे लेट
रेलवे प्रशासन का हाल भी इन दिनों ट्रेनों की तरह हो गया। वक्त से घंटों पीछे दौड़ना।
दीपेंद्र प्रताप सिंह, बरेली
रेलवे प्रशासन का हाल भी इन दिनों ट्रेनों की तरह हो गया। वक्त से घंटों पीछे दौड़ना। बेहद लचर हो चुकी संचालन व्यवस्था में ढिलाई पहले ही सामने आ रही थी, सोमवार को पहुंची परीक्षा स्पेशल ट्रेन की सूचना ने पूरे सिस्टम पर सवाल खड़े कर दिए। वो भी तब, जब मामला रेलवे परीक्षार्थियों की सहूलियत और भविष्य से जुड़ा था। जानकार आप भी हैरान रह जाएंगे, जिस स्पेशल ट्रेन से परीक्षार्थियों को जाना था वह दिल्ली पहुंच गई और सूचना घंटो बाद प्रकाशित की गई।
रेलवे बोर्ड ने 90 हजार पदों के लिए करीब तीन करोड़ आवेदन मांगे हैं। देश में कई जगह परीक्षा केंद्र बनाए गए है। अभ्यर्थियों की सहूलियत के लिए उ.रे. ने सहरसा-आनंदविहार टर्मिनल परीक्षा स्पेशल ट्रेन 19 अगस्त को सहरसा से सुबह साढ़े आठ बजे चलाई थी। 20 अगस्त की सुबह 10.40 पर इसे मुरादाबाद जंक्शन से होते हुए दोपहर दो बजकर पचास मिनट पर आनंदविहार टर्मिनल पहुंचना था। अमूमन स्पेशल, खासकर परीक्षा संबंधी ट्रेनों की जानकारी दो से तीन दिन पहले दी जाती है, लेकिन उत्तर रेलवे का जनंसपर्क विभाग बेपरवाह बना रहा। वेबसाइट पर सूचना 20 अगस्त को ही जारी की गई। मतलब साफ है, अखबारों से लेकर अन्य सूचना माध्यम से परीक्षार्थियों तक उसकी जानकारी वक्त पर नहीं पहुंच सकी। ट्रेन धड़धड़ाती हुई गुजर गई और किसी जरूरतमंद को पता तक नहीं चला।
पिछली बार कम अभ्यर्थी होने से रखी फीस
पिछली बार रेलवे भर्ती के लिए 92 लाख उम्मीदवारों ने आवेदन किया था। इसमें से 57 लाख ही शामिल हुए थे। रेलवे का कहना है कि उसने सभी अभ्यर्थियों के लिए इंतजाम किए थे। कम अभ्यर्थी आने से मोटी रकम बर्बाद हुई। जिस कारण इस बार रेलवे ने परीक्षा के आवेदन के साथ पाच सौ रुपये की फीस रखी। परीक्षा में शामिल होने वाले उम्मीदवारों को इनमें से 400 रुपये वापस होने हैं। ऐसे में परीक्षा छूटने से सैकड़ों अभ्यर्थियों की फीस भी हाथ से जाएगी।