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Corona Fobia : मनोचिक‍ित्‍सक बोले - घबराएं नहीं, वरना हो सकते हैं मानसिक रोगों के शिकार Bareilly News

मानसिक अस्पताल के चिकित्सक सीपी मल्ल ने कहा कि बीमारी से बचाव के बेहद सामान्य तरीके हैं बस उन्हीं पर ध्यान दीजिए।

By Ravi MishraEdited By: Published: Sat, 11 Apr 2020 08:41 AM (IST)Updated: Sat, 11 Apr 2020 01:49 PM (IST)
Corona Fobia : मनोचिक‍ित्‍सक बोले - घबराएं नहीं, वरना हो सकते हैं मानसिक रोगों के शिकार Bareilly News

बरेली, अशाेक आर्य ।  कोरोना वायरस के संक्रमण से विश्व में जो हालात हैं, उससे हर कोई फिक्रमंद है। बचाव के लिए सतर्कता रखिए मगर दिमाग में कोरोना का खौफ बिलकुल मत रखिए। मानसिक अस्पताल के चिकित्सक सीपी मल्ल ने कहा कि बीमारी से बचाव केबेहद सामान्य तरीके हैं, बस उन्हीं पर ध्यान दीजिए। चूंकि इस वक्त लॉक डाउन है इसलिए अकेलापन भी नहीं है, सभी की छुट्टी है। ऐसे में बीमारी के बारे में अकेले बैठकर सोचने के बजाय परिवार के सदस्यों के साथ अधिकतम समय गुजारें। कोरोना के बारे में हर वक्त सोचेंगे तो मानसिक रोगों का शिकार हो सकते हैं।

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एकांत में ज्यादा न बैठें : अकेले में ज्यादा देर से रहने से दिमाग में बुरे ख्याल आते हैं। इसलिए शारीरिक दूरी बनाते हुए परिवार के लोगों के आसपास रहें। अधिक घबराहट होने पर मानसिक बीमारी की शुरूआत होने लगती है। इसकी वजह अनुवांशिक भी हो सकती है। मसलन, यदि मां-पिता ज्यादा घबराहट महसूस करते हैं तो उनके संतान को भी ऐसा हो सकता है।

एक ही बात के बारे में लगातार न सोचें : बेहतर है किसी एक बात के बारे में बार-बार न सोचें। इस वक्त आपके सभी अपने आसपास ही हैं, उनके साथ एक मीटर दूरी पर बैठकर पुराने अच्छे दिनों की यादें ताजा करें।

ज्यादा तनाव यानी ओसीडी : यदि लगातार तनाव करेंगे, एक ही बात पर सोचेंगे तो ऑबसेसिव कंप्लसिव डिसआर्डर (ओसीडी) नामक मनोरोग की ओर बढ़ते जाएंगे।

इस बीमारी में इस बीमारी में मरीज को साफ-सफाई की लत लग जाती है। बार-बार नहाना, एक ही बर्तन या अन्य वस्तु को काफी देर तक साफ करते रहना।

शुरूआत में यह सामान्य लगता है, बाद में बीमारी पनपती जाती है। दिमाग को लगता है कि एक ही काम बार-बार किया जा रहा मगर दूसरा विचार आता है कि ऐसा करते जाएं।

स्वच्छता का ध्यान रखिए छुटिटयों का आनंद लीजिए

हाथ धोते रहिए, सफाई भी रखिए, मगर बेवजह का तनाव लेकर न बैठें। घर में खुद को एकदम सुरक्षित मानते हुए परिवार के साथ छुट्टियां बिताएं।

बाहर जो हो रहा, होने दीजिए। टीवी पर मनोरंजन चैनल ज्यादा देखें। रिश्तेदारों से फोन पर बात करते रहें।

घर के काम में हाथ बंटाएं, पुराने पेंडिंग पड़े काम निपटाएं। 


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