महंगाई की मार: दिन-ब-दिन बढ़ते जा रहे सब्जियों के दाम, राहत के नहीं इंतजाम Bareilly News
थोक से लेकर फुटकर तक कुछ सब्जियों के दाम ऐसी ऊंचाई छू रहे हैं कि आम आदमी ने या तो बहुत कम या फिर उनसे तौबा कर ली है।
जेएनएन, बरेली। मौसम तो अब खान-पान के लायक है लेकिन सब्जियां हैं कि थाली में नहीं आना चाह रही हैं। थोक से लेकर फुटकर तक कुछ सब्जियों के दाम ऐसी ऊंचाई छू रहे हैं कि आम आदमी ने या तो बहुत कम या फिर उनसे तौबा कर ली है। वहीं थोक मंडी से घर के दरवाजे तक पहुंचकर सब्जियां दो से तीन गुने दामों में बेची जा रही हैं। कुछ दिनों पहले जहां प्याज ने आंसू निकाल दिए थे तो अब लहसुन के आगे लोग लाचार नजर आ रहे हैं। वहीं दालों में खासतौर से अरहर के दाम में कुछ तेजी देखी जा रही है।
अधिक बारिश से कई राज्यों में असर
इस साल मानसून के सीजन में कई राज्यों में बहुत ज्यादा बारिश हुई। इससे खरीफ की फसल को भारी नुकसान हुआ। बारिश के चलते कर्नाटक, महाराष्ट्र, आंघ्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात आदि में प्याज और लहसुन की फसल 70 से 85 फीसद तक खराब हो गई। व्यापारियों की नजर पूरी तरह बाहर से आवक पर टिकी हुई हैं।
इस सप्ताह प्याज की बढ़ी आवक
इस सप्ताह प्याज की आवक बढ़ी है जिससे दामों में गिरावट आई है। लेकिन मंडी के बाहर ठेले पर सब्जी बेचने वालों ने दाम कम नहीं किए हैं। हर कोई थोक मंडी दूर होने से लोग नजदीकी बाजार से फड़-ठेला आदि पर महंगी सब्जी खरीदते हैं।
अनाज-दाल में भी उठा-पटक
दाल व्यापारी अवधेश अग्रवाल ने बताया कि तीन माह में अनाज और दालों में भी उठा-पटक रहीं। गेंहू में जहां 250 रुपये प्रति क्विंटल तक का उछाल रहा तो उड़द और मसूर की दाल भी दो सौ रुपये की तेजी रही। हालांकि अब भरपूर स्टॉक होने से दाम स्थिर हो गए हैं।
चीनी के दामों में भी उतार-चढ़ाव
चीनी व्यापारी पुनीत बंसल ने कहा कि प्रतिदिन चीनी के दामों में भी उतार-चढ़ाव हो रहा है। एक सप्ताह पहले चीनी के दाम 3340 रुपये किलो प्रति किलो थे जो 3315 रुपये तक गिरे। लेकिन चीनी ने फिर तेजी दिखाई है। हालांकि अगले माह के लिए सरकार द्वारा चीनी की खरीदारी की जा चुकी है। इससे चीनी के बाजार दामों में ज्यादा असर नहीं रहेगा।
क्या कहते हैं सब्जी व्यापारी
महीने के आखिर में बढ़ जाते दाम
सब्जी व्यापारी शुएब मुहम्मद ने बताया कि सब्जी के दाम निश्चित होते हैं। महीने का आखिर होने से दाम कुछ बढ़ जाते हैं। लेकिन बाजार में दुकानदार अपने हिसाब से दाम तय करता है।
प्याज के थोक दाम कम होने का असर
प्याज आढ़ती मुहम्मद इमरान ने बताया कि प्याज के थोक दाम कम होने का असर फुटकर दुकानदारों पर भी होता है। सहालग के हिसाब से डिमांड ज्यादा है लेकिन सप्लाई नहीं हो रही। इससे दाम अभी भी ऊंचे हैं।
क्या बोलीं गृहणियां
प्याज का इस्तेमाल भी कम कर दिया है। लहसुन भी महंगा हो गया है। मंडी में दाम कम होने की जानकारी नहीं है। ठेले वाले से ही उसकी बताई कीमतों पर खरीदते हैं।
- प्रेमा सिंह, कटरा चांद खां
ठेलों से सब्जी खरीदना बंद कर दिया है। मंडी में अपेक्षाकृत दाम कम है। लोगों को मंडी आकर ही सब्जी खरीदनी चाहिए। इससे बचत होती है। घर का बजट नहीं बिगड़ता है।
- ममता सक्सेना सुभाष नगर
दामों में इतना अंतर आ जाता है, ऐसे में प्रशासन को महंगी सब्जियों के लिए स्टॉल लगाकर नियंत्रण कराना चाहिए। इस दिशा में ध्यान देने की जरूरत है।
सिंधु सक्सेना, कृष्णा नगर