लोकसभा चुनाव 2019: राजनीतिक पार्टियां परख रहीं, किसमें कितना दम
आयोग ने लोकसभा चुनाव का एलान कर दिया। अब इंतजार राजनीतिक दलों के पत्ते खोलने का हो रहा है।
चुनाव डेस्क, बरेली : आयोग ने लोकसभा चुनाव 2019 का एलान कर दिया। अब इंतजार राजनीतिक दलों के पत्ते खोलने का हो रहा है। इससे पहले सभी राजनीतिक पार्टियां अच्छे से परख रही हैं कि किसमें कितना दम है। भाजपा बरेली और आंवला सीटों पर काबिज है। माना जा रहा कि पार्टी फिर से अपने दोनों सांसदों बरेली में संतोष गंगवार और आंवला से धर्मेद्र कश्यप को लड़ा सकती है। यदि ऐसा हुआ तो इन दोनों के मुकाबले गठबंधन और कांग्रेस से कौन आएगा, अभी तय नहीं है। हां, राजनीतिक दलों के खेमों में हलचल जरूर बढ़ गई है।
भाजपा और कांग्रेस के खेमे में गहमागहमी है। ऐसा ही माहौल सपा और बसपा कार्यालयों पर भी है लेकिन बरेली और आंवला दोनों सीट से उम्मीदवारों को लेकर स्थिति साफ नहीं है। दावेदार तो कई बताए जा रहे हैं लेकिन टिकट किसे मिलेगा, इस पर दोनों ही दलों के प्रमुख पदाधिकारी स्वयं संशय में हैं। गठबंधन में बरेली सीट सपा के खाते में हैं। आंवला बसपा के लिए छोड़ी गई है।
बदायूं में टिकट वितरण में सपा और कांग्रेस सबसे आगे
बदायूं की सीट पर तीन प्रमुख पार्टियों के उम्मीदवारों के बीच घमासान होने के संकेत दिखने लगे हैं। सपा-बसपा गठबंधन और कांग्रेस अपना उम्मीदवार मैदान में उतार चुकी है। सत्ताधारी पार्टी भाजपा किसे टिकट देगी, अब इस पर निगाह है। भाजपा के टिकट के दावेदार दिल्ली में जमे हुए हैं, खुद का वजूद और समीकरण की दुहाई देकर दावेदारी पेश की जा रही है। धर्मेंद्र यादव हैट्रिक लगाने के इरादे से चुनावी समर में कूद चुके हैं। वह सपा-बसपा गठबंधन के प्रत्याशी हैं। वहीं चार बार इसी सीट से सांसद रह चुके सलीम इकबाल शेरवानी को कांग्रेस ने मैदान में उतारा है। अब सपा-बसपा गठबंधन और कांग्रेस की नजर भाजपा के उम्मीदवार पर टिकी होगी। भाजपा के लिए बदायूं का उम्मीदवार अहम होगा, क्योंकि पिछली बार मोदी लहर के बावजूद संगठन इस सीट पर प्रत्याशी की नैया पार नहीं लगा सका था। ऐसे में इस बार किसी मजबूत चेहरे की तलाश हो रही। गठबंधन और कांग्रेस के प्रत्याशी चयन के बाद जो समीकरण बन रहे, उन पर भी भाजपा गौर कर रही।
शाजहांपुर में हर पार्टी में घमासान
भाजपा की सांसद कृष्णाराज शाहजहांपुर सीट पर काबिज हैं। हालांकि टिकट को लेकर इस पार्टी में भी स्थिति स्पष्ट नहीं है। दावेदारों की जोर आजमाइश जारी है। गठबंधन में प्रत्याशी कौन होगा, इस पर विचार चल रहा। कांग्रेस में भी अंदरूनी हलचल तेज है मगर प्रत्याशी का चेहरा सामने नहीं आ सका है। हालांकि पुराना वजूद पाने के लिए जोर लगेगा।
सपा में तीन दावेदार, कांग्रेस चुप
पीलीभीत संसदीय सीट से केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका संजय गांधी ने छह बार जीत हासिल की है। वहीं एक बार उनके पुत्र वरुण गांधी इस सीट से सांसद चुने गए हैं। जबकि समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी गठबंधन के तहत पीलीभीत सीट पर सपा उम्मीदवार उतारने का निर्णय लिया जा चुका है। प्रत्याशी कौन होगा, इस पर निर्णय भले न हुआ तो हो मगर दावेदारी मजबूती से चल रही। दो पूर्व मंत्रियों ने टिकट का दावा किया है, जिनमें एक बरेली के हैं। साथ ही एक पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष भी टिकट की चाह में लगे हुए हैं। वहीं कांग्रेस को इस सीट के लिए एक मजबूत चेहरे की तलाश है। कांग्रेस के स्थानीय नेता इस मामले पर खुलकर बोलने से परहेज कर रहे हैं।