खजुरिया के हालात तनावपूर्ण, शासन भेजी रिपोर्ट
सावन का आखिरी सोमवार अफसरों को बड़ी टेंशन दे रहा।
जागरण संवाददाता, बरेली: सावन का आखिरी सोमवार अफसरों को बड़ी टेंशन दे रहा। वजह बना है खजुरिया और उमरिया गांव के लोगों का रवैया। खजुरिया गांव के लोग कह रहे कि सोमवार को कांवड़ यात्रा उमरिया होते हुए ही निकलेगी। पिछले साल भी इसी रास्ते से गए थे। दूसरी ओर उमरिया वाले यह कहते हुए विरोध पर अड़े हैं कि नई परंपरा नहीं पड़ने देंगे। शहर से सटे इन दोनों गांव के हालात देखकर अफसर शुक्रवार को दिनभर वहां डटे रहे। दोनों पक्षों से बात की मगर कोई रकम नहीं हुआ। फिलहाल शासन को रिपोर्ट भेजकर हालात बयां कर दिए गए। कोशिश की जा रही कि किसी तरह बीच का रास्ता निकल आए।
बिथरी के खजुरिया गांव से कांवड़ियों का जत्था जाएगा, इसलिए वहां पुलिस का मूवमेंट बढ़ा दिया गया। हल्का इंचार्ज व कई सिपाही वहीं टिके हैं। शुक्रवार दोपहर को एसडीएम सदर व एसपी सिटी अभिनंदन कुमार गांव पहुंचे। बैठक कर लोगों के सामने प्रस्ताव रखा कि कांवड़ ले जाने का रास्ता बदल दें। मगर लोग नहीं माने। काफी देर माथापच्ची के बावजूद बात नहीं बनी तो अधिकारियों ने कहा कि कांवड़ यात्रा ल जाएंगे तो इसकी परमीशन लेनी होगी। उस वक्त तो ग्रामीणों ने हामी भर दी मगर अनुमति का आवेदन नहीं किया। यह कहते हुए कि कावंड़ यात्रा तो हर साल इसी रास्ते से गुजरती है। पुलिस बेवजह नए पेंच फंसा रही।
रविवार को 150 लोगों का जत्था होगा रवाना
रविवार सुबह को खजुरिया ब्रह्मनान से तकरीबन डेढ़ सौ लोगों का जत्था जल लेने कछला जाएगा। जोकि उमरिया होते हुए गुजरेगा। सोमवार को वापस आकर जलाभिषेक होगा। दोनों गांवों में बाहरी लोगों का जमावड़ा न हो इसके लिए पुलिस दोनों गांवों की सीमाएं सील कर सकती है। बाहरी लोगों के गांव में आने पर प्रतिबंध लगाया जा सकता है।
दो किलोमीटर के रास्ते को लेकर है विवाद
खजुरिया गांव के लोग उमरिया गांव के अंदर से कांवड़ ले जाने की बात कह रहे है। अंदर तकरीबन दो किलोमीटर का रास्ता गांव के घनी आबादी के बीच से जाता है। इसी को लेकर टकराव की स्थिति बनी हुई है।
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पिछली बार भी हम इसी रास्ते से गए थे। इस बार भी इधर से ही जाएंगे। आखिर कांवड़ियों को इस रास्ते से जाने से क्यों रोका जा रहा है। जबकि रास्ता ही यही है।
- किशन लाल, बीडीसी मेम्बर, खजुरिया निवासी
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कांवड़ कभी भी उमरिया के रास्ते से नहीं गई। हमें पुलिस प्रशासन पर भरोसा है कि वह कोई भी नई परंपरा नहीं पड़ने देगा। हम मस्जिदों से दुआ करेंगे कि अमन चैन बरकरार रहे।
- हाजी शराफत अली खां, जिला पंचायत सदस्य, उमरिया निवासी