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पीलीभीत में चार हजार हेक्टेयर बढ़ गया धान का रकबा

जिले में समय समय पर हुई पर्याप्त बरसात और मौसम के अनकुल रहने से धान की रिकार्ड पैदावार होने का अनुमान है।

By Ravi MishraEdited By: Published: Wed, 16 Sep 2020 11:00 PM (IST)Updated: Wed, 16 Sep 2020 11:00 PM (IST)
पीलीभीत में चार हजार हेक्टेयर बढ़ गया धान का रकबा
पीलीभीत में चार हजार हेक्टेयर बढ़ गया धान का रकबा

पीलीभीत, जेएनएन। जिले में समय समय पर हुई पर्याप्त बरसात और मौसम के अनकुल रहने से धान की रिकार्ड पैदावार होने का अनुमान है। फसल बेहद अच्छी होने के पीछे जिले में साठा धान की रोपाई भी न होना प्रमुख कारण माना जा रहा है। पिछले साल के मुकाबले इस बार चार हजार हेक्टेअर रकबा बढ़ गया है। तराई के इस जिले में धान, गेहूं, गन्ना किसानों की मुख्य फसल है। पिछले वर्ष तक चौथी फसल साठा धान के रूप में हो रही थी।

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सीजनल धान से पहले बेहद गर्मी के मौसम में तैयार की जाने वाली साठा धान की फसल में पानी और पेस्टीसाइड का अंधाधुंध दोहन होने से तत्कालीन जिलाधिकारी वैभव श्रीवास्तव ने रोक लगा दी थी। साठा धान से जहां सीजनल धान पर प्रभाव पड़ता था वहीं रोग और कीटों में भी बेतहाशा वृद्धि होती थी। हालांकि कुछ जगह साठा धान की फसल लगाने के लिए प्रशासन और किसानों में जोर अजमाइश भी हुई लेकिन प्रशासन के सख्त रवैये के कारण यह फसल नहीं लग सकी।

इसका फायदा अब किसानों को देखने को मिल रहा है। पिछले वर्ष की अपेक्षा इसबार धान की फसल बेहद अच्छी है। किसान लहलहाती फसल देखकर खुश है। किसानों की आर्थिक लागत भी पिछले वर्ष के सापेक्ष कम आई है। कृषि विभाग के अधिकारी इस सीजन जरूरत के हिसाब से समय समय पर पानी की बरसात होने और मौसम की पर्याप्त अनकुलता की वजह से फसल अच्छी होना मान रहे हैं। चार हजार हेक्टेअर धान की फसल में इजाफा हुआ है। गत वर्ष 137506 हेक्टेअर में फसल थी। इस बार बढ़कर 141595 हेक्टर हो गई है।

धान की फसल अत्यधिक बरसात और अत्यधिक सूखा होने से अच्छी नहीं होती है। इस बार जरूरत के हिसाब से समय समय पर बरसात हुई। मौसम फसल के अनकुल रहा। साठा धान न लगने से रोग और कीट भी फसल में कम लगे। इससे फसल बेहद अच्छी है।यशराज सिंह उपकृषि निदेशक

पिछली बार 49.50 कुंतल प्रति हेक्टेअर धान की फसल का उत्पादन हुआ था। इसबार अभी क्राफ कटिंग नहीं कराई गई है। अनुमानित 50 से 51 कुंतल प्रति हेक्टेअर धान का उत्पादन होने का अनुमान है। चार हजार हेक्टेअर के करीब रकबा भी बढ़ा है।जिला कृषि अधिकारीडा. विनोद यादव

साठा धान की वजह से फसल इस बार धान की फसल में बेहद कम रोग कीट लगे। जितने पानी की जरूरत धान में थी उस हिसाब से बरसात की वजह से पानी मिलता रहा। फसल बेहद अच्छी है। पिछले वर्ष की अपेक्षा उत्पादन बढ़ेगा।डा. एसएस ढाका वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक

प्रतिबंध लगने से पहले साठा धान की रोपाई कर लेता था। प्रतिबंध लगने के बाद साठा धान नहीं लगाया। इसका असर देखने को मिला। पिछले वर्ष की अपेक्षा इस बार फसल बेहद अच्छी है।रजनीश अवस्थी

धान में रोग और कीट बेहद कम लगे। समय समय पर बरसात होने से आर्थिक बोझ नहीं बढ़ा। फसल काफी अच्छी है। पिछले वर्ष की अपेक्षा इस बार उत्पादन में बढ़ोत्तरी होने की उम्मीद है।जागेश्वर दयाल

रोग और कीट लगने और बरसात न होने से पिछली वर्ष बेहद अधिक लागत आई थी। लागत से कुछ ही ज्यादा धान की उपज हुई थी। इसबार लागत काफी घटी है। फसल भी अच्छी है।रामसेवक वर्मा

साठा धान पहले ही प्रतिबंधित कर देना चाहिए था। इससे जहां गर्मी के मौसम में पानी का दोहन होता है वहीं सीजनल धान में रोग और कीटों की बढ़ोत्तरी हो जाती है। साठा न लगने से लाभ हुआ है। राजेन्द्र प्रसाद


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