Move to Jagran APP

सवाल करती जन्म लेने वाली अनाथ बेटियां Bareilly News

इसे मां की मजबूरी कहें या फिर जन्म लेने वाली उन बेटियों का दुर्भाग्य! जिनके पास मां तो है। लेकिन उनके सिर पर मां का साया नहीं।

By Abhishek PandeyEdited By: Published: Sat, 28 Sep 2019 09:59 PM (IST)Updated: Sat, 28 Sep 2019 09:59 PM (IST)
सवाल करती जन्म लेने वाली अनाथ बेटियां Bareilly News
सवाल करती जन्म लेने वाली अनाथ बेटियां Bareilly News

रवि मिश्रा, बरेली :

loksabha election banner

इसे मां की मजबूरी कहें या फिर जन्म लेने वाली उन बेटियों का दुर्भाग्य! जिनके पास मां तो है। लेकिन उनके सिर पर मां का साया नहीं। जन्म देकर अस्पताल में अपने कलेजे के टुकड़े को छोडऩे वाली मां की भी जरुर कोई न कोई मजबूरी रही होगी। उसके अपने तर्क भी होंगे। लेकिन उस मजबूरी और तर्कों के इतर जन्म लेने वाली बच्चियां भी समाज और सिस्टम से एक सवाल पूछती नजर आती है आखिर मेरा क सूर क्या है?

क्या कहेगा समाज 

हाल ही में एक युवती ने अस्पताल में एक बच्ची को जन्म दिया। जन्म देने के कुछ घंटे बाद ही युवती ने बच्ची को अस्पताल में यह कहते हुए छोड़ दिया कि वह बिन ब्याही मां है। अगर बच्ची को घर ले जाएगी तो समाज क्या कहेगा? जिसके बाद युवती अपने पिता के साथ वापस घर लौट गई। अब उसकी देखभाल हॉस्पिटल में ही काम करने वाली एक नर्स कर रही है।

बेटा नहीं बेटी है मुस्कान  

मई माह में जन्म लेने वाली मुस्कान के साथ भी कुछ ऐसा ही घटित हुआ। छह मई को मुस्कान ने जन्म लिया था। जिसके बाद उसके माता पिता ने निजी अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती कराया था। 27 मई को बच्चा बदलने का आरोप लगाते हुए मुस्कान के माता पिता उसे अस्पताल में ही यह कहकर छोड़ गए। कि उन्होंने जिस बच्चे को जन्म दिया था वह लड़की नहीं लड़का था। मुस्कान अब बॉर्न बेबी फोल्ड में रह रही है।

इसलिए छोड़ दिया लावारिस

कुछ माह पहले एक नवजात बच्ची तिपहिए वाहन में बिलखती मिली। बच्ची के जन्म से ही मलद्वार नहीं था। शायद इसीलिए परिजन बच्ची को तिपहिए वाहन में लावारिस हालत में छोड़ कर चले गए।नवजात बच्ची को पुलिस ने चाइल्ड लाइन को सौंपा था। सीडब्ल्यूसी के आदेश पर बच्ची का लखनऊ स्थित केजीएमसी में इलाज चल रहा है। जिसकी हालत अभी खतरे से बाहर है।

जायज है बेटियों का सवाल 

इन सभी मामलों में जन्म देने वाली मां की मजबूरियां भले ही अलग अलग हो। लेकिन तीनों ही मामलों में मां की मजबूरियों का खामियाजा उन बेटियों को ही भुगतना होगा। जो जन्म लेने के बाद माता पिता होते हुए भी अनाथ हो गई। बच्चियों का सिस्टम और समाज से सवाल करना जायज है? जिसका जवाब न तो समाज के पास है और न ही सिस्टम के पास है?

लावारिस न छोड़े हमसे मिले

अगर कोई दंपती आर्थिक अभाव के चलते बच्चे का लालन पालन करने में असमर्थ है। तो वह उसे लावारिस न छोड़े, बल्कि सीडब्ल्यू सी को प्रार्थना पत्र दे। जिससे उस बच्चे को फ्री होल्ड कर गोद देने की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जा सके और उसका बेहतर लालन पालन हो सके।  

सामाजिक रुढिय़ों को तोडऩे की पहल किसी न किसी को करनी होगी। इसके लिए समाज को भी सहयोग करना चाहिए। ऐसा कोई मामला है तो बाल कल्याण समिति उसकी सहायता के लिए हमेशा तैयार है। - डॉ.डीएन शर्मा, सीडब्ल्यूसी मजिस्ट्रेट 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.