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Jagran Special: स्वस्थ समाज व लोकतंत्र की अवधारणा विकसित करें विपक्ष

बरेली कॉलेज के पूर्व प्राचार्य डॉ. सोमेश यादव ने सोमवार को विपक्ष के लिए जनादेश का संदेश विषय पर आयोजित जागरण विमर्श कार्यक्रम में रखे।

By Abhishek PandeyEdited By: Published: Tue, 28 May 2019 11:20 AM (IST)Updated: Tue, 28 May 2019 11:20 AM (IST)
Jagran Special: स्वस्थ समाज व लोकतंत्र की अवधारणा विकसित करें विपक्ष
Jagran Special: स्वस्थ समाज व लोकतंत्र की अवधारणा विकसित करें विपक्ष

बरेली, जेएनएन। लोकसभा चुनाव 2019 में भाजपा को प्रचंड बहुमत मिला है। वहीं, कांग्रेस महज 52 सीटों पर सिमट गई है। जबकि 1984 में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद कांग्रेस को 414 सीटें जिताते हुए जनता ने इससे भी ज्यादा बहुमत दिया था। 70 सालों में भाजपा ने अधिकांश समय विपक्ष में रहते हुए किसान, छात्र व युवा समेत हर क्षेत्र में खुद को संगठित कर मजबूत किया। वहीं, बात इस लोकसभा चुनाव की करें तो कांग्रेस ने विपक्ष जैसा कोई काम नहीं किया। बस, राफेल के मुद्दे पर भाजपा को घेरने का प्रयास किया। जिसका परिणाम उसे भुगतना पड़ा। आधिकारिक विपक्ष का दर्जा हासिल करने लायक सीटे जीतने में भी वह नाकाम रही है। अब कांग्रेस संगठित होकर अभी से अगली बार के लिए तैयारी शुरू कर देनी चाहिए। सामाजिक संगठन की तरह काम करते हुए स्वस्थ्य समाज और लोकतंत्र की अवधारणा विकसित करनी होगी। ये विचार बरेली कॉलेज के पूर्व प्राचार्य डॉ. सोमेश यादव ने सोमवार को विपक्ष के लिए जनादेश का संदेश विषय पर आयोजित जागरण विमर्श कार्यक्रम में रखे।

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साम्प्रदायिक व जातीय विघटन रोकने की करें कोशिश

डॉ. सोमेश यादव ने कहा कि 70 वर्ष में जब कांग्रेस 414 सीटों से घटकर 52 पर पहुंच सकती है तो भाजपा को स्थाई मानना भी भूल होगी। समय काल के साथ राजनीति बदलती रहती है ये फिर बदलेगी। चुनाव के मुद्दे कभी स्थाई नहीं होते और न ही उसके परिणाम। विपक्ष को चाहिए कि स्वस्थ समाज और लोकतंत्र की अवधारणा विकसित करें। साम्प्रदायिक एवं जातीय विघटन को रोकने की पुरजोर कोशिश करें। ठोस और विकासशील मुद्दों पर बात करें। उम्मीद है कि विपक्ष अपनी हर से नए रास्ते खोजेगा और नए तथ्यों के साथ संगठित होगा।

राष्ट्रवाद और धर्म को रखें राजनीति से दूर

डॉ. सोमेश यादव ने कहा कि इस लोकसभा चुनाव में राष्ट्रवाद का मुद्दा काफी चर्चाओं में रहा। तर्क दिया गया कि जो सरकार के साथ वह राष्ट्रवादी और जबकि विपक्षी राष्ट्रवादी नहीं है। जबकि राष्ट्रवाद तो जन्म से ही हमारे अंदर कूट-कूटकर भरा रहता है। इसलिए इस शब्द का उपयोग बहुत सोच समझकर किया जाना चाहिए। इसे राजनीति से दूर रखना चाहिए। साथ ही धर्म को भी। विपक्ष को चाहिए कि वह देश की गंगा-जमुनी तहजीब का संरक्षित करें।

भावनाओं से संचालित होती है भारतीय राजनीति

श्री यादव ने कहा कि भारतीय राजनीति भावनाओं से संचालित होती रही है। इसमें धार्मिक व जातीय आंकड़े बहुत मायने रखते हैं। इस बार के लोकसभा चुनाव में भी ऐसा हुआ। वोट डालते समय मतदाताओं ने विश्लेषक मस्तिस्क का उपयोग नहीं किया। 

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