Online Monitering : देश में अव्वल रहने वाले यूपी के इस जिले में तालों में बंद है शौचालय, जानिए पूरा मामला
देश में सबसे ज्यादा सामुदायिक शौचालय बनाकर जिले ने एक नंबर होने का तमगा हासिल किया है। इस पर गांधी जंयती पर डीएम को पुरुस्कृत भी किया गया था। आनलाइन मॉनीटरिंग लगातार प्रगति रिपोर्ट की समीक्षा और तेजी से निर्माण कार्य जिले को एक नंबर बनने की मुख्य वजह रही।
बरेली, जेएनएन। देश में सबसे ज्यादा सामुदायिक शौचालय बनाकर जिले ने एक नंबर होने का तमगा हासिल किया है। इस पर गांधी जंयती पर डीएम को पुरुस्कृत भी किया गया था। आनलाइन मॉनीटरिंग, लगातार प्रगति रिपोर्ट की समीक्षा और तेजी से निर्माण कार्य जिले को एक नंबर बनने की मुख्य वजह रही। हालांकि शौचालय का निर्माण करके जिला एक नंबर तो बन गया लेकिन अभी भी बहुत सारे आधे अधूरे शौचालय तालों की कैद में हैं, जिनके पूरे होने का लोग इंतजार कर रहे हैं। सरकार ने स्वच्छता मिशन के तहत हर ग्राम पंचायत में सामुदायिक शौचालय होने को अनिवार्य कर दिया है।
जिले में 1193 ग्राम पंचायत हैं। सरकार ने इसके लिए पहले दो लाख का बजट तय किया था। बाद में बढ़ाकर इसे पांच लाख 71 हजार कर दिया। जुलाई में जब केंद्र सरकार ने रैकिंग जारी की तो बरेली तीसरे नंबर पर था। कुछ जगह पर निर्देशों के बाद भी जमीन चिन्हित नहीं हुई थी। ब्लॉक स्तर के अधिकारी लापरवाही बरत रहे थे। इस पर सीडीओ ने बैठक करके सभी एडीओ पंचायत के पेंच कसे थे। उन्होंने जमीन चिन्हित करके एक सप्ताह में काम शुरु करने के निर्देश दिए थे। कोरोना की वजह से हर जगह जाने में दिक्कत आ रही थी। ऐसे में उन्होंने ऑनलाइन मॉनीटरिंग के आदेश दिया।
उन्होंने कहा कि वह रैंडम ऑनलाइन मॉनीटरिंग करेंगे और मॉनीटरिंग के दिन अपने मोबाइल के जरिए संबधित अधिकारी को मौके पर जाकर निर्माण कार्य दिखाना होगा। ऐसे में आनलाइन मॉनीटरिंग, हर हफ्ते प्रगति रिपोर्ट की समीक्षा लगातार की गई। इसका परिणाम यह हुआ कि जब अगस्त में फिर रैंकिंग जारी हुई तो अलीगढ़ 545 शौचालय बनाकर पहले स्थान पर रहा जबकि बरेली 506 शौचालय बनाकर दूसरे नंबर पर आ गया था। इसके बाद सितंबर में जिले ने 882 शौचालय बनाकर पहला स्थान हासिल किया। जिले में अब तक 1024 सामुदायिक शौचालय बन चुके हैं।
तालों के कैद में शौचालयरैकिंग के लिए शौचालयों की जियो टैगिंग करके रिपोर्ट भेजनी होती है। ऐसे में अधिकारियों ने आंकड़ों में तो सबसे ज्यादा शौचालय बनाकर दिखा दिए लेकिन अभी भी बहुत से शौचालय अधूरे काम की वजह से तालों की कैद में है। वह बनने के बाद भी लोगों के इस्तेमाल के लिए तैयार नहीं है। कहीं पर पानी की टंकी नहीं रखी गई है तो कहीं पर बिजली के कनेक्शन नहीं हैं। ऐसे में अभी भी इन शौचालयों में ताले पड़े हैं। लोग इस बात का इंतजार कर रहे हैं कि कब ये शौचालय पूरी तरह से कंपलीट हो और उनका फायदा उन्हें मिले।
ज्यादातर शौचालयों को कंपलीट कर दिया गया है। जहां पर कुछ कमी है। उन कमियों को भी दूर किया जा रहा है। हमारी कोशिश है कि लोगों को इनका फायदा मिले। धर्मेंद्र कुमार, डीपीआरओ
कुछ शौचालयों में कमी हैं जिन्हे पूरा कराया जा रहा है। इसलिए इनमें ताले लगे हुए हैं।जल्द ही कमियां पूरी करके इनको लोगों के लिए खोल दिया जाएगा।अभय आर्य, एडीओ पंचायत, ब्लॉक भूता