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अनुच्छेद 370 की तरह हो एक भाषा एक देश का फैसला, Bareilly News

जिस तरह युद्ध जीतने के लिए सेनापति जरूरी होता है वैसे देश के विकास और उत्थान को भाषा अहम है। उदाहरण सामने है

By Abhishek PandeyEdited By: Published: Sat, 21 Sep 2019 08:45 AM (IST)Updated: Sat, 21 Sep 2019 05:40 PM (IST)
अनुच्छेद 370 की तरह हो एक भाषा एक देश का फैसला, Bareilly News

जेएनएन, बरेली : जिस तरह युद्ध जीतने के लिए सेनापति जरूरी होता है, वैसे देश के विकास और उत्थान को भाषा अहम है। उदाहरण सामने है, जिन देशों ने अपनी भाषा का प्रचार-प्रसार किया, वे तरक्की में भी आगे निकल गए। लिहाजा कश्मीर से धारा 370 समाप्त किए जाने की तरह ही एक देश एक भाषा का भी फैसला लेना होगा। यह कहना है-साहित्य भूषण से सम्मानित डॉ. भगवान शरण भारद्वाज का। उन्होंने जागरण संवाददाता अविनाश चौबे से बातचीत में साहित्यिक गतिविधियों को बढ़ावा देने पर भी जोर दिया।

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प्रश्न: एक राष्ट्र एक भाषा से हिंदी का क्या फायदा होगा?

उत्तर: दुनिया के सभी देशों में अलग अलग भाषाएं बोली जाती है। पड़ोसी देश चीन के भी सभी प्रांतों की भी अलग भाषा है, लेकिन मातृभाषा के रूप में वहां सभी चाइनीज को प्रमुखता देते हैं। जैसे एक देश एक संविधान के लिए कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35 ए हटाना जरूरी था। वैसे ही देश में समन्वय स्थापित करने को एक भाषा होना जरूरी है, जो कि हिन्दी से बेहतर कोई दूसरी नहीं है।

प्रश्न: साहित्य में बड़े नामों के जाने के बाद से गहराई की कमी आई है। इनकी भरपाई कैसे होगी?

उत्तर: यह बात सही है। इसका कारण साहित्य में चरण वंदना संस्कृति रही, जिससे शैक्षिक स्तर भी गिरा। शैक्षिक स्तर में सुधार के साथ ही योग्य साहित्यकारों को मंच देने की जरूरत है, जिससे साहित्य में आ रही गिरावट को रोका जा सके।

प्रश्न: सोशल मीडिया के उदय से भाषा को फायदा या नुकसान?

उत्तर: सोशल मीडिया पर हिंदी के बढ़ते चलन से फायदा हो रहा है। इसके बहाने ही सही लोगों में हिंदी लिखने और बोलना बढ़ा है। जिज्ञासा भी बढ़ी है, लेकिन इसमें वर्तनी का भी ध्यान रखना जरूरी है। सही शब्द लिखे और बोले जाने चाहिए।

प्रश्न: साहित्यिक गतिविधियों के कम होने से हिंदी क्या नुकसान हो रहा है?

उत्तर: साहित्यिक गतिविधियों के कम होने से हिंदी से अधिक समाज को नुकसान हो रहा है। साहित्य और संस्कृति को अलग करके नहीं देखा जा सकता है। साहित्यिक गतिविधियों में भाग लेने से भाषा की समझ बेहतर होती है।

साहित्यिक में योगदान

बीए में पढ़ने के दौरान पहली पुस्तक आंसू और शोले लिखी। फिर शोधस्वर रिसर्च जनरल पत्रिका निकाली। इस पत्रिका के कई विशेषांक बाद में पुस्तकों के रूप में प्रकाशित हुए। रामचरित मानस और आधुनिक जीवन की समस्याएं, मानव जीवन और साहित्य, युवा मन, ग्वाल बाल, पंचाली, कर्मयोग आदि पुस्तकें लिखी।

- डॉ. भगवान शरण भारद्वाज 


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