अब जिले के कॉलेज से ज्यादा संख्या में निकलेंगे आयुर्वेदिक चिकित्सक, जानिए कॉलेज में कितनी बढ़ी सीटें
राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज बरेली में चार दशक बाद बैचलर ऑफ आयुर्वेद मेडिसिन एंड सर्जरी (बीएएमएस) की सीटें बढ़ाई गई हैैं। अब तक यहां कोर्स के लिए महज 40 सीटों पर ही दाखिले होते थे लेकिन अब 75 विद्यार्थी बीएएमएस के लिए प्रवेश ले सकेंगे।
बरेली, जेएनएन। राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज, बरेली में चार दशक बाद बैचलर ऑफ आयुर्वेद मेडिसिन एंड सर्जरी (बीएएमएस) की सीटें बढ़ाई गई हैैं। अब तक यहां कोर्स के लिए महज 40 सीटों पर ही दाखिले होते थे। लेकिन अब 75 विद्यार्थी बीएएमएस के लिए प्रवेश ले सकेंगे। वो भी इसी शैक्षणिक सत्र (2020-21) से। आयुष मंत्रालय ने मानकों के अनुरूप पाए जाने पर सीटें बढ़ाने के लिए संस्तुति दी है। जिसके बाद राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज, बरेली की सीटें बढ़ाने के बाबत सेंट्रल काउंसिल ऑफ इंडियन मेडिसिन (सीसीआइएम) ने सर्कुलर जारी कर दिया है।
15 सीटें निर्बल आय वर्ग के लिए
जारी आदेशों के मुताबिक राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज में कुल 35 सीटें बढ़ाई गई हैैं। इनमें से 15 सीटें निर्बल आय वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के लिए आरक्षित होंगी। यानि, इन सीटों पर केवल गरीब छात्र ही प्रवेश ले सकेंगे। बीएएमएस में सामान्य श्रेणी के लिए 14 हजार रुपये सालाना फीस है। वहीं, पिछड़ा वर्ग, एससी-एसटी और ओबीसी के लिए 10 हजार रुपये सालाना फीस तय है।
प्रदेश के आठ कॉलेजों में है शुमार
बरेली के अलावा दूसरे जिलों में सीमित ही राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज हैैं। जिन दूसरे जिलों में आयुर्वेद मेडिसिन एंड सर्जरी की पढ़ाई होती है उनमें पीलीभीत, मुजफ्फरनगर, लखनऊ, वाराणसी, प्रयागराज, झांसी और बांदा हैैं।
साढ़े पांच साल का होता है कोर्स
भारत में चिकित्सा की इस डिग्री के लिए 12वीं कक्षा के बाद कुल साढ़े पांच साल का कोर्स होता है। इसमें साढ़े चार साल की पढ़ाई और प्रैक्टिकल के अलावा एक साल का इंटर्नशिप किया जाता है। चार परीक्षा एक-एक साल में होती हैं। वहीं, अंतिम वर्ष की परीक्षा डेढ़ साल बाद ली जाती है। बीएएमएस की डिग्री हासिल करने वाला देश में कहीं भी प्रैक्टिस कर सकता है।
क्या कहते हैं कॉलेज के जिम्मेदार
राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज के प्राचार्य डॉ.दिनेश कुमार मौर्या का कहना है कि हमारे आयुर्वेदिक कॉलेज में चार दशक बाद 35 सीटें बढ़ाई गई हैैं। इसमें 15 निर्बल आय वर्ग के लिए हैैं। इससे छात्रों को आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति सीखने का ज्यादा मौका मिलेगा।