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साथ नहीं आए निदा और शीरान, सुलह की कोशिशें हुई नाकाम

आला हजरत खानदान के शीरान रजा खां और उनकी बीवी रहीं निदा खान के बीच चल रही सुलह की कोशिशें नाकाम हो गई।

By JagranEdited By: Published: Tue, 29 Jan 2019 12:25 AM (IST)Updated: Tue, 29 Jan 2019 12:25 AM (IST)
साथ नहीं आए निदा और शीरान, सुलह की कोशिशें हुई नाकाम

जेएनएन, बरेली : आला हजरत खानदान के शीरान रजा खां और उनकी बीवी रहीं निदा खान के बीच चल रहीं सुलह की कोशिशें नाकाम हो गईं। सोमवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट के मीडिएशन सेंटर में दोनो पक्षों को साथ बैठना था।

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इसमें निदा खान पहुंचीं, मगर शीरान रजा खां इलाहाबाद नहीं गए। इसलिए मीडिएशन सेंटर से सुलह की कवायद रद करते हुए फाइल हाईकोर्ट भेजने का निर्देश जारी हो गया है।

निदा-शीरान की शादी 28 फरवरी 2015 में हुई थी। शादी के चंद महीनों बाद ही दोनों में मतभेद पैदा हो गए। विवाद बढ़ता गया। वर्ष 2016 में मामला कोर्ट तक पहुंच गया।

यहां शीरान रजा खां ने निदा खान को तलाक देने का दावा पेश किया। तभी से दोनों पक्ष कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं। अभी यह मामला हाईकोर्ट में है। हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों में सुलह के लिए यह केस मीडिएशन सेंटर में भेजा।

जनवरी में मीडिएशन सेंटर पर दोनों पक्ष आमने-सामने बैठे। गिले-शिकवों पर चर्चा चली। इसके बाद 21 जनवरी को फिर मीडिएशन सेंटर में दोनों का आमना-सामना हुआ।

यहां शीरान रजा खां ने निदा खान को बिना शर्त अपनाने की लिखित रजामंदी पेश कर दी। इस सहमति में शीरान रजा खां ने स्पष्ट किया है कि हलाला औरत के ऊपर निर्भर है, वह चाहें तो हलाला करें या न करें।

शीरान रजा खां की सहमति का यह पत्र लीक होने के बाद इस पर विवाद छिड़ गया। उलमा-ए-कराम भी इस पर नाराज हुए। तभी से इस बात के संकेत मिल रहे थे कि सुलह की यह कोशिश नाकाम होगी।

क्योंकि शीरान रजा खां ने मीडिया में लिखित बयान जारी कर ऐसी सहमति से इन्कार कर दिया था। सोमवार को यह आशंका सच साबित हुई। निदा खान मीडिएशन में पहुंची, अपना पक्ष रखा। मगर शीरान रजा खां हाजिर नहीं हुए।

मीडिएशन सेंटर से शीरान रजा खां से संपर्क भी साधा गया। तीसरे दौर की वार्ता में उनके न पहुंचने से इस केस को मीडिएशन सेंटर ने निरस्त कर दिया है। निदा खान को अवगत कराया कि अब इस पर हाईकोर्ट से ही फैसला होगा।

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मीडिएशन सेंटर में गई थी। मैंने अपना पक्ष रख दिया। मुझे बताया गया कि अब यह मामला मीडिएशन से निरस्त किया जाता है। - निदा खान मैं शरीयत पर कायम, शीरान की तय करें सजा

बरेली : 'मेरा किरदार ऐसा बना दिया जैसे कि मैं शरीयत की दुश्मन हूं। इसके लिए हर जतन किए। इस्लाम से खारिज करने का फतवा दे दिया। जिसमें लिखा कि निदा बीमार पड़ जाए तो कोई देखने न जाए। मर जाए तो दफनाने के लिए कब्रिस्तान में दो गज जमीन न दी जाए। समाज उन्हें किसी खुशी-गम में न शरीक करे। आखिर मैंने ऐसा क्या कर दिया, जो मुझे शरीयत विरोधी ठहराया गया।

मैं कभी शरीयत के खिलाफ नहीं खड़ी हुई। पहले भी शरीयत पर कायम थी और अब भी शरीयत के दायरे में हूं।

अब शीरान रजा खां ने मुझे बगैर हलाला अपनाने की जो लिखित रजामंदी दी है। क्या यह शरीयत विरोधी नहीं है?' मीडिएशन सेंटर में सुलह की कोशिश खत्म होने के बाद निदा खान ने ये बातें कही हैं।

उन्होंने कहा कि शहर इमाम ने मेरे खिलाफ फतवा मांगा था। क्या अब वह शीरान रजा खां के बगैर हलाला रखने की हामी पर भी फतवा मांगेंगे? क्या शरीयत केवल हमारे लिए ही है, या खुद भी इस पर अमल करेंगे।

पूरे समाज को मेरे खिलाफ कर दिया गया। अब कोई शीरान रजा के खिलाफ फतवा मांगने की हिम्मत दिखाएगा।

ससुर से हलाला शरीयत विरोधी

किला क्षेत्र की एक महिला ने ससुर संग हलाला का आरोप लगाया था। निदा खान कहती हैं कि मैंने उस महिला का साथ दिया। क्योंकि ससुर के साथ हलाला हो ही नहीं सकता। यह शरीयत के खिलाफ है।

फिर भी मुझे आरोपित ठहराया गया कि मैं शरीयत को बदनाम कर रही हूं। जबकि सच यह है कि मैंने शरीयत का गलत इस्तेमाल होने और करने का विरोध किया है।

विदेशों की सैर कर रहे कुछ लोग

निदा खान का आरोप है कि मेरे खिलाफ साजिशन फतवा मांगा गया था। इसके बाद प्रेस कांफ्रेंस की गई। यह पूरी कवायद सुर्खियों में आने और मुझे कमजोर करने की थी। मैं आज भी मीडिएशन सेंटर में गई। अगर मैं गलत थी, तो अपनी बात रखकर मुझे गलत साबित करते।

मगर यहां वह अपनी बात रखने ही नहीं आए। इसलिए क्योंकि हलाला की लिखित रजामंदी देकर शरीयत विरोधी काम वह कर चुके हैं। उन्हें डर था कि कहीं मैं इस शर्त पर वापसी की हामी न भर दूं। मगर मैं शरीयत खिलाफ जाने की सोच भी नहीं सकती।

इंसाफ मिलने तक लड़ती रहूंगी

मेरे साथ नाइंसाफी हुई, जब मैंने तलाक के बारे में सुना। मैंने परिवार के सभी बुजुर्गो से मदद मांगी। मुझे किसी का सहारा नहीं मिला। मजबूरन मैं अदालत गई।

अपने साथ नाइंसाफी की लड़ाई लड़ रही हूं। रही बात शरीयत की तो मैं और मेरा परिवार भी शरीयत का पाबंद है। जिन इस्लामिक नियम कायदों को सब मानते हैं हम भी उन पर अमल करते हैं।


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