दुकान की नपाई से निगम करेगा कमाई
जागरण संवाददाता, बरेली : मार्च में ताबड़तोड़ वसूली कर अपना खजाना भरने वाले नगर निगम ने नए वित्तीय वर्ष में करोड़ों के बकाये वाली मार्केट को निशाने पर ले लिया।
जागरण संवाददाता, बरेली : मार्च में ताबड़तोड़ वसूली कर अपना खजाना भरने वाले नगर निगम ने नए वित्तीय वर्ष में करोड़ों के बकाये वाली मार्केट को निशाने पर ले लिया। पूरी मार्केट के बकायेदार होने पर वसूली के लिए नया पैंतरा निकाला है। पूरी मार्केट के बजाय एक-एक दुकान की नपाई कराके प्रतिष्ठानवार पुराना टैक्स जमा कराया जाएगा। सबसे पहले बटलर प्लाजा, एमसीआइ प्लाजा और इस्लामिया मार्केट में यह कवायद शुरू होगी।
अकेले तीन मार्केट पर है चार करोड़ का टैक्स
नगर निगम के कर विभाग की सूची के अनुसार इस्लामिया बाजार पर करीब 1.30 करोड़ रूपये बकाया है। मोबाइल और कंप्यूटर मार्केट के लिए प्रसिद्ध बटलर प्लाजा पर सामूहिक रूप से एक करोड़ 70 लाख रुपये तक का टैक्स है। वहीं, सिविल लाइंस मेन रोड स्थित एमसीआइ प्लाजा मार्केट पर भी एक करोड़ से अधिक का कर बकाया है। टैक्स वसूली का यह है फार्मूला
पूरी मार्केट की दुकानों की गिनती कराई जाएगी। फिर प्रत्येक प्रतिष्ठान का बाहरी और भीतरी दीवारों की पैमाइश कर क्षेत्रफल निकाला जाएगा। मार्केट कुल बकाये में इस क्षेत्रफल को भाग देकर प्रति वर्गफीट बकाये की दर आएगी। प्रति वर्गफीट पर वर्ष 2014 से प्रभावी हुए पिछले टैक्स मॉडल के अनुसार दर निर्धारित कर एक-एक दुकान पर क्षेत्रफलवार बकाया निर्धारित होगा। इसी प्रारूप को सभी मार्केट पर लागू कर दुकानवार वसूला जाएगा। इस साल 57 करोड़ 21 लाख की हुई वसूली
नगर निगम ने एक अप्रैल से नया टैक्स मॉडल लागू करने से पहले पुरानी प्रचलित कर की दर के आधार पर बकाया की ताबड़तोड़ वसूली की। सबसे ज्यादा डंडा बड़े सरकारी, निजी और दुकानों के बकायेदारों पर चला। पूरे साल में 57 करोड़ 21 लाख 20 हजार रुपये नगर निगम के खजाने में आए। इनमें से 39 करेाड़ 36 लाख 11 हजार रुपये कर की वसूली और 17 करोड़ 85 लाख रुपये लाइसेंस फीस, विज्ञापन, होर्डिग, रोड कटिंग शुल्क, विभिन्न लाइसेंस शुल्क सहित अलग-अलग 26 मद में कोष जमा हुई। जबकि पिछले 2016-17 के वित्तीय वर्ष कर की वसूली 38 करोड़ 20 लाख ही थी। सरकार में अटके निगम के 2.55 करोड़
शहर में होने वाली संपत्ति रजिस्ट्री के स्टाम्प शुल्क में प्रत्येक बैनामे पर नगर निगम को भी दो प्रतिशत शुल्क का भुगतान किया जाता है। पिछले साल 11 करोड़ रुपये सरकार से मिले थे, लेकिन इस 2017-18 का वित्तीय वर्ष समाप्त होने के बावजूद केवल 8.46 करोड़ रुपये ही भेजे गए। लगभग 2.55 करोड़ रुपये सरकार में अटके हैं। इसके लिए निगम की तरफ से शासन में पत्राचार किया जा रहा है।