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नवाबगंज का चौंकाने वाला इंग्‍लैंड कनेक्‍शन, एक ग‍िरफतार

भारत- इंग्लैंड के बीच चल रही टेस्ट सीरीज में भले ही भारतीय टीम का हालत खस्ता हो लेकिन, सट्टेबाजों के वारे न्यारे हैं। नवाबगंज में ऑनलाइन सट्टेंबाजी का बड़ा रैकेट खुल गया।

By Edited By: Published: Mon, 10 Sep 2018 10:13 PM (IST)Updated: Tue, 11 Sep 2018 12:37 PM (IST)
नवाबगंज का चौंकाने वाला इंग्‍लैंड कनेक्‍शन, एक ग‍िरफतार
जेएनएन, बरेली : भारत- इंग्लैंड के बीच चल रही टेस्ट सीरीज में भले ही भारतीय टीम का हालत खस्ता हो लेकिन, सट्टेबाजों के वारे न्यारे हैं। नवाबगंज में रविवार रात पुलिस ने कस्बे के मुहल्ला नई बस्ती स्थित बडे़ होटल के पास छापा मारा तो ऑनलाइन सट्टेंबाजी का बड़ा रैकेट खुल गया। मौके से बुकी जफर भी दबोचा गया। उसके पास से दो लैपटॉप, चार टैबलेट, दो मोबाइल, रजिस्टर व 750 रुपये नकद बरामद हुए। मुकदमा दर्ज करने के बाद पुलिस ने उसे जेल भेज दिया। मेरा चार हजार लगा, छह हजार लगा दो.. पुलिस ने बुकी जफर से जो मोबाइल जब्त किए, उनपर थाने में भी फोन आते रहे। बात सिर्फ इतनी होती थी कि मेरे दो हजार रुपये लगा दो, चार हजार, छह हजार, दस हजार लगा दो। इसके बाद फोन काट दिया जाता। सट्टा लगाने के लिए कॉल करने वालों में कुछ महिलाएं भी शामिल थीं। बैंक अकाउंट से करते रुपये ट्रांसफर बेईमानी के धंधे में रुपयों का ट्रांसफर ईमानदारी से होता है। पुलिस के मुताबिक, सट्टेबाजी के रुपयों का लेनदेन बैंक अकाउंट के जरिये किया जाता है। बुकी अपने और देनदारों के बैंक खातों में ऑनलाइन ही रुपये ट्रांसफर करता था। दसवीं पास जफर कंप्यूटर का जानकार हाईस्कूल पास जफर कंप्यूटर का अच्छा जानकार है। यही वजह है कि वह घर में बैठकर ही सट्टेंबाजी को अंजाम दे रहा था। उसके पास सट्टा लगाने वालों में स्थानीय ही नहीं बाहर के लोग भी शामिल थे। 'सट्टा किंग गाजियाबाद' के नाम से बनाया सॉफ्टवेयर पुलिस ने भले ही बुकी जफर को गिरफ्तार कर लिया हो। उसने पूछताछ में सिर्फ यही बताया कि वह अकेला ही यह धंधा कर रहा है लेकिन, यह अधूरा सच है। सट्टेबाजी कराने वालों ने 'सट्टा किंग गाजियाबाद' के नाम से सॉफ्टवेयर बनाया है, जिसके जरिये बुकी सट्टेबाजों को जोड़ता था। मोबाइल नंबर के साथ देता था कोड जफर ने पासवर्ड भी बना रखे थे। सट्टा लगाने वालों के मोबाइल नंबर पर अगर कोई दूसरा कॉल करके सट्टा लगाना चाहे तो भी नहीं लगा सकता था, क्योंकि हर मोबाइल नंबर के साथ ग्राहक को कोड दिया जाता था। इसके बाद ही सट्टा लगता था। सभी के कोड उसने एक रजिस्टर में लिख रखे थे।

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