यूपी के इस जनपद में नया करने की चाहत में ननद भाभी ने संभाली विरासत, हो रहा छह हजार रूपए का मुनाफा
Shahjahnapur Nanad Bhabhi Innovation सीखने का जज्बा व कुछ नया करने की ललक हो तो सफलता जरूरी मिलती है। फिर चाहें काम कोई भी हो। शहर के दिलाजाक मुहल्ला निवासी ननद-भाभी ने भी ऐसा ही कुछ कर दिखाया है।
बरेली, जेएनएन। Shahjahnapur Nanad Bhabhi Innovation : सीखने का जज्बा व कुछ नया करने की ललक हो तो सफलता जरूरी मिलती है। फिर चाहें काम कोई भी हो। शहर के दिलाजाक मुहल्ला निवासी ननद-भाभी ने भी ऐसा ही कुछ कर दिखाया है। परिवार में तीन वर्ष पहले तक सिर्फ दीये, कुल्हड़ आदि बनाने का काम होता था। पूनम शादी होकर आईं तो उन्हें दीये बनाना नहीं आता था। सास व ससुर ने भी दबाव नहीं डाला।
करीब तीन वर्ष पहले पूनम ने मूर्तियां बनाने की बात कही तो ससुर व सास ने इस बारे में ज्यादा जानकारी होने से इन्कार किया। जिस पर पूनम ने जिद करके सांचे मंगवाए। उनके साथ ननद सोनी ने भगवान गणेश व लक्ष्मी की मूर्तियां बनाना शुरू कीं। दोनों का काम इतना अच्छा था कि पहली ही बार में सब मूर्तियां बिक गईं। इसके बाद से दोनों हर साल दीपावली पर मूर्तियां बनाकर बेचती हैं। सोनी को दीये, कुल्हड़ आदि भी बनाना आता है। जिसमें वह अपने पिता व माता की मदद करती हैं।
छह से सात हजार तक का मुनाफा
मूर्तियों में रंग भर रहीं पूनम ने बताया कि पति फोटोग्राफी करते हैं। वह अपनी ननद के साथ दीपावली पर 1000 से 1200 तक मूर्तियां तैयार कर लेती हैं। उन्होंने बताया कि करीब तीन माह इस काम को करती हैं। वह थोक में मूर्तियां बेचती हैं। 15 से 20 रूपये एक मूर्ति के मिलते हैं। छह से सात हजार रुपये की आय हो जाती है।
मूर्तियों पर नहीं होती ज्यादा चमक
पास में बैठी सोनी ने बताया कि हाईस्कूल पास हैं। उनको इस काम में काफी रुचि है। बाकी दिन दीये, बर्तन आदि बनाती हैं, लेकिन दीपावली के समय मूर्तियों का काम अच्छा होता है। मूर्तियों की खासियत के बारे में सोनी ने बताया कि मिट्टी की मूर्तियों का पूजन होता है। प्लास्टर आफ पेरिस की मूर्तियां सिर्फ सजावटी होती हैं। उन मूर्तियों में चमक ज्यादा होती है। मिट्टी की मूर्तियों में रंग उतना चमक नहीं पकड़ते। इसलिए कई बार लोग इन्हें पसंद नहीं करते, पर अब सोच बदल रही है। सोनी ने बताया कि भाभी के साथ मिलकर अगली बार इन मूर्तियों को ज्यादा चमकदार बनाने पर भी काम करेंगी।