दुनियाभर में सुन्नी मुसलमानों के इस बड़े शरई मसले का उर्से रजवी में निकला हल
कंजुल ईमान फाउंडेशन एवं इंटीग्रेटेड यूनिवर्सिटी लखनऊ के लेक्चरर ने एक ऐसी खोज की है, जिसकी वजह से बड़ा शरई मसला हल हो जाएगा।
बरेली[वसीम अख्तर]। कंजुल ईमान फाउंडेशन एवं इंटीग्रेटेड यूनिवर्सिटी लखनऊ के लेक्चरर ने एक ऐसी खोज की है, जिसकी वजह से बड़ा शरई मसला हल हो जाएगा। आला हजरत के मानने वाले दुनियाभर में नमाज के दौरान लाउडस्पीकर का इस्तेमाल करने लगेंगे, जिस पर बरेलवी मरकज से रोक लगी हुई है। रुढ़की के इंजीनियर के सहयोग से खोजे गए इस तरीके को उर्स के दौरान बरेलवी उलमा के सामने पेश कर दिया गया है।
आला हजरत ने फरमा दिया था मना
सुन्नी बरेलवी मुसलमान मुल्क में रहते हो या मुल्क से कहीं बाहर, वे नमाज में लाउडस्पीकर का इस्तेमाल नहीं करते। इसलिए क्योंकि इसके लिए आला हजरत ने मना फरमा दिया था। इस बात का जिक्र मुफ्ती आजम हिंद मुस्तफा रजा खां कादरी ने अपनी किताब 'अल कौलुल अजहर बिल इक्तेदा-ए-लाउडस्पीकरÓ में किया है। बताया है कि माइक की ध्वनि वास्तविक ध्वनि नहीं है। अगर इमाम लाउडस्पीकर पर नमाज पढ़ाता है तो उसकी अपनी आवाज नहीं रहती। लिहाजा, लाउडस्पीकर पर नमाज जायज नहीं होगी। ऐसे में अजान, तकरीर, खुतबे में तो लाउडस्पीकर का इस्तेमाल होता है लेकिन नमाज में लाउडस्पीकर बंद कर दिया जाता है। यह मसला दुनियाभर में सुन्नी उलमा से सवाल व जवाब का सबब बना हुआ है। अब आकर पहली बार इस मसले पर आला हजरत के उर्स में अहम रिसर्च सामने आई है।
इंजीनियर ने पेश किया यह तरीका
इंटीग्रेटेड यूनिवर्सिटी लखनऊ में इलेक्ट्रीकल एवं इंजीनियङ्क्षरग कंपोनेंट रिसर्च विभाग में लेक्चरर यासिर रजा ने बताया कि आला हजरत की दी गई व्यवस्था को सामने रखते हुए नमाज के लिए इस्तेमाल होने वाले लाउडस्पीकर में मैगनेटिक सेंसर लगेगा। इससे रुकू और सज्दे (नमाज की मुद्रा) के दौरान माइक बंद हो जाएगा। तब इमाम के पीछे खड़ा शख्स तकबीर कहेगा, जिससे शरीयत का पालन होगा और सुन्नत भी पूरी हो जाएगी।
अब उलमा देंगे राय
कंजुल इमाम फाउंडेशन के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र के अध्यक्ष इंजीनियर आलम ने बताया कि लाउडस्पीकर से जुड़ी रिसर्च को बरेलवी उलमा के सामने पेश कर दिया गया है। वे विचार के बाद राय देंगे। अगर सबकुछ ठीक रहा तो लाउडस्पीकर पर नमाज का रास्ता साफ हो जाएगा।