जब वालिंटियर ने शीला दीक्षित को बचाने के लिए तोड़ दिया दरवाजा Bareilly News
तब तक शीला दीक्षित और रीता बहुगुणा जोशी की हालत खराब हो गई थी। उन्हें घर के अंदर चारपाई पर लिटाकर पानी पिलाया। हाथ का पंखा झला गया।
बरेली, जेएनएन : 10 फरवरी 2010 को आला हजरत का 91 वां सालाना उर्स था। दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित उर्स में हाजिरी के लिए बरेली पहुंचीं थीं। कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह, रीता बहुगुणा जोशी, अशोक गहलोत और डॉ. अनिल शास्त्री उनके साथ थे। दोपहर करीब 12 बजे का वक्त था। दरगाह पर जायरीन का तांता लगा था। अचानक दोनों ओर से भीड़ आगे बढ़ी। धक्का-मुक्की के बीच तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित और सभी कांग्रेसी नेता फंस गए।
दरगाह के वालिंटियर ने उन्हें बचाने के लिए भीड़ को रोकने के लिए तेज आवाज में चिल्लाना शुरू कर दिया। उस समय के कांग्रेस सांसद प्रवीण सिंह ऐरन के भी हाथ-पैर फूल गए। तब कांग्रेसी नेताओं को लेकर दरगाह जा रहे लोगों ने जोर लगाया और ठीक सामने के घर का दरवाजे का कुछ हिस्सा तोड़कर उसका कुंडा खोल लिया।
तब तक शीला दीक्षित और रीता बहुगुणा जोशी की हालत खराब हो गई थी। उन्हें घर के अंदर चारपाई पर लिटाकर पानी पिलाया। हाथ का पंखा झला गया। इसके बाद उनकी तबीयत ठीक हुई। दरगाह आला हजरत से जुड़े नासिर कुरैशी उस वाकिये को याद करते हुए कहते हैं कि शीला दीक्षित और रीता बहुगुणा जोशी को भीषण भीड़ से अलग हटाना मुश्किल हो गया था। कांग्रेस नेता जियाउर्रहमान बताते हैैं कि यहां से वापसी के वक्त शीला दीक्षित ने कहा था, उनका बचना किसी करिश्मे से कम नहीं है।
सुरक्षा को लेकर विस में उठे थे सवाल
नासिर कुरैशी के मुताबिक, भीड़ में फंसने का मुद्दा दिल्ली विधानसभा में भी उठा था। तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था उपलब्ध न कराने के विषय पर वक्त की उप्र सरकार की आलोचना हुई थी। उस साल तीन दिनी उर्स 9 फरवरी को शुरू हुआ था, दूसरे दिन यानी 10 फरवरी को शीला दीक्षित आईं थीं।