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50 हजार खाली हाथों के लिए काम दस्तक दे रहा

पहले कुछ चूक हुईं लेकिन प्रोजेक्ट अब पटरी पर आ रहा है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 23 Sep 2018 10:50 AM (IST)Updated: Sun, 23 Sep 2018 05:34 PM (IST)
50 हजार खाली हाथों के लिए काम दस्तक दे रहा

जागरण संवाददाता, बरेली : पहले कुछ चूक हुईं लेकिन प्रोजेक्ट अब पटरी पर आ रहा है। जब कमिश्नर रणवीर प्रसाद ने बतौर कमिश्नर चार्ज लिया तो जागरण ने उनके सामने मेगा फूड पार्क के प्रोजेक्ट के अटके होने की जानकारी रखी। तब उन्होंने संबंधित अफसरों से बात करके जवाब देने के लिए कहा था। वायदे के मुताबिक उन्होंने प्रोजेक्ट की पूरी स्थिति जानी। उसका रूट मेप भी तैयार कर लिया। अब जब उनसे बात की तो उम्मीदों की नई राहें खुलती दिखाई दे रही हैं। रोजगार के एतबार से महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट आगे बढ़ रहा है। कुछ अड़चन हैं, जिन्हें दूर करने के लिए तीन स्तर पर काम करने की रणनीति बनी है। अलग-अलग जोर लगाकर प्रोजेक्ट को कागजों से निकालकर हकीकत की जमीन पर उतारा जाएगा। बस कुछ इंतजार। उसके बाद बदलकर रहेंगे बरेली का सपना साकार होगा। करीब 50 हजार खाली हाथों को काम मिल सकेगा।

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एक ही परिसर में स्थापित हो सकेंगे 118 उद्यम

जिले में मेगा फूड पार्क केंद्र और राज्य सरकार का संयुक्त प्रोजेक्ट है। इसके लिए बहेड़ी से पहले मुड़िया मुकर्रमपुर में जगह दी गई है। केंद्र के खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय की स्वीकृति पर प्रदेश की उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास निगम (यूपीएसआइडीसी) ने इसका निर्माण किया। कार्य करीब 80 फीसदी तक पूरा हो चुका है। 251 एकड़ के बड़े भूभाग में प्रस्तावित इस पार्क में भीतर 100 एकड़ में 118 औद्योगिक साइट के भूखंड, प्रशासनिक भवन, प्रयोगशाला, इंटरनेशनल फैसिलिटेशन सेंटर, पैकेजिंग, क्वालिटी कंट्रोल लैब, ट्रेड ऑफिस आदि का निर्माण किया गया है। इस बड़े क्षेत्र में एक ही परिसर में 118 उद्यम, फर्म स्थापित हो सकेंगे।

मार्च 2018 तक रखी थी मियाद

मेगा फूड पार्क। इन तीन शब्दों ने जिले में कृषि व खाद्य सामग्री आधारित उद्योग, उद्यमियों से लेकर लघु व मध्यम उद्यम वालों में जल्द बेहतर प्लेटफॉर्म मिलने की उम्मीदें जगाई थीं। कच्चा माल उपलब्ध होने, उत्पादन से लेकर मार्केटिंग व निर्यात तक की सुविधाएं देने के दावे देरी के झटकों में उलझ गए। ढाई साल में फूड पार्क तैयार न हो सका। सरकार से तय मियाद मार्च, 2018 तक थी। इसके बाद उद्यमियों को प्लॉट की ऑनलाइन अलॉटमेंट की प्रक्रिया होनी थी, लेकिन न सड़क का काम पूरा हुआ और न भवन ही पूरे हो सके।

इन्वेस्टर्स समिट में मुख्यमंत्री ने किया था उल्लेख

फरवरी में लखनऊ में देश भर के उद्यमियों की मौजूदगी में खाद्य प्रसंस्करण और उत्पादन के क्षेत्र में प्रदेश सरकार के कार्यो के बाबत मुख्यमंत्री ने संबोधन किया था। आगरा, चित्रकूट और कोसी के खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्रों के साथ ही बहेड़ी में स्थापित मेगा फूड पार्क का उल्लेख किया था। निवेशकों के सामने कृषि उपज क्षेत्रों से सीधा जुड़ाव की खूबियों का जिक्र किया था। फूड पार्क की विशेषताओं का समिट की स्मारिका में भी उल्लेख किया गया है।

नवंबर तक नई तकनीक से चमकेंगी सड़क

फूड पार्क की एप्रोच रोड और भीतर की सड़क नई तकनीक से बनाई जा रही है। अब तक औद्योगिक क्षेत्रों में पत्थर गिट्टी की परत को जमीन पर लेवल करने के बाद तारकोल मिक्स बजरी डालकर सड़क बनाई जाती थी। प्रोजेक्ट का निर्माण और विकास कार्य करा रहा यूपीएसआइडीसी का लखनऊ स्थित कंस्ट्रक्शन डिवीजन फूड पार्क में जीएसबी (ग्रेन्यूल सब बेस) तकनीक से सड़क निर्माण कर रहा है। बेस तैयार कर गिट्टी पड़ी है। डामर और लेवलिंग का काम बाकी है। भीतर की सड़कों के साथ ही नैनीताल रोड से जुड़ी मास्टर एप्रोच रोड का निर्माण बारिश के चलते रुका था, जो नवंबर के अंत तक पूरा करने का लक्ष्य है।

बाउंड्रीवाल का निर्माण 80 फीसद पूरा

पार्क के भीतर बाउंड्री का निर्माण कार्य बारिश से पहले लगभग 80 फीसदी पूरा हो गया था। इमारतों में बिजली, फिनि¨शग आदि का काम भी लगभग पूर्ण होने की स्थिति में है। सब स्टेशन का निर्माण कार्य और उपकरणों की स्थापना कार्य यूपीएसआइडीसी का कानपुर डिवीजन करेगा। अंतिम दौर में यह निर्माण कार्य

-बाउंड्री और इंडस्ट्रियल साइट

-एप्रोच रोड और भीतर की सड़कें

-ड्रेनेज और सीवर लाइन पूर्ण, सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट प्रस्तावित

-सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट (पार्क क्षेत्र के अपशिष्ट निस्तारण के लिए)

-जल आपूर्ति लाइन

-बिजली उपकेंद्र स्थापना और वितरण

-पॉवर सप्लाई का बैकअप

-कच्चा माल और उत्पाद तौल का धर्मकांटा यूनिटों के लिए भीतर ही मिलेंगी यह सुविधा

-पैकेजिंग व पार्किंग क्षेत्र

-गुणवत्ता जांचने की प्रयोगशाला

-ट्रेडिंग व मार्केटिंग सेंटर प्रोजेक्ट एक नजर

-कुल अधिग्रहीत भूमि : 251 एकड़

-मेगा पार्क साइट : लगभग 100 एकड़

-विस्तार एवं अन्य उद्यम के लिए रिजर्व : 115.16 एकड़

-कुल औद्योगिक भूखंड : 118

-डेडीकेटेड फीडर : 132 केवीए -----------------

केवल बॉटलिंग प्लांट स्थापित

मेगा फूड पार्क के स्थापना के लिए अधिग्रहण के वक्त ही इसके रिजर्व लैंड में हिन्दुस्तान पेट्रोलियम ने एलपीजी प्लांट लगाने की कवायद शुरू की थी। सुरक्षित भूमि में से लगभग 35 एकड़ के बड़े भूभाग में कंपनी का बाटलिंग प्लांट बनकर तैयार हो चुका है। लेकिन, पार्क की मुख्य साइट अब तक हिचकोले खा रही है। यह आ रही दिक्कत

मेगा फूड पार्क राज्य सरकार की ओर से तो मंजूर हो गया लेकिन केंद्र सरकार के स्तर से नोटिफिकेशन जारी नहीं हुआ। ऐसा तब होगा, जब तय काम समय से पूरे हो जाते। नोटिफिकेशन नहीं होने से फूड प्रोसेसिंग यूनिट लगाने वाले उद्यमियों को सब्सिडी नहीं मिल पा रही है। बड़े उद्यमी प्रोजेक्ट में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे। बिजलीघर की दूरी भी ज्यादा

मेगा फूड पार्क परिसर में बिजली के इंतजाम में दिक्कत आ रही है। 132 केवीए सबस्टेशन प्रस्तावित स्थल से 30 किमी. दूर है। इस वजह से बिजली की व्यवस्था करने में दिक्कत आई। इस तरह दूर होंगी अड़चनें

कमिश्नर ने बताया कि बिजली के लिए सबस्टेशन मंजूर हो गया है। नवंबर तक बिजली के साथ अन्य काम भी पूरे करा लिए जाएंगे। ऐसा होने के बाद प्लाटों का ऑनलाइन आवंटन शुरू करा दिया जाएगा। नोटिफिकेशन को प्रयास करेंगे उद्यमी

कमिश्नर ने बताया कि सब्सिडी के दायरे में लाने के लिए उद्यमी केंद्र सरकार में प्रयास करेंगे। संबंधित विभाग में प्रजेटेशन देंगे। ऐसा होते ही अपने जिला का मेगा फूड पार्क भी देश के बड़े उद्यमियों का ध्यान खींच लेगा। बड़े प्रोजेक्ट आने का रास्ता साफ हो जाएगा। वरना यह बचेगा रास्ता

कमिश्नर का कहना है कि नोटिफिकेशन के लिए उद्यमियों के स्तर से प्रयास होते रहेंगे। हम भी अपने स्तर से जोर लगाएंगे लेकिन उससे पहले ही छोटे उद्योगों के लिए जमीन देने का काम शुरू कर देंगे।


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