दवा कारोबार को लगा मंदी का 'रोग'
पहली बार ऐसा हुआ कि किसी वायरस की वजह से दवा कारोबार का ग्राफ नीचे गिर गया। जीवन रक्षक दवाओं को छोड़कर बाकी की मांग ही नहीं रही। अस्पतालों की ओपीडी और सर्जरी नहीं होने से लोग पुराने पर्चो को लेकर ही दवा की दुकानों तक पहुंचे। पिछले वर्ष अप्रैल-मई व इस साल के आंकड़ों की पड़ताल में चौंकाने वाली बातें सामने आई हैं।
जेएनएन, बरेली: पहली बार ऐसा हुआ कि किसी वायरस की वजह से दवा कारोबार का ग्राफ नीचे गिर गया। जीवन रक्षक दवाओं को छोड़कर बाकी की मांग ही नहीं रही। अस्पतालों की ओपीडी और सर्जरी नहीं होने से लोग पुराने पर्चो को लेकर ही दवा की दुकानों तक पहुंचे। पिछले वर्ष अप्रैल-मई व इस साल के आंकड़ों की पड़ताल में चौंकाने वाली बातें सामने आई हैं। जहां अधिकांश दवाओं की बिक्री में गिरावट दर्ज की गई, वहीं रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली दवाओं की बिक्री में दस फीसद का उछाल रहा।
दवा कारोबार से जुड़े एक्सपर्ट बताते है कि एंटी बायोटिक दवाओं के साथ दर्द, गैस्ट्रो और विटामिन की दवाओं की बिक्री आमतौर पर एक साथ होती है। इनकी बिक्री में कमी आई है।
पुरानी बीमारियों की दवाओं की बिक्री बेअसर
उपचार के दौरान क्रॉनिक (पुरानी बीमारी की दवाएं) दवाओं की बिक्री पर असर नहीं पड़ा। मरीजों ने पुराने पर्चे पर ही दवाओं की खरीद की। थोक बाजार से मिले आंकड़ों के मुताबिक हृदय रोग, मधुमेह व श्वास रोग से संबंधित दवाओं की बिक्री में वृद्धि हुई है।
दवा निर्माण इकाइयों का उत्पादन प्रभावित
लॉकडाउन होने के बाद दवा निर्माण इकाइयों का उत्पादन प्रभावित हो रहा है। कंपनियों के स्तर पर वितरण सबसे बड़ी चुनौती है। केमिस्ट बताते हैं कि दवाओं की आपूर्ति में भी समस्या आ रही है।
ओपीडी, ऑपरेशन स्थगित होने से पड़ा असर
अस्पतालों की ओपीडी और ऑपरेशन स्थगित होने से दवाओं की बिक्री पर सीधा असर हुआ है। अब अस्पतालों की गतिविधि दोबारा शुरू होने के बाद बिक्री का ग्राफ सुधरने की उम्मीद है।
सेहत का बढ़ा ग्राफ
जिला अस्पताल के वरिष्ठ परामर्शदाता डॉ. वागीश वैश्य ने बताया कि रोगियों को वह खुद बाहर का खाना, जंक फूड आदि के लिए मना करते हैं। अब लॉकडाउन की वजह से इस पर स्वत: लगाम लग गई। भागदौड़ से इतर लोगों को आराम के लिए भी पर्याप्त समय मिल रहा है। इससे सिरदर्द, बदन दर्द, गैस, थकान आदि की समस्या दूर हो गई है।
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वर्जन
खांसी, बुखार की दवाओं की बिक्री का रिकॉर्ड ग्राहक के मोबाइल नंबर के साथ केमिस्ट सीएमओ कार्यालय को देंगे। जरूरी दवाओं की बिक्री पर कभी असर नहीं पड़ता है। ये गिरावट सामान्य दवाओं की है।
- संजय कुमार, ड्रग आयुक्त
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सिर्फ बरेली नहीं, पूरे देश में गिरावट आई है, लेकिन रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली दवाओं की बिक्री में 10 फीसद का उछाल भी है। ओपीडी और ऑपरेशन नहीं होने से यह असर तो होना ही था।
- दुर्गेश खटवानी, अध्यक्ष केमिस्ट एसोसिएशन
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फैक्ट फाइल
2017 में जीएसटी लागू होने के बाद से फार्मा बाजार में सबसे बड़ी गिरावट
31 फीसद तक घटी एंटीबायोटिक्स की बिक्री
22 फीसद तक घटी पेन किलर की बिक्री
16 फीसद तक घटी गैस से संबंधित दवाओं की बिक्री
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10 फीसद बढ़ी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली दवाओं की बिक्री
13 फीसद बढ़ी हृदय रोग के दवाओं की बिक्री
10 फीसद तक बढ़ी मधुमेह की दवाओं की बिक्री
13.5 फीसद श्वास रोग की दवाओं की बिक्री में आया उछाल