महापौर जुबानी जंग में उलझे, जनता समस्याओं में फंसी
महापौर उमेश गौतम की शहर के बीजेपी मंत्रियों से ठनी चली रही है।
बरेली (जेएनएन): जनता ने दस साल महापौर की कुर्सी पर काबिज रहे डॉ. आइएस तोमर को एक झटके में उतार फेंका। इस उम्मीद के साथ कि मोदी लहर पर सवार भाजपा के महापौर डॉ. उमेश गौतम शहर का कुछ उद्धार कर देंगे। स्मार्ट सिटी का सपना सिर्फ सपना नहीं रहेगा। केंद्र से लेकर प्रदेश तक की सरकारों का लाभ मिलेगा, कुछ काम होगा लेकिन अफसोस.. पांच महीने गुजर गए, अभी ऐसा होता कुछ दिख नहीं रहा है। महापौर जब से कुर्सी पर काबिज हुए हैं, अपने बयान और जेड श्रेणी की सुरक्षा की चाहत को लेकर ही चर्चा में हैं। वहीं, पुराने हिसाब चुकता करने के लिए जुबानी जंग में लगातार उलझे हैं। पूर्व महापौर डॉ. आइएस तोमर निशाने पर थे ही, अब एसएसपी भी नहीं बचे। बाकी ताकत, इन्वर्टिस विश्वविद्यालय के बगल में स्थापित सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट को हटाने में झोंक दी है। इस सारी कवायद के बीच जो पिस रहा है, वो बेचारी जनता है..।
घमासान आए दिन, काम नहीं दिख रहा
नगर निगम बीते करीब पांच महीनों में खासे चर्चा में रहे। सबसे पहले महापौर को जानलेवा धमकी मिलने का मामला सामने आया। उसके बाद जो जंग महापौर ने शुरू की, अभी तक लड़ रहे हैं। अतिक्रमण हटाने के मुद्दे को छोड़ दें तो विकास का एक बड़ा काम इन महीनों नहीं हो पाया है। कूड़े से निजात फिलहाल दूर की कौड़ी है। टैक्स का बोझ कम होने का नाम नहीं ले रहा है। नाले गंदगी से भरे हुए हैं और पीने का पानी भी साफ नहीं मिल रहा है। शहर आज भी समस्याओं से मुक्ति मांग रहा है। हालात जल्द बदलेंगे, दिख नहीं रहा।
कूड़े के ढेर से नहीं मिली निजात
महापौर बनने से पहले डा. उमेश गौतम ने शहर को कूड़े से मुक्ति दिलाने का वादा शहर की जनता से किया था। चार माह बीतने के बाद भी कूड़े के ढेर सड़कों पर नजर आ रहे हैं। बाकरगंज खड्ड में कूड़े के ढेर लगे हुए हैं। वहां कूड़े का निस्तारण अब तक शुरू नहीं हो पाया है। सड़कों के किनारे कूड़े के ढेर लगे रहते हैं। गली-मुहल्लों में भी कूड़ा बिखरा पड़ा रहता है। घरों से कूड़ा उठाने की डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन व्यवस्था अब तक पूरे शहर में लागू नहीं हो पाई है। घरों का कूड़ा सड़क किनारे व खाली प्लाटों में ही फेंका जा रहा है। हां, इस बीच कूड़ा निस्तारण के लिए कई देशों की कंपनियों की आमद जरूर मीडिया में सुर्खियां बनकर गायब हो गई।
टैक्स के आतंक से छुटकारा नहीं
महापौर ने लोगों को टैक्स रूपी आतंकी से छुटकारा दिलाने की घोषणा की थी। पहली ही बैठक में टैक्स आधा करने को कहा था। यहां भी महापौर गच्चा खा गए। तीन महीने बीत चुके हैं और टैक्स वैसा ही है। तमाम खामियां छोड़ दी गईं। वर्ष 2007-09 के की दरों को ही दस फीसद वृद्धि के साथ लागू करने का प्रस्ताव पारित किया गया। इसमें कई मुहल्लों की दरें कम होने के बजाए बढ़ गई।
शहरवासियों को पानी नहीं नसीब
शहर की दस लाख से अधिक की आबादी की प्यास बुझाने के लिए करीब डेढ़ सौ एमएलडी पानी की रोजाना जरूरत है। नगर निगम इसमें से करीब सौ एमएलडी पानी की आपूर्ति ही करा पा रहा है। जल निगम ने सात नए ओवरहेड टैंक बना लिए हैं, लेकिन नगर निगम अब तक उन्हें टेकओवर नहीं कर पाया है। वही, शहर के कई मुहल्लों में पानी नहीं आने और गंदा पानी आने की शिकायत है। आवास-विकास, फाल्तूनगंज, नेकपुर, कालीबाड़ी, सिकलापुर समेत तमाम क्षेत्रों में गंदा पानी आ रहा है।
बहता सीवर खोल रहा पोल
शहर में सीवर लाइनें चोक होने की बड़ी समस्या है। पुरानी और जर्जर सीवर लाइनें कई जगह से धंस चुकी है। पुराने शहर के मुहल्ला सूफी टोला, रबड़ी टोला, लोधी टोला समेत अन्य स्थानों पर सीवर का पानी रास्तों पर बह रहा है। इन मुहल्लों में लोगों को सुविधाएं नहीं मिल रही हैं। वहीं, कई मुहल्लों में अब तक सीवर लाइनें डाली ही नहीं गई हैं।
गंदगी से लबालब भरे नाले
मानसून सिर पर है। शहर में करीब एक सौ छोटे-बड़े नाले हैं। इनमें से करीब दर्जन भर नाले बड़े और कई मुहल्लों से होकर निकलते हैं। बारिश से पहले नालों की सफाई का अभियान चलाया जाता है। इस बार अब अभियान शुरू करने की सुध आई है। सुभाषनगर का नाला, बदायूं रोड, लोधी टोला, हजियापुर, जाटवपुरा समेत अन्य स्थानों पर नाले में भीषण गंदगी है।