तंजीम उलमा-ए-इस्लाम के राष्ट्रीय महासचिव बोले- बरेलवी मुसलमानों को नजरअंदाज कर रहे अखिलेश यादव
मौलाना ने आगे कहा कि अखिलेश यादव का इतिहास बताता है कि उन्होंने दारूलउलूम देवबंद जिला सहारनपुर और मदरसा नदवातुल उलमा लखनऊ का कई बार दौरा किया और अपने शासन काल में आर्थिक मदद भी की लेकिन उन्होंने सुन्नियों के सबसे बड़े मरकज बरेली शरीफ को क्यों नजरअंदाज किया।
बरेली, जेएनएन। दरगाह आला हजरत से जुड़े संगाठन तंजीम उलमा-ए-इस्लाम के राष्ट्रीय महासचिव मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने एक बयान जारी कर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव सुन्नी सूफी बरेलवी मुसलमानों को नजरअंदाज कर रहे हैंं। उन्होंने विधानसभा के चुनाव मे बरेलवी विचारधारा के व्यक्तियों को टिकट न देकर नजरअंदाज किया और अब राज्य सभा के चुनाव मे भी बरेलवी मसलक से जुड़े हुए किसी व्यक्ति को टिकट नहीं दिया। ऐसा तब हो रहा है जब पूरे उत्तर प्रदेश मे बरेलवी मुस्लिमों की 80 फीसद आबादी है। अखिलेश यादव के यह रणनीति चिंताजनक है। भविष्य में बरेलवी लोग समाजवादी पार्टी के समर्थन को लेकर पुनर्विचार करेंगे।
मौलाना ने आगे कहा कि अखिलेश यादव का इतिहास बताता है कि उन्होंने दारूलउलूम देवबंद जिला सहारनपुर और मदरसा नदवातुल उलमा लखनऊ का कई बार दौरा किया और अपने शासन काल में आर्थिक मदद भी की। हमें इस पर कोई ऐतराज नहीं है मगर हम उनसे पूछना चाहते हैं कि उन्होंने सुन्नियों के सबसे बड़े मरकज बरेली शरीफ को क्यों नजरअंदाज किया। राज्य सभा में उत्तर प्रदेश की बहुसंख्यक आबादी वाले बरेलवी व्यक्ति को क्यों नहीं भेजा। इन तमाम बातों को लेकर बरेलवी मसलक की जनता और उलमा अखिलेश यादव से सख्त नाराज हैं। इस नाराजगी का खमियाजा सपा को आगे आने वाले चुनाव में भुगतना होगा।
मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने कल विधानसभा में हुई घटना पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि अखिलेश यादव ने कल जिस तरीके से जोश व गुस्से के साथ गैर अखलाकी भाषा का इस्तेमाल किया, क्या कभी उन्होंने मुसलमानों के मुद्दों पर इस तरह का जोश दिखाया। क्या कभी आजम खां की हिमायत में आवाज बुलंद की। क्या वह बनारस की ज्ञानवापी मस्जिद और मथुरा की ईदगाह से जुड़े मुद्दे को लेकर विधानसभा के अंदर इसी अंदाज में जोश दिखा पाएंगे।