MANREGA : आपदा को बनाया अवसर, गांंव के विकास को लगी होड़
कोरोना काल में लोगों को ज्यादा से ज्यादा रोजगार मुहैया कराने को सरकार मनरेगा योजना चला रही है। गांव के प्रधान इसे अवसर के रूप में देख रहे हैं
बरेली, जेएनएन । MNREGA : कोरोना काल में लोगों को ज्यादा से ज्यादा रोजगार मुहैया कराने को सरकार मनरेगा योजना चला रही है। गांव के प्रधान इसे अवसर के रूप में देख रहे हैं क्योंकि आने वाले महीनों में प्रधानी का चुनाव है। ऐसे में अपने गांव को चमकाने को लेकर मनरेगा से काम कराने को प्रधानों में होड़ मची हुई है।
सरकार ने जिले में 37 लाख मानव दिवस सृजित करने का लक्ष्य दिया है। इतना ही नहीं मनरेगा के तहत 112 करोड़ रुपये का बजट मिला हुआ है। सरकार की मंशा है कि हर प्रवासी को काम मिले। इसके लिए गांव-गांव मनरेगा के तहत काम करवाया जा रहा है। आगामी दिनों में प्रधानी का चुनाव भी होना है। ऐसे में प्रधान गांव में मनरेगा के तहत ज्यादा से ज्यादा काम कराना चाहते हैं। जिससे आगामी चुनाव में इसका फायदा उठाया जा सके।
यही वजह है कि न सिर्फ गांव में सड़के नाले और तालाबों की खुदाई हो रही है बल्कि मनरेगा के तहत समतल हो चुकी नदियों को भी जीवन दान दिया जा रहा है। पीलिया और बहुगुल नदी इसका उदाहरण हैं। पानी की समस्या खत्म करने के लिए छोटे छोटे पोखर बनाए जा रहे हैं। साथ ही खेतों तक पानी पहुंचाने के लिए नलकूप से हर खेत तक नालियों तक का निर्माण कराया जा रहा है।
वहीं व्यक्तिगत लाभार्थी योजना में भी गांव के ज्यादा से ज्यादा लोगों को लाभ दिलाने के लिए प्रधान सक्रिय हैं। ऐसे में जहां गांव का विकास हो रहा है। वहीं लोगों को भी रोजगार मिल रहा है। प्रधानों को इसका कितना लाभ मिलेगा। यह समय बताएगा लेकिन इससे गांवों की सूरत जरुर बदल रही है।
मनरेगा से काम कराने को प्रधान सक्रिय है। वह चाहते हैं कि उनके गावों में ज्यादा से ज्यादा काम हो। खास बात यह है कि इसमें बजट की भी कोई कमी नहीं है। गंगाराम, उपायुक्त, मनरेगा