Make Small Strong : कसौटी पर खरा उतरे तो चमका कारोबार, दो लाख से 20 करोड़ हुआ टर्न ओवर
किसी भी कारोबार में कामयाबी के महत्वपूर्ण घटक होते हैं-धैर्य वचनबद्धता विश्वास और पेशेवर प्रतिस्पर्धी रवैया। बरेली के कालीबाड़ी निवासी संजय अग्रवाल कहते हैैं कि कास्मेटिक के कारोबार में तो भरोसे और पक्की जुबान की बुनियाद पर ही सबकुछ टिका होता है।
बरेली, जेएनएन। किसी भी कारोबार में कामयाबी के महत्वपूर्ण घटक होते हैं-धैर्य, वचनबद्धता, विश्वास और पेशेवर प्रतिस्पर्धी रवैया। बरेली के कालीबाड़ी निवासी संजय अग्रवाल कहते हैैं कि कास्मेटिक के कारोबार में तो भरोसे और पक्की जुबान की बुनियाद पर ही सबकुछ टिका होता है। हमारे व्यापार में हमारा दुकानदार से सीधा और मजबूत रिश्ता होता है। यह रिश्ता जितना घनिष्ठ और सुदृढ़ होगा कारोबार उतना ही सशक्त और सबल होगा। इसी मेलजोल की वजह से दो कंपनी से शुरू हुआ कारोबार 24 कंपनियों तक पहुंच गया।
यही नहीं कोरोना संक्रमण के दौर में आई मुश्किलों से भी पार पा सके। संजय अग्रवाल बताते हैं कि 1998 में उन्होंने संजय सेल्स नाम से एक फर्म खोली। दो लाख रुपये से काम शुरू किया। बरेली से शुरू हुआ व्यापार आज बदायूं, शाहजहांपुर, पीलीभीत के अलावा मुरादाबाद, बिजनौर, धामपुर, चंदौसी, रामपुर, अमरोहा, हल्द्वानी, काशीपुर, पुरनपुर तक फैल चुका है। छोटे-छोटे कई गांवों व कस्बों में भी सप्लाई है। बरेली व मुरादाबाद मंडल के साथ उत्तराखंड में कई डिस्ट्रीब्यूटर बनाए। जिनके जरिए ब्रांडेड कंपनियों का माल गांव-गांव, शहर-शहर भेजा जा रहा है। आज करीब 20 करोड़ रुपये का वार्षिक टर्नओवर है।
कोरोना काल में कई दुकानें बंद हुई। लोगों के ऊपर पैसा बाकी था। वह बिना उधार वापस किए ही चले गए। कंपनियों ने सामान वापसी पर भी कई बार दिक्कतें भी आयी। लेकिन रुके न झुके, भरोसा कायम रखा। रिटेलर, होल सेलर से संपर्क किया। एक फर्म से शुरू किया व्यापार आज तीन फर्म तक पहुंच चुका है। व्यापार में भतीजा अर्सित अग्रवाल मदद करता है। संकट में एक दरवाजा बंद तो दूसरा खुलता है संकट के समय में अगर एक रास्ता बंद होता है तो उससे निकलने के कई रास्ते भी खुलते हैं। सिर्फ जरूरत होती है, उनको पहचान कर आगे बढऩे की।
संजय बताते हैं कि कोरोना संक्रमण को लेकर हुए लॉकडाउन में आपदा को अवसर में बदलने की अच्छी सर्विस व तकनीक का साथ लिया तो लगातार आगे बढ़ते चले गए। बहनोई से ली प्रेरणा और बढ़े आगे संजय बताते हैं कि पहले वह एलआइसी व यूटीआइ समेत अन्य कुछ कंपनियों के एजेंट थे। रामपुर गार्डन निवासी बहनोई रमेश कुमार अग्रवाल ने उन्हें इस लाइन में आने को कहा। उन्हें राह दिखाई और आज वह सफलतापूर्वक व्यवसाय चला रहे।