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बरेली में दम ताेड़ रहे बेहतर इलाज के दावे, अस्पतालाें में लटक रहे ताले, वेंटीलेटर पर इमरजेंसी सेवाएं, जानिए कैसे हाे रहा इलाज

सरकारी अस्पतालों में इमजरेंसी सेवाएं वेंटीलेटर पर हैं। बेहतर इलाज के दावे दम तोड़ रहे हैं। कुछ अस्पताल तो पूरी तरह से फार्मासिस्ट के हवाले हैं। स्टाफ का अभाव है। डॉक्टर तक नहीं हैं। मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

By Ravi MishraEdited By: Published: Mon, 10 May 2021 07:31 PM (IST)Updated: Mon, 10 May 2021 07:31 PM (IST)
बरेली में दम ताेड़ रहे बेहतर इलाज के दावे, अस्पतालाें में लटक रहे ताले, वेंटीलेटर पर इमरजेंसी सेवाएं, जानिए कैसे हाे रहा इलाज
बरेली में दम ताेड़ रहे बेहतर इलाज के दावे, अस्पतालाें में लटक रहे ताले

बरेली, जेएनएन। सरकारी अस्पतालों में इमजरेंसी सेवाएं वेंटीलेटर पर हैं। बेहतर इलाज के दावे दम तोड़ रहे हैं। कुछ अस्पताल तो पूरी तरह से फार्मासिस्ट के हवाले हैं। स्टाफ का अभाव है। डॉक्टर तक नहीं हैं। मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। रविवार को इसकी पड़ताल की गई तो पोल खुलकर सामने आ गई। कई अस्पतालों में ताले लटके मिले, जबकि इमरजेंसी व प्रसव संबंधी सेवाएं मिलने व सैंपलिंग होने के दावे किए गए थे।

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भटक रहे मरीज, इलाज का पता नहीं

शीशगढ़ सीएचसी में ओपीडी के साथ इमजरेंसी सेवाएं भी बंद हैं। ऐसे में मरीज कहां जाएं। वे इलाज के लिए इधर-उधर भटकने के लिए मजबूर हैं। यहां तैनात डा. विवेक आर्य को तीन सौ बेड कोविड अस्पताल में भेज दिया गया है। अस्पताल फार्मासिस्ट व वार्ड ब्वाय के सहारे छोड़ दिया गया है। कुछ समय तक फार्मासिस्ट अपने हिसाब से मरीजों को दवाएं दे रहे थे, मगर पंद्रह दिनों से चिकित्सकीय सेवाएं बंद हैं।

सीएचसी को कोविड अस्पताल बनाने की तैयारियां चल रही हैं। अस्पताल में रोज की तरह रविवार को भी चैनल खोल कर अंदर से गेट लॉक कर लिया गया था। जब पता किया तो बताया कि कोविड की दवाइयां व मेडिकल रूम व सभी कमरों की व्यवस्था में कर्मचारी लगे हैं। फार्मासिस्ट दिनेश चंद्र ने बताया कि सीएचसी को कोविड अस्पताल बनाया जा रहा है। मेंटीनेंस का कार्य चल रहा है। यहां पर मरीज को देखने के लिए कोई डॉक्टर तैनात नहीं है।

गंभीर मरीजों को शेरगढ़ भेजा जाता है। अस्पताल में इमजरेंसी के साथ डिलीवरी प्वाइंट भी बंद कर दिया गया है। शनिवार दोपहर करीब 11 बजे छोटे लाल भाभी निर्मला देवी को प्रसव पीड़ा होने पर शेरगढ़ लेकर पहुंचे थे। वहां स्टाफ नर्स ने मरीज की हालत देखे बिना बरेली रेफर कराने की बात कही। इस पर उन्होंने कहा कि मरीज को पहले देख तो लीजिए मगर उनकी डॉक्टरों के आगे एक न चली। इसकी जानकारी होने पर चिकित्सा प्रभारी डा. नैन सिंह ने फोन कर स्टाफ को मरीज को भर्ती करने को कहा। इस पर मरीज को भर्ती तो कर कर लिया, मगर इलाज नहीं किया। परेशान होकर स्वजन महिला को प्राइवेट अस्पताल में ले गए।

अस्पताल में नहीं डॉक्टर की तैनाती

दुनका नवीन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में चिकित्सक की तैनाती नहीं है। इससे मरीजों को दिक्कत होती है। वैक्सीन की दूसरी डोज लगवाने वाले भटक रहे हैं। उन्हें दस किमी दूर शेरगढ़ स्थित अस्पताल में जाना पड़ रहा है। ग्रामीणों ने बताया कि अस्पताल फार्मासिस्ट व लैब टेक्नीशियन के हवाले है।

अस्पताल में लटका ताला

भुता नवीन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में ताला लटका हुआ है। मरीजों को इमजरेंसी सेवाएं तक नसीब नहीं हो रही हैं। निजी अस्पतालों की दौड़ लगानी पड़ रही है। प्रभारी चिकित्साधिकारी डा. चंचल अग्निहोत्री ने बताया कि कोरोना के चलते 16 मई तक ओपीडी बंद है। यहां स्टाफ के रूप में प्रभारी चिकित्सा अधिकारी, फार्मासिस्ट विष्णु देव, वार्ड ब्वाय नवीन कुमार, लाइव टेक्नीशियन अशोक यादव, एएनएम तैनात हैं। वहीं, फतेहगंज पूर्वी स्थित नवीन स्वास्थ्य केंद्र में भी ताला पड़ा रहा।


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