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साहब ने छुट्टी नहीं दी तो ट्रेन के आगे पटरी पर सिर रखकर कर्मचारी ने दे दी जान

छुट्टी न मिलने पर कृषि विभाग के कर्मचारी ने ट्रेन के आगे रेल लाइन पर सर रखकर आत्महत्या कर ली।

By Abhishek PandeyEdited By: Published: Tue, 18 Dec 2018 03:17 PM (IST)Updated: Wed, 19 Dec 2018 01:31 PM (IST)
साहब ने छुट्टी नहीं दी तो ट्रेन के आगे पटरी पर सिर रखकर कर्मचारी ने दे दी जान

शाहजहांपुर(जेएनएन)। कृषि विभाग में तैनात चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी रामबहादुर बीमार पत्नी को दवा दिलाने के लिए कई दिन से छुट्टी मांग रहे थे। हर बार उन्हें मना कर दिया गया। मामला ज्यादा बिगडऩे पर मंगलवार को भी उन्होंने उप निदेशक कृषि से गुहार लगाई लेकिन, मजबूरी और मानवीय संवेदनाओं को ध्यान रखने के बजाए उन्हें दूसरे कार्य पर भेज दिया। साहब के रवैये से रामबहादुर इस कदर आहत हुए, जान देने का फैसला कर लिया। हाथ पर महज चार शब्द में अपनी मजबूरी की दास्तां लिखी और ट्रेन की पटरी पर सिर रख दिया। घर का कमाऊ शख्स एक अफसर के उत्पीडऩ से चला गया। परिजनों का गुस्सा भड़कना ही था। उन्होंने शव दफ्तर के सामने रखकर जाम लगाया। अधिकारी की गिरफ्तारी की मांग की। आक्रोश पर प्रशासन पिघला और देर शाम पत्नी की तहरीर पर उप निदेशक के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने का मुकदमा दर्ज हो गया। 

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पिछले दिनों सूबे में कुछ अफसरों और कर्मचारियों ने खुदकशी की तो घटनाएं सुर्खियां बनीं। सवाल उठे, काम के दबाव में ऐसा करने को मजबूर हुए मगर रामबहादुर (35) का जान देना वाकई सवाल खड़ा करने वाला है। कृषि विभाग में इंजन ऑपरेटर थे। सरकारी कॉलोनी में रहते थे। उनकी पत्नी माया देवी की मानें तो तीन दिन पहले दर्द होने के कारण दाढ़ उखड़वायी थी। मंगलवार को फिर से दर्द उठा। डॉक्टर को दिखाना था। पति सुबह ही साहब से छुट्टी मांगने गए लेकिन, नौ बजे लौट आए। बताया कि साहब ने छुट्टी नहीं दी। उन्हें दूसरे काम पर जाने के निर्देश दिए हैं।

...फिर लौटकर मौत की खबर आई

इतना कहकर रामबहदुर घर से चले गए। कुछ देर बाद उनकी मौत की खबर ही उनके घर आई। लालपुल रेलवे लाइन के पास सिर रखकर जान दे दी। बाइक ट्रैक किनारे खड़ी मिली। इससे घर में मातम छा गया। 

शासन से ली गई एफआइआर की अनुमति

डीएम शाहजहांपुर अमृत त्रिपाठी ने बताया कि कृषि विभाग में कर्मचारी की आत्महत्या के मामले की पुलिस जांच करेगी। दोषी पाए जाने पर संबंधित के खिलाफ कार्रवाई होगी। उप कृषि निदेशक के खिलाफ एफआइआर के लिए शासन से अनुमति ली गई। 

हथेली पर लिखा सुसाइड नोट, 'साब परसान करते हैं...'

राजबहादुर कितना परेशान थे इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उन्हें अपना दर्द लिखने को कुछ नहीं मिला तो हथेली पर सुसाइड नोट लिख डाला। लिखा, 'साब परसान करते हैं (साहब परेशान करते हैं)। यह चार शब्द बता रहे है कि रामबहादुर ने बेहद परेशान होकर आत्मघाती कदम उठाया। 

स्टाफ के लोग उप निदेशक को ठहरा रहे गलत

विभागीय कर्मचारियों की माने तो जुलाई 2016 से रामबहादुर उप कृषि निदेशक यहां तैनात थे। उनकी पोस्ट इंजन ऑपरेटर की थी, लेकिन साहब ने उसे अपना घरेलू नौकर बना रखा था। सुबह नौ बजे से लेकर रात 12 बजे तक वह उनके निजी काम करता था। कहीं जाना होता था तो वह रामबहादुर को साथ में ले जाते थे। वह कॉलोनी में ही बने गेस्ट हाउस में रहते थे। रविवार को भी रामबहादुर को छुट्टी नहीं मिलती थी। छुट्टी मांगने पर साहब कड़ी फटकार लगाते थे। विभाग के किसी भी कर्मचारी को अचानक छुट्टी की जरूरत पड़ जाए तो वह इन्कार कर देते थे। इस बाद से सभी विभागीय कर्मचारी परेशान थे। राम बहादुर की मौत पर विभागीय कर्मचारियों में काफी आक्रोश है। सभी लोग उप कृषि निदेशक को ही गलत ठहरा रहे हैं। सभी कर्मचारियों ने इस मामले की गहनता से जांच कराने की मांग की है। 

बर्तन और कपड़े धुलवाते थे उप निदेशक

रामबहादुर की पत्नी का आरोप है कि उप कृषि निदेशक उनके पति से बर्तन, कपड़े धुलवाने से लेकर घर के अन्य जरूरी काम कराते थे। इस बात से वह काफी परेशान थे कि उन्हें इंजन ऑपरेटर की ड्यूटी पर नहीं भेजा जाता था। घरेलू काम करने की वजह से उनके पति को विभाग में काफी शर्मिंदगी होती थी। लेकिन मजबूरन वह परिवार के बारे में सोचकर नौकरी कर रहे थे। जब मन होता था तो साहब फोन करके उनके पति को बुला लेते थे। किसी भी समय बाजार से कोई भी सामान लेने के लिए भेज देते थे। उनके पति कई बार साहब से कह चुके थे कि वह इंजन पर ड्यूटी करना चाहते हैं, लेकिन उनको अनसुना कर दिया। ज्यादा कहने पर उनकी फटकार लगा देते थे। जिसकी वजह से रामबहादुर डर जाते थे। वह अंदर ही अंदर घुट रहे थे। पिछले कई महीनों से उसके पति को साहब ने छुट्टी नहीं दी थी।


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