जानिये वर्ष 2015 से पहले टीईटी पास कर चुके लोगों में फिर से क्योंं जगी शिक्षक बनने की आस
Hope of becoming a teacher टीईटी की मान्यता आजीवन के लिए बढ़ जाने के बाद वर्ष 2011 से लेकर 2019 में हुई परीक्षा में सफल अभ्यर्थियों ने प्रमाण पत्र लेने के लिए जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान डायट में दौड़ लगानी शुरू कर दी है।
बरेली, जेएनएन। Hope of becoming a teacher : टीईटी की मान्यता आजीवन के लिए बढ़ जाने के बाद वर्ष 2011 से लेकर 2019 में हुई परीक्षा में सफल अभ्यर्थियों ने प्रमाण पत्र लेने के लिए जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान, डायट में दौड़ लगानी शुरू कर दी है। इससे पहले टीईटी की मान्यता पांच वर्ष होने की वजह से अभ्यर्थियों की आस टूट गई थी। लेकिन, अब आजीवन मान्यता होने के बाद फिर अभ्यर्थियों में आस जगी और अभ्यर्थियों ने डायट में प्रमाण पत्र लेने के लिए आना शुरू कर दिया है।
वर्ष 2018-19 में उत्तीर्ण होने वालों के तो प्रमाण पत्र आसानी से मिल जा रहे हैं। लेकिन, इससे पहले वर्षों के प्रमाण पत्र न मिलने की अभ्यर्थियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। डायट में हर रोज पांच से सात अभ्यर्थी 2011 से 2019 तक के अपने प्रमाणपत्र लेने के लिए पहुंच रहे हैं। यूपी टीईटी पहले पांच साल के लिए मान्य था इसलिए 2015 के पहले के प्रमाणपत्र बेकार हो गए थे।
मगर, अब इसकी मान्यता आजीवन हो जाने के बाद पूर्व में सफल हुए अभ्यर्थियों में फिर टूटी आस खिल उठी है। डायट में 2018 के तकरीबन छह से नौ हजार और 2019 के करीब 13 हजार प्रमाणपत्र पड़े हैं। इससे पहले वर्षों के भी प्रमाण पत्र डायट में रखें हैं। लेकिन, इसका रिकार्ड इसलिए नहीं मिल पा रहा है। डायट प्राचार्य शशि देवी शर्मा के अनुसार जिन क्लर्कों के पास इसका रिकार्ड था उनका स्थानांतरण हो चुका है या वे सेवानिवृत्त हो गए हैं। पर, सभी अभ्यर्थियों को अपने प्रमाण पत्र मिल सकें इसके लिए डाटा निकाला जा रहा है।