Nagar Nigam : जानिए कैसे हुआ महापौर से चर्चित लड़ाई का तबादले पर अंत Bareilly News
नगर आयुक्त बतौर चार्ज संभालने वाले सैमुअल पॉल एन और महापौर डॉ. उमेश गौतम के बीच ताल्लुकात खराब रहे।
जेएनएन, बरेली : नौकरशाही और बोर्ड में तालमेल के एतबार से देखें तो नगर निगम में आइएएस को तैनात करने का पहला तजुर्बा अच्छा नहीं रहा। नगर आयुक्त बतौर चार्ज संभालने वाले सैमुअल पॉल एन और महापौर डॉ. उमेश गौतम के बीच ताल्लुकात खराब रहे। इतने खराब कि जुबां की तल्खी से शुरू होकर खींचतान से होते हुए मुकदमेबाजी तक पहुंच गए। बीच में दिल मिलाने के लिए दो बार हाथ मिलवाए गए लेकिन कड़वाहट बरकरार रही। आखिरकार इस लड़ाई का समापन नये साल पर नगर आयुक्त के तबादले से हुआ।
प्रयागराज में कुंभ कराकर 18 फरवरी 2019 को सैमुअल पॉल एन बरेली आए थे। आइएएस वाली कार्यशैली में ही काम शुरू किए। यहां तक कि किससे कब मिलेंगे मुलाकात का वक्त भी कर दिया। जिला पंचायत मार्ग पर पोर्टेबल शॉप को लेकर उनकी महापौर से ठन गई।
डीएम से जांच की सिफारिश पर तनातनी का माहौल बन गया। उसका असर भी दिखाई दिया। एक पार्षद पर मुकदमा दर्ज कराया तो मामले ने जोर पकड़ लिया। 15 दिन तक धरना-प्रदर्शन हुआ। फिर एक दिन महापौर ने नगर आयुक्त के कमरे में घुसकर नगर स्वास्थ्य अधिकारी को खींचा तो महापौर समेत 50 पार्षदों पर रिपोर्ट दर्ज करवा दी गई। पार्षदों ने भी निगम के कार्यों में सहयोग छोड़ दिया।
प्रस्तावों में आपत्ति लगा दी। मामला लखनऊ तक पहुंचा। तब कमिश्नर की पहल पर दोनों ने एक साथ निगम परिसर में पौधरोपण कर हाथ मिलाया, लेकिन फिर भी खटास बनी रही। महापौर ने नगर आयुक्त और निगम के कई अफसरों की कार्यशैली के बारे में मुख्यमंत्री, नगर विकास मंत्री समेत भाजपा के बड़े पदाधिकारियों तक को पत्र लिखे।
कुछ दिन पहले अचानक महापौर ने कान्हा उपवन का निरीक्षण कर वहां गोवंश के मरने पर निगम के अफसरों को जिम्मेदार ठहराया। नगर आयुक्त ने महापौर पर निगम की छवि खराब करने का आरोप लगाते हुए शासन में शिकायत की। इस झगड़े को खत्म कराने के लिए वरिष्ठ आइएएस नवनीत सहगल भी जरिया बने। जब वह जिले के नोडल अधिकारी बनकर निरीक्षण के लिए आए तो विवाद पर विराम के लिए दोनों लोगों को अलग बैठाया। तब कहीं जाकर नगर निगम कार्यकारिणी और बोर्ड की बैठक में पुनरीक्षित बजट पास हुआ। डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन और विकास के कामों का रास्ता साफ हुआ।
लगा कि मनमुटाव खत्म हो जाएंगे लेकिन बीते दिनों महापौर ने एक बार मुख्यमंत्री से शिकायत कर दी। स्मार्ट सिटी कंपनी में करोड़ों रुपये घोटाले के आरोपित सतीश को भर्ती करने तो लेकर विजीलेंस जांच की मांग उठाई। यह इस बात का प्रमाण था कि दिल मिले नहीं है। बहरहाल नगर आयुक्त के ग्रेटर शारदा का प्रशासक बना दिए जाने से विवाद के लंबे अध्याय पर विराम लग गया। अब यहां अयोध्या में सीडीओ रहे अभिषेक आनंद को भेजा गया है। देखना होगा कि उनके आने के बाद नगर निगम में ताल्लुकात की नई इबारत किस तरह लिखी जाएगी।
नगर आयुक्त ने नगर निगम में विकास का एक भी काम नहीं कराया। स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट पर ही ध्यान लगाए रहे लेकिन वहां भी कोई काम नहीं हुआ। 11 माह तैनात रहे, 11 मीटर सड़क नहीं बनवा सके।
डॉ. उमेश गौतम, महापौर
नगर निगम में काम करने के लिए आया था और हरदम इसी प्रयास में लगा रहा। विवाद पर कुछ नहीं कहना चाहता। जो कुछ किया जनता के हित सामने रखकर किया। तबादला नौकरी का हिस्सा है।
सैमुअल पॉल एन, तत्कालीन नगर आयुक्त