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Unlock-1 Farming : बरेली के किसानों की किस्मत बदलेगा महाराष्ट्र का किन्नू Bareilly News

महाराष्ट्र में पैदा होने वाले किन्नू (संतरे की तरह दिखने वाला फल) की खेती अब बरेली में भी होगी। उद्यान विभाग का दावा है कि जिले के कुछ स्थानों पर ऐसी भूमि है जो किन्नू की फसल के लिए उपयुक्त है। 60 से 70 हेक्टेयर जमीन में पहली बार यह फसल लगाई जाएगी।

By Edited By: Published: Wed, 17 Jun 2020 02:18 AM (IST)Updated: Wed, 17 Jun 2020 01:49 PM (IST)
Unlock-1 Farming : बरेली के किसानों की किस्मत बदलेगा महाराष्ट्र का किन्नू Bareilly News
Unlock-1 Farming : बरेली के किसानों की किस्मत बदलेगा महाराष्ट्र का किन्नू Bareilly News

बरेली, जेएनएन। महाराष्ट्र में पैदा होने वाले किन्नू (संतरे की तरह दिखने वाला फल) की खेती अब बरेली में भी होगी। उद्यान विभाग का दावा है कि जिले के कुछ स्थानों पर ऐसी भूमि है जो किन्नू की फसल के लिए उपयुक्त है। 60 से 70 हेक्टेयर जमीन में पहली बार यह फसल लगाई जाएगी। जो आगे चलकर कम लागत में किसानों की बेहतर आमदनी का जरिया बनेगी। वहीं, जनपद में 20 हेक्टेयर अमरूद के भी बाग लगाए जाएंगे। खासतौर से महाराष्ट्र के नागपुर में पैदा होने वाले नींबू वर्गीय फल किन्नू की खेती बरेली में भी संभव है। वजह, इसकी खेती के लिए जिस तरह की भूमि की आवश्यकता होती है वह रामगंगा नदी के किनारों पर हैं।

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उद्यान विभाग की जांच में यह भूमि उपयुक्त पाई गई है। पड़ताल के बाद ही जिले में इसकी खेती की शुरुआत करने का निर्णय लिया गया है। अभी फिलहाल सरकार की ओर से इसकी खेती में कोई अनुदान की व्यवस्था नहीं की गई है। फिर भी 60 से 70 हेक्टेयर भूमि में इसकी खेती की जाएगी। इच्छुक किसानों को उद्यान विभाग दो साल के तैयार पौधे उपलब्ध कराने में सहायता करेगा। इसको लगाने के बाद किसान को केवल एक साल इसकी देखरेख करनी होती है। चौथे साल में पौधे पर फल आना शुरू हो जाते हैं।

पहली बार में एक पेड़ पर करीब 50 किलो फल आता है। इस भूमि की होती है जरूरत किन्नू की खेती के लिए सबसे उपयुक्त बलुवी-दोमट मिट्टी होती है। इसके अलावा चिकनी-दोमट या गहरी चिकनी-दोमट या फिर तेजाबी मिट्टी में भी इसकी खेती हो सकती है। बरेली में रामगंगा किनारे बलुवी-दोमट मिट्टी पाई जाती है। उद्यान विभाग के अधिकारी इसकी पड़ताल कर चुके हैं। रोजाना छह ट्रक की है खपत बरेली की डेलापीर मंडी में रोजाना करीब छह ट्रक किन्नू महाराष्ट्र, औरेया समेत अन्य जगहों से आता है।

नवंबर के आखिर से किन्नू का सीजन शुरू हो जाता है। शुरूआत में आवक कम होने पर फुटकर में यह 30 से 40 रुपये प्रतिकिलो तक बिकता है, जबकि आवक बढ़ने पर 20 से 30 रुपये तक बिकता है। 

किन्नू का पौधा एक बार लगाने के बाद आगे उसकी सिर्फ देखरेख करनी पड़ती है। जिसमें लागत कम आती है और पौधा बड़ा और घना होने के साथ आमदनी लगातार बढ़ाता है। एक बार लगाया गया पौधा 15 से 20 साल तक फल देता है। -आनंद स्वरूप, सहायक उद्यान अधिकारी


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