Pilibhit Tiger Reserve : जंगल से बाहर निकल कर घूमने वाले बाघों पर कानपुर के एक्सपर्ट करेंगे स्टडी
माला रेंज के जंगल से बाहर घूम रहे बाघ की गतिविधियों का अध्ययन करने के लिए कानपुर से एक्सपर्ट डॉक्टर पीलीभीत आए हैं।
पीलीभीत, जेएनएन। माला रेंज के जंगल से बाहर घूम रहे बाघ की गतिविधियों का अध्ययन करने के लिए कानपुर से एक्सपर्ट डॉक्टर पीलीभीत आए हैं। पिछले कई दिन से माला रेंज के नजदीक गांवों के आसपास बाघ की चहलकदमी से परेशान वन विभाग इस बार कोई चूक नहीं करना चाहता।। बाघ का मूवमेंट जंगल से बाहर आबादी की ओर क्यों हो रहा, इसकी जांच शुरू कर दी गई है।
कानपुर से डा. आरके सिंह यहां पहुंच गए हैं। उन्हें माला रेंज गेस्ट हाउस मे ठहराया गया है। वह यहां पर बाघों के रहन सहन और स्वभाव का बारीकी से अध्ययन करेंगे। इस दौरान अधिकारियों और कर्मचारियों से भी बाघ की गतिविधियों पर चर्चा होगी। पीलीभीत टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर नवीन खंडेलवाल का कहना है कि डॉ. सिंह को कानपुर से बुलाया गया है। यह पता लगाया जाएगा कि आखिर बाघ जंगल से बाहर क्यों आ रहे हैं।
डिप्टी डायरेक्टर का कहना कि माला रेंज के जंगल से निकट गांव रिछोला के पास नर और मादा बाघ की चहलकदमी है। पिछले दिनों इसी रेंज के जंगल से निकले एक बाघ को ट्रैंकुलाइज करके कानपुर चिड़िया घर भेजा गया था। बाद में एक दूसरा बाघ इसी जंगल से बाहर आकर आबादी के निकट घूमने लगा था। तब उसे भी विगत तीन मई को ट्रैंकुलाइज किया गया लेकिन इसके कुछ देर बाद ही बाघ की मौत हो गई थी। इसे लेकर तमाम तरह के सवाल खड़े हुए। क्योंकि बाघ के शव के पोस्टमार्टम से पता चला कि उसे गंभीर चोटें लगी थीं।
आतंरिक रक्तस्राव के कारण उसकी मौत हुई। इसके बाद अज्ञात अपराधियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया। उस मामले में दो ग्रामीणों की गिरफ्तारी भी हो चुकी है। इसीलिए इस बार बाघ के साथ बाघिन जंगल से बाहर घूमते देखे जाने के बाद वन विभाग कोई चूूक नहीं करना चाहता। इसीलिए बाघ के स्वभाव के अध्ययन के लिए एक्सपर्ट डॉक्टर को पीटीआर प्रशासन ने बुलाया है। वह अध्ययन करने के बाद अपने सुझाव देंगे। उसके बाद ही कोई निर्णय लिया जाएगा।