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जट्टा और बंटू ने मारी थीं बभिया के हिस्ट्रीशीटर पाताराम को गोलियां

बभिया के हिस्ट्रीशीटर पाताराम का मर्डर योजनाबद्ध था।

By JagranEdited By: Published: Sun, 20 Jan 2019 09:00 AM (IST)Updated: Sun, 20 Jan 2019 09:00 AM (IST)
जट्टा और बंटू ने मारी थीं बभिया के हिस्ट्रीशीटर पाताराम को गोलियां

जेएनएन, बरेली: बभिया के हिस्ट्रीशीटर पाताराम का मर्डर योजनाबद्ध था। उभरते बदमाश जट्टा और बंटू यादव ने उस पर अंधाधुंध गोलियां बरसाई थीं। बताया जा रहा है कि हमलावरों ने पहले ही तय लिया था कि पाताराम की हत्या करेंगे, महज दिन और समय तय होना था। इसके लिए 18 जनवरी की शाम पांच बजे का चुना गया।

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हिस्ट्रीशीटर पाताराम की हत्या की एफआइआर उसके भाई लालाराम की तरफ से दर्ज कराई गई है। जिसमें लखौरा गांव के बंटी, सद्भावना कॉलोनी के बंटू यादव व हिम्मत सिंह, लक्ष्मीनगर कैंट का जट्टा उर्फ विवेक, बारीनगला गांव का नवल सिंह व रक्षपाल निवासी छिलौरा को नामजद किया गया। नवल सिंह पर आरोप है कि वह हत्या की साजिश में शामिल था। पुलिस ने हिम्मत सिंह और बंटी को पकड़ लिया है। उनसे पूछताछ की जा रही है।

नए बदमाशों से कराई गई वारदात

हिरासत में लिए आरोपितों से पूछताछ व शुरूआती जांच में पुलिस को पता चला कि जट्टा और बंटू यादव ने पाताराम को गोलियां मारीं थीं। दोनों 24-25 साल के लड़के हैं और गहरे दोस्त हैं। जरायम की दुनिया में दोनों का नाम तेजी से उभर रहा है। गोली चलाने में दोनों को देर नहीं लगती, इसलिए पाताराम को मरवाने के लिए इन्हीं दोनों को चुना गया। चूंकि पाताराम की तमाम लोगों से रंजिश थी, इसलिए और भी लोगों को साथ ले लिया गया। बंटी से पहले उसकी रंजिश थी, लेकिन दो महीने पहले वह पाताराम के करीब आ गया था। पाताराम उस पर विश्वास भी करने लगा था। उसके साथ दारू पार्टी भी होती थी।

खनन के धंधे में बादशाहत बनी मौत का कारण

पाताराम की हत्या कराने की साजिश रचने का आरोप गांव के नवल सिंह व उसके साथी रक्षपाल पर लगा है। दरअसल, दबंग छवि का नवल सिंह अवैध खनन से जुड़ा हैं। पिछले कुछ समय से पाताराम ने दबंगई दिखाते हुए उसकी सभी ट्रैक्टर-ट्रालियां बंद करा दी थीं। वह अकेले खनन करा रहा था। इसको लेकर नवल सिंह और पाताराम में ठनी हुई थी। जबकि चर्चा है कि एक समय था जब नवल सिंह ने पाताराम को आगे बढ़ाया था। यहां तक कि जो स्कार्पियो बदमाश लेकर गए हैं, वह भी नवल की तरफ से पाताराम को गिफ्ट की गई बताई जा रही है। पाताराम ने नवल सिंह के लिए कई काम किए। पिछले कुछ माह से पाताराम के खनन के धंधे में एकछत्र राज करने से नवल सिंह को काफी नुकसान हो रहा था।

12 घंटे बाद दर्ज हुई एफआइआर

पाताराम की हत्या शुक्रवार शाम करीब 5.15 बजे हुई। रिपोर्ट दर्ज करने में पूरे 12 घंटे लग गए। पुलिस की मानें तो पाताराम के भाई लालाराम की तरफ से तहरीर देने में देरी हुई। इधर बताया जा रहा है कि एक तीर से कई निशाने साधे गए हैं। पाताराम को गोली मारने वालों के बारे में तो पता चल ही चुका था। इसी दौरान उनके नाम भी शामिल कर लिए गए जिससे पाताराम की रंजिश चल रही थी। यही कारण रहा कि शुक्रवार शाम सवा पांच बजे के मर्डर का मुकदमा दूसरे दिन सुबह यानी शनिवार तड़क सवा पांच बजे दर्ज हुआ।

हिम्मत सिंह के घर से शुरू हुआ झगड़ा

पाताराम को मारने से पहले हमलावरों ने पूरी फील्डिंग लगा दी थी। गलियों में लड़के खड़े कर दिए गए थे। पाताराम और बंटी एक अन्य साथी के साथ शुक्रवार शाम करीब पांच बजे सद्भावना कॉलोनी में हिम्मत सिंह के घर गए थे। बताया जा रहा है कि वहीं रुपयों के लेन-देन को लेकर विवाद हुआ। तब जट्टा और बंटू यादव ने पाताराम को घेर लिया। पहली गोली मारी मगर वह पाताराम के हाथ को छूते हुए निकल गई। वह बचने के लिए भागा और अपने दोस्त संजय दीवान के घर में छिप गया। इसी दौरान गली में हमलावरों के साथी ने अंगुली से इशारा करके बता दिया कि वह संजय के घर में छिपा है। हमलावरों ने उस मकान के दरवाजे को तोड़ा और अंदर पहुंचकर पाताराम पर ताबड़तोड़ गोलियां बरसा दीं।

तीन गोलियां माथे पर, तीन सीने में मारीं

पोस्टमार्टम रिपोर्ट में पता चला कि पाताराम के छह गोलियां मारी गई। इसमें तीन गोलियां उसके माथे के बीचोंबीच में ही मारी गईं। जबकि तीन गोलियां सीने में। पोस्टमार्टम के दौरान पाताराम के सिर में दो गोलियां मिलीं, जबकि एक पार निकल गई थी। जट्टा और बंटू को पकड़ने के लिए दबिश दी जा रही है। दो आरोपितों से पूछताछ चल रही है। जल्द ही हत्या का राजफाश हो जाएगा।

- अभिनंदन सिंह, एसपी सिटी


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