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सुई से कढ़ेगी तरक्की

अंतरराष्ट्रीय बाजार में जबरदस्त मांग है तो हमारे पास जरी-जरदोजी का शानदार कारोबार।

By JagranEdited By: Published: Mon, 24 Sep 2018 10:56 AM (IST)Updated: Mon, 24 Sep 2018 10:56 AM (IST)
सुई से कढ़ेगी तरक्की

जेएनएन, बरेली: अंतरराष्ट्रीय बाजार में जबरदस्त मांग है तो हमारे पास जरी-जरदोजी का शानदार कारोबार। साथ ही काम करने वाले बेहतर कारीगर भी। ऐसे कारीगर जिनके काम का लोहा दुनिया मानती है। सरकार भी मन बनाम चुकी है। एक जिला एक उद्योग में जरी चुन ली गई है। यानी बिखरी और बर्बाद कहा जाने वाला कारोबार आने वाले दिनों में एक सूत्र में पिरोया जा सकेगा। पिछले दिनों प्रदेश सरकार की घोषणा के बाद इस दिशा में कदम उठाए जाने लगे हैं। उम्मीद जताई जा रही है कि तीन लाख कारीगरों की स्थिति पूरी तरह बदल जाएगी। साथ ही बाजार भी विकसित होगा। जिले में तरक्की की रफ्तार को बढ़ाया जा सकेगा। जरी उद्योग

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03 लाख कारीगर

400 करोड़ प्रतिवर्ष कारोबार

10 करोड़ का का एक्सपोर्ट

08 यूनिट करती हैं निर्यात। नेपाल, इजराइल, यूके, यूएस और गल्फ देशों में सप्लाई भविष्य की उम्मीदें

अमेजन से होगा जरी का व्यापार

ई-मार्केटिंग बेवसाइट की बढ़ती धाक को देखते हुए अब शासन ने जरी-जरदोजी के उद्योग को भी पंख लगाने का प्लान बना लिया है। प्रथम चरण में प्रदेश के दस जिलों के उत्पादों को इस पर बेचा जा रहा है। द्वितीय चरण में बरेली के जरी-जरदोजी के उत्पादों को भी इसमें शामिल किया जाएगा। इससे व्यापारी सीधे अपने उत्पाद आम लोगों के हाथों में पहुंचा सकेंगे। इससे बिचौलियों का कमीशन खत्म हो जाएगा और मजदूर से लेकर इकाई संचालक को उसकी मेहनत का पूरा पैसा मिल सकेगा। हालांकि, सरकार ने अमेजन पर बिकने वाले उत्पाद के कुल मूल्य का कुछ प्रतिशत हिस्सा अमेजन को भी देने का प्रावधान किया है। जिला उद्योग के अधिकारियों के मुताबिक, जल्द ही अमेजन के अधिकारियों से इस संबंध में बातचीत की जाएगी। लगभग दो माह में इस काम को अंजाम दे दिया जाएगा। जैम पोर्टल पर बेच सकेंगे माल

जिला उद्योग केंद्र जरी-जरदोजी की इकाइयों का जैम पोर्टल पर पंजीकरण करा रहा है। इससे की सरकारी विभाग भी जरूरत के आधार पर बिना बिचौलियों की मदद के सीधे इकाइयों से संपर्क साधकर उचित दर पर सामान खरीद सकें। यहां खुलेगा ट्रेनिंग सेटर

स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत जरी-जरदोजी को भी स्मार्ट बनाने की तैयारी प्रशासन कर चुका है। प्रोजेक्ट के तहत अर्बन हाट सेंटर में ट्रेनिंग सेंटर स्थापित करना प्रस्तावित है। यहां कारीगरों को उत्पाद की ब्रांडिंग, मार्केटिंग, पैकेजिंग आदि का प्रशिक्षण दिया जाएगा। साथ ही उन्हें व्यापार करने की बारीकियां और उद्योग को बढ़ावा देने के बारे में बताया जाएगा। समय-समय पर यहां प्रदर्शनी लगाई जाएंगी। इनमें देश-विदेश के व्यापारियों को बुलाया जाएगा। 70 हजार कारीगरों को हस्तशिल्पी कार्ड

जरी-जरदोजी से जुड़े 70 हजार कारीगरों को प्रशासन हस्तशिल्पी कार्ड उपलब्ध कराने जा रहा है। इससे उन्हें बैंक से आसान दरों पर मुद्रा ऋण मिल सकेगा। इस कार्ड धारक कारीगरों का हेल्थ बीमा का भी लाभ मिलेगा। कार्ड धारक कारीगर अपने उत्पाद को देश-विदेश में लगने वाली प्रदर्शनी में शामिल होकर सीधे लोगों को बेच भी सकेंगे। इन्हें सरकार की ओर से आने-जाने और रहने की सुविधा भी उपलब्ध कराई जाएगी। वित्त पोषण योजना से पोषित हो रहीं इकाइयां

वर्तमान में सरकार उद्योग को बढ़ावा देने के लिए वित्त पोषण योजना चला रही है। इसके तहत जरी-जरदोजी के काम को 25 प्रतिशत की छूट के साथ बैंक से ऋण उपलब्ध कराया जा रहा है। एक जिला एक उत्पाद

एक जिला एक उत्पाद योजना में जरी-जरदोजी को जिले से चुना गया तो कारीगर से लेकर कारोबारी तक के चेहरे पर उम्मीदों की मुस्कान थी। आठ माह बाद यह मुस्कान कोरी योजना में गुम हो गई। वजह, जरी को बढ़ावा देने की जो योजनाएं शुरू होनी थीं, वह थोड़ा धीमी हैं। हालांकि, आने वाले दिनों में यह रफ्तार पकड़ना तय हैं। मुद्रा का सहारा

जरी-जरदोजी को बढ़ावा और कारोबारियों को गुणवत्तापरक उत्पाद तैयार करने के लिए विभिन्न ऋण योजनाओं में प्रोत्साहन देने के प्रयास हैं। इसमें मुद्रा लोन, स्टैंड अप और स्टार्ट-अप योजना प्रमुख हैं। मुद्रा लोन योजना में दस से 25 फीसद तक अनुदान मिलने की संभावना है। कॉमन सेंटर की होगी स्थापना

इस काम और कारीगरों को निखारने के लिए उद्योग विभाग से कॉमन फेसिलिटी सेंटर स्थापित होगा। इसमें आधुनिक मशीनें, तकनीकी सहयोग और डिजाइनिंग आदि सुविधा दी जाएगी। उनके उत्पाद प्रदेश के बाहर लगने वाले मेलों में बिक्री के लिए स्टॉल पर लगाए जाएंगे। माल ले जाने, स्टॉल लगाने और रहने का खर्च विभाग देता देगा।

बदलाव को तैयार कारीगर

काम के साथ-साथ कारीगरों की आमदनी बढ़ाने का प्लान में सोचा गया है। सैलानी के रहने वाले शुएब, शहनाज और गुलरेज का कहना है कि पहले एक दिन में 400-500 रुपये एक दिन में कमा लेते थे। बीच में कुछ मंदी ने हालात खराब कर दिए। उसके बाद नोटबंदी ने दिक्कत पैदा की मगर जिस तरह सरकार प्रयास बढ़ा रही है इससे हमें काफी उम्मीदे हैं। सबकुछ सही चला तो एक जिला एक उद्योग से हमारी आमदनी दोगुनी हो जाएगी।

एक्सपर्ट बोले, ऐसे बदलेगी तस्वीर--फोटो

संयुक्त निदेशक उद्योग ऋषि रंजन का कहना है कि बेशक जरी-जरदोजी की हालत बदलने के लिए प्रस्ताव बेहतर बना है। एक जिला एक उत्पाद योजना इस उद्योग को नए पंख देगी। एक्सपो मार्ट के बारे में भी गंभीरता से सोचना होगा। उसके आते ही उद्योग परवाज भरेगा। जरी-जरदोजी के लिए देश और विदेश तक संभावनाएं बहुत हैं। व्यापार बढ़ाने हो रही सारी कवायद

वर्तमान में जिले में सिर्फ आठ ही ऐसी इकाइयां हैं जो विदेश में माल सप्लाई कर रही हैं। जिले में होने वाले कुल उत्पाद का लगभग पांच फीसदी हिस्सा ही यहां से सीधे विदेश भेजा जा रहा है। जबकि दिल्ली, मुंबई और कलकत्ता के बड़े व्यापारी यहां माल खरीदकर भारी तादात में वहां भेजते हैं। अब सरकार की तैयारी जिले के व्यापारियों से सीधे वहां माल बिक्री कराने की है।

-विनय कुमार, उपायुक्त, जिला उद्योग हमारे पास इम्ब्रायडरी के बेहतरीन कारीगर हैं। उनके बेहतर इस्तेमाल की कवायद चल रही है। इसके लिए उनका मेहनताना भी बढ़ाया जाएगा। ऐसी जगह तैयार करना मकसद है जहां जहां बाहर से लोग आ सकें और हम अपना माल बेच सकें।

मुहम्मद फारूक, जरी एक्सपोर्टर


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